- वायु सेना ने टिड्डियों के खिलाफ शुरु किया अभियान
- हेलीकॉप्टर mi-17 से किया जायेगा दवा का छिड़काव
- बेंगालूर में वायु सेना ने किया सफल परीक्षण
- टिड्डियों के दल से देश में बढ़ रही परेशानी
टिड्डियों के दल से निपटेगी वायुसेना
देश में कोरोना महामारी के साथ-साथ टिड्डियों का भी खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इनके हमले से ना सिर्फ किसान परेशान है बल्कि शहर के भी लोग भी अपने घरों में कैद होने को मजबूर हैं। हजारों की संख्या में टिड्डियों का दल किसी भी क्षेत्र या शहर में पहुंच जा रहा है जिसकी वजह से लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है वैसे अलग-अलग सरकारों ने इससे निपटने का तरीका ढूंढ निकाला है लेकिन लगातार बढ़ती इनकी संख्या को देखते हुए अब इनसे निपटने के लिए वायु सेना को तैयार किया गया है।
हेलीकॉप्टर mi-17 से किया जायेगा दवा का छिड़काव
टिड्डियों से निपटने के लिए वायु सेना के लड़ाकू विमान mi-17 हेलीकॉप्टर को तैयार किया गया है जिसकी मदद से कीटनाशक दवा का छिड़काव किया जाएगा। इससे पहले इसका ट्रायल भी किया जा चुका है जो पूरी तरह से सफल रहा। ट्रायल के दौरान हेलीकॉप्टर से आसमान से ही हवा में कीटनाशक दवा का छिड़काव किया गया जिससे टिद्दियो की मौत हो गयी। वायु सेना के अधिकारियों और इंजिनियर्स की कड़ी मेहनत के बाद यह सफल हो पाया है इसके लिए हेलीकॉप्टर में कुछ जरूरी बदलाव भी किए गए जिससे कीटनाशक दवा का छिड़काव आसानी से किया जा सके।
छिड़काव के दौरान हेलीकॉप्टर एक बार में करीब 800 लीटर कीटनाशक दवा रखने की क्षमता रखता है और एक बार में करीब 750 हेक्टेयर क्षेत्र में 40 मिनट तक छिड़काव किया जा सकता है। बेंगलुरु में हुए इस प्रयोग के बाद सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि अब इस हेलीकॉप्टर और वायु सेना की मदद से टिड्डियों से निपटा जाएगा और लोगों को इससे राहत दिलाई जाएगी।
पाकिस्तान से आया टिड्डी दल
जानकारी के मुताबिक टिड्डियों का यह दिल पाकिस्तान से आया हुआ है और भारत के अलग-अलग राज्यों के शहरों और गाँवों पर हमला कर रहा है। टिड्डियों की वजह से अब तक गुरुग्राम, उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान जैसे कई शहर पूरी तरह से परेशान है इसे भगाने के लिए लोग डी जे, ढोल और बर्तन बजाने का सहारा ले रहे हैं लेकिन आवाज़ से टिड्डिया सिर्फ अपना स्थान बदल रही है जबकि उनकी समस्या अब भी लोगों पर मंडरा रही है। टिड्डियों की वजह से कई एयरपोर्ट पर हाई अलर्ट भी किया था जिससे किसी भी दुर्घटना से बचा जा सके। टिड्डियों का दल कई बार किलो मीटर से भी लम्बा होता है ऐसे में दुर्घटना की संभावना ज्यादा होती है।