मिस्टर – एंटी इंडिया

आजकल सोशल मीडिया युद्ध भूमि बन चुकी है। यहां पर लाइक, शेअर, कमेन्ट और रिट्वीट जैसे शस्त्रों के माध्यम से लड़ाई होती है। देश के दुश्मन फर्जी खातों के जरिए देश-विरोधी  झूठी बातें फैलाते हैं। ऐसे ‘मिस्टर -एंटी इंडिया’ को समय पर नहीं रोका गया तो वे भविष्य में बड़ा संकट पैदा कर सकते हैं।

अभिनेता अनिल कपूर की ‘मिस्टर इंडिया’ फिल्म सभी ने देखी होगी। उसमे अनिल कपूर एक घड़ी के माध्यम से अदृश्य होकर देश के दुश्मनों को सजा देता है। लेकिन अब उलटा हो रहा है। देश के दुश्मन सोशल मीडिया के माध्यम से अदृश्य रहकर देश को तोड़ने का काम कर रहे हैं। वैसे तो समूचे विश्व के इतिहास के पन्नों में ज्यादातर लड़ाई की कहानियां ही मिलेंगी। भारत की भूमि तो शूरवीरों की वीरता से शोभायमान है। रामायण और महाभारत जैसी गरिमामयी अमर कथाएं तो यहां के जीवन का अभिन्न अंग है। उस स्वर्णिम समय में योद्धा मूल्यों के आधार पर लड़ाई लड़ते थे। जैसे कि, रात्रि के समय युद्धविराम होता था। निहत्ते शत्रु पर वार नहीं करते थे। युद्धशास्त्र के ऐसे नियमों का सभी पालन करते थे। काल के साथ युध्दभूमि भी बदल गई और लड़ाई के नियम भी बदल गए। बात तो इस हद तक पहुंच गई है कि, शत्रु कौन है और कहां से प्रहार कर रहा है यह भी पता चलना कठिन हो गया है।

आजकल सोशल मीडिया युद्ध भूमि बन चुकी है। यहां पर लाइक, शेअर, कमेन्ट और रिट्वीट जैसे शस्त्रों के माध्यम से लड़ाई होती है और ज्यादातर समय उसके लिए दिया जाता है। हाल ही में ट्वीटर पर खालिस्तान के समर्थन में #Khalistan2020 यह ट्रेंड चलाया गया। सिख फॉर जस्टिस संगठन ने यह अभियान चलाया था। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने गैरकानूनी कृत्य प्रतिबंधात्मक कानून के तहत इस पर प्रतिबंध लगाए। सभी भारतवासी जानते हैं कि, खालिस्तान आंदोलन भारत की संप्रभुता पर हमला था। इस आंदोलन के कारण भारत की पूर्व प्रधानमंत्री की निर्मम ह्त्या की गई थी। ट्वीटर जैसी सोशल मीडिया कंपनी निजी व्यावसायिक लाभ के लिए प्रतिबंधित संगठन की ओर से प्रायोजित अभियान को भारत में सरेआम चला रही है।

इस भारत विरोधी मुहीम में कोई भी व्यिे सहजता से सहभागी हो सकता है। क्योंकि, सोशल मीडिया पर यूजर अपनी पहचान छुपा सकता है। कोई भी नागरिक फेसबुक, ट्वीटर पर झूठा खाता बनाकर उसके माध्यम से झूठी खबरें, अश्लील और हिंसा फैलाने वाली साम्रगी फैला सकता है, जिसके कारण समाज में हिंसा फैलने की पूरी संभावना होती है, कानून और सुशासन बिगड़ने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।

यह सभी गैरकानूनी कृत्य सोशल मीडिया पर फैले हुए फर्जी खातों की वजह से होता है। इसे रोकने के लिए उपयोगकर्ता की पहचान होना आवश्यक है। इस संदर्भ में भाजपा के नेता विनीत गोयंका ने सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है, जिसमें सोशल मीडिया के उपयोगकर्ता की केवायसी अनिवार्य करने की मांग की गई है।

फर्जी खातों का दुष्प्रभाव

सोशल मीडिया आभासी होने के बावजूद यूजर की संख्या को देखते हुए जनमत प्रभावित करने की क्षमता रखता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि, कुल उपयोगकर्ता की संख्या से लगभग 10 प्रतिशत यूजर जालसाज हैं। जनमत को प्रभावित करने के लिए सभी राजनीतिक, सामाजिक संगठन इस मंच पर अपना वर्चस्व प्रस्थापित करने की होड़ में लगे रहते हैं। शत्रुपक्ष के संदर्भ में झूठी जानकारी या अपप्रचार करने के लिए ज्यादातर ऐसे ही जालसाजी
खातों का उपयोग किया जाता है। पुलिस विभाग की सायबर ब्रांच और सायबर सुरक्षा कानून का कार्यान्वयन हो रहा है, लेकिन वह पर्याप्त नहीं है। जब देवेन्द्र फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे तब उनके विशेष कार्य अधिकारी के नाम पर एक युवक द्वारा फर्जी फेसबुक खाता खोलकर मैसेजेस भेजने का मामला सामने आया था। ऐसे गैरकानूनी कृत्य रोकने के लिए फर्जी खाते बंद होने चाहिए और इसके लिए विनीत गोयंका के द्वारा दायर की गई याचिका में उन्होंने उपयोगकर्ता की जानकारी (KYC) अनिवार्य करने की बात कही है।

अभिव्यिे की आजादी का दुरुपयोग

विगत कुछ वर्षों से भारत देश में अभिव्यिे की आजादी का मुद्दा गरमाया है। संविधान ने हर नागरिक को बोलने, लिखने की आजादी दी है। लेकिन इसको ढाल बनाकर आजादी का दुरुपयोग किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर मनचाहा लिखने की हिम्मत अभिव्यिे की आजादी की आड़ में होती है। इस संदर्भ में मजबूत कानून व्यवस्था उपलब्ध नहीं होने से ऐसे मामलों की संख्या दिनोदिन बढ़ रही है। देश के प्रधानमंत्री हो या फिर किसी राज्य के मुख्यमंत्री, राज्यपाल हो या फिर प्रशासनिक अधिकारी ऐसे सम्मानित व्यक्तित्वों पर सरेआम कीचड़ उछाले जाते हैं। अश्लीलता, हिंसक कृत्यों को बढ़ावा देने वाली फोटो, वीडियो जैसी साम्रगी फैलाई जाती है। अगर किसी ने शिकायत दर्ज करने का प्रयास किया तो पुलिस थाने में ऐसे गुनाहों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती। खासकर ग्रामीण इलाको में ऐसा अनुभव मिलता है। और, आखिरकार मामला दर्ज भी हो जाए, लेकिन तब तक समाज विघातक तत्व अपने मनसूबों में सफल हो जाते हैं। इसलिए ऐसे गुनाहों पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक मजबूत व्यवस्था की आवश्यकता है। ऐसे  Mr.Anti India को समय पर नहीं रोका गया तो वे भविष्य में बड़ा संकट पैदा कर सकते हैं।

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