मोराटोरियम के दौरान ब्याज से मिल सकती है राहत!

  • मोराटोरियम का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
  • सुप्रीम कोर्ट ने ब्याज को लेकर सरकार को लगाई फटकार 
  • सरकार को एक सप्ताह में कोर्ट में हलफ़नामा दायर करना होगा
  • मोराटोरियम के दौरान बैंक ना वसूलें ब्याज- पीटीशन

कोरोना महामारी के दौरान घर की ईएमआई को लेकर रिजर्व बैंक की तरफ से मोराटोरियम का ऐलान कर बड़ी राहत की बात की गयी थी और लोगों को डिफाल्ट होने से बचाया भी गया था लेकिन मोराटोरियम ग्राहकों का कहना है कि इस दौरान ब्याज दर को कम किया जाना चाहिए और ब्याज पर ब्याज नहीं वसूल करना चाहिए। बैंक और ग्राहक के बीच की यह लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गयी है जहां देश की सर्वोच्च अदालत ने सुनवाई करते हुए सुप्रीम ने केंद्र सरकार को इस पर फटकार लगाई है और एक सप्ताह के अंदर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कहा गया कि सरकार इस मामले में आरबीआई को दोषी नहीं बना सकती है केंद्र सरकार के पास यह अधिकार होता है कि वह डिज़ास्टर्स मैनेजमेंट के तहत बैंकों को ब्याज वसूलने से रोक सकती है। इस मामले की अगली सुनवाई 1 सितंबर को होगी। 
महामारी के दौरान करीब लोग 6 महीने से घर पर है और उनका व्यवसाय पूरी तरह से ठप पड़ा है फिर ऐसे में वह बैंकों की ब्याज वाली मार से बचना चाहते है और मोराटोरियम के दौरान ब्याज दर को नहीं भरना चाहते है क्योंकि मोराटोरियम के दौरान हमें कुछ महीने की मोहलत तो मिल गयी लेकिन उसके बदले में हमसे कई गुना वसूल किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट में दायर की गयी याचिका में कहा गया है कि मोराटोरियम के दौरान ब्याज में छूट मिलनी चाहिए। इस याचिका के दौरान सुप्रीम कोर्ट से यह भी मांग की गयी है कि जब तक इस पर कोर्ट का आखिरी फैसला नहीं आ जाता तब तक मोराटोरियम को आगे बढ़ा देना चाहिए। 
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सरकार को फटकार लगायी और कहा कि आप इस मामले को ग्राहकों और बैंकों के बीच का मामला बता कर नहीं निकल सकते है। कोर्ट की तरफ से कहा गया कि देश की अर्थव्यवस्था को बनाए रखना जरूरी है लेकिन सरकार को लोगों की मजबूरी भी समझनी होगी और उन पर किसी भी तरह का बोझ नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने सरकार के इस फैसले पर भी एतराज जताया कि जब पूरे देश में सरकार ने लॉकडाउन लगाया था तो फिर खुद सरकार लोगों को राहत देने की जगह ब्याज पर ब्याज कैसे वसूल सकती है। 
कोर्ट में दायर याचिका पर सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे है तुषार मेहता ने कहा कि सरकार इस मामले पर आरबीआई के साथ मिल कर काम कर रही है लेकिन सरकार का नजरिया आरबीआई से अलग नहीं हो सकता है लेकिन सरकार जल्द से जल्द लोगों के लिए राहत भरी खबर दे सकती है। वहीं कोर्ट ने तुषार मेहता से एक सप्ताह के अंदर सरकार का स्टैंड क्लीयर करने के लिए कहा है। 

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