जंग जिंदगी की
“कुछ दिन बाद डॉ. अनूप स्वयं को थोड़ा स्वस्थ महसूस करने लगे। उन्हें अपने मरीज याद आने लगे थे। वे कोरोना वायरस के दुष्प्रभाव को खुद भुगतचुके थे। उन्होंने कोरोना के रोगियों को बचाने की मन में ठान ली और पुन... मरीजों की सेवा करने हेतु अपना रक्षा- कवच पहन कर, योद्धा बन हॉस्पीटल पहुंच गए। जिंदगी की जंग फिर शुरू हो गई थी!”