हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
सात अरब की दुनिया

सात अरब की दुनिया

by अमोल पेडणेकर
in दिसंबर- २०११
0

संयुक्त राष्ट्र संघ के एक आकलन के अनुसार 31 अक्टूबर, 2011 को दुनिया की जनसंख्या सात अरब हो गयी। दुनिया की जनसंख्या ने एक और मील का पत्थर पार कर लिया। यद्यपि संयुक्त राष्ट्र संघ की जनगणना रिपोर्ट में कुछ पूर्व ही इसके संकेत दे दिये गये थे, किन्तु उत्सुकता इसको लेकर थी कि विश्व का सात अरबवां शिशु कहां पर जन्म लेगा? इसमें भारत ने बाजी मार ली। विश्व का सात अरबवां शिशु उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के एक सार्वजनिक स्वास्थ्य केन्द्र में पैदा हुआ। यह एक कन्या है, जिसका नाम ‘नरगिस’ रखा गया है। इस बच्चे के जन्म का समारोह मनाने के साथ ही भारत में जनसंख्या वृद्धि को गम्भीरता से लेने की जरुरत है।

वर्ष 1804 में विश्व की जनसंख्या एक अरब थी। दो अरब जनसंख्या होने के लिए सन् 1927 तक प्रतीक्षा करनी पड़ी। अर्थात एक अरब जनसंख्या बढ़ने में 123 वर्ष लग गये। इसके उपरान्त केवल 32 वर्षों में ही सन् 1959 में एक अरब जनसंख्या बढ़कर तीन अरब हो गयी। तीन अरब से सात अरब तक जनसंख्या बढ़ने में केवल 50 वर्ष लगे। विश्व की इस जनसंख्या वृद्धि में भारत का बड़ा योगदान है। आगामी कुछ ही वर्षों में चीन को पीछे छोड़ते हुये भारत दुनिया का सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश बन जायेगा। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 121 करोड़ हो गयी, जो अमेरिका, इण्डोनेशिया, ब्राजील, पाकिस्तान और बांग्लादेश की कुल जनसंख्या से भी अधिक है। दुनिया की कुल जनसंख्या का 17.5 प्रतिशत हिस्सा भारत में निवास करता है, जबकि पृथ्वी के क्षेत्रफल का केवल 2.4 प्रतिशत भारत का क्षेत्रफल है।

सात अरबवें बच्चे के जन्म के कारण राजकीय व आर्थिक विषय की जो चर्चा बन्द थी, वह जनसंख्या को केन्द्र में रखकर शुरु हो गयी है। जनसंख्या वृद्धि की यह गति यदि न रोकी गयी, तो देश के सामने असंख्य प्रश्न उठ खड़े होंगे। राजनेताओं को इसकी कल्पना है, किन्तु इसके लिए गम्भीर व दीर्घकालिक योजना का अभाव है। जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाने का उपाय कानून द्वारा करने हेतु सरकार की इच्छा नहीं है। इसलिए जनसंख्या वृद्धि के आकड़े बताकर जनता को मार्ग खोजने की जिम्मेदारी सौपने के सिवाय केन्द्र सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है। अन्य राजनीतिक दल इस उहापोह की स्थिति में हैं कि इस विषय पर उन्हें कुछ बोलना चाहिए कि नहीं। इसलिए वे कुछ बोल भी नहीं रहे हैं। यहाँ उल्लेखनीय है कि आपातकाल के दौरान संजय गांधी के नेतृत्व में नसबन्दी कार्यक्रम शुरू हुआ था। बताया जाता है कि लगभग 10 लाख लोगों की नसबन्दी उस समय की गयी थी। इस कारण इन्दिरा गांधी और संजय गांधी पूरे उत्तर भारत में अलोकप्रिय हो गये। इसकी तीव्र प्रतिक्रिया हुयी और वर्ष 1977 के चुनाव में उत्तर भारत से कांग्रेस का सफाया हो गया।

नशबन्दी के इस मुहिम का इतना गम्भीर राजनैतिक परिणाम हुआ कि आगे आने वाले समय में किसी भी राजनेता या राजनीतिक दल ने इसे अपनी कार्यसूची में शामिल नहीं किया। परिवार नियोजन का कार्यक्रम जो एक बार पीछे दृश्य तो हमेशा के लिए हट गया। परिणाम जनसंख्या विस्फोट के रूप में सामने आया, जिससे स्वास्थ्य, खाद्यान्न, पानी इत्यादि मौलिक आवश्यकताओं के आगे प्रश्नचिन्ह लग गये। महंगाई के कारण जीविको-पार्जन के लिए आवश्यक वस्तुओं को खरीद पाना भी मुस्किल हो गया है। पानी के प्रश्न पर देश भर में विवाद चल रहे हैं। इन सबके मूल में अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि ही कारण है।

इस समय भारत की जनसंख्या 121 करोड़ हो गयी है। वर्ष 1951 में यह 36 करोड़ थी। यह वर्ष 1981 में 81 करोड़ तथा वर्ष 2001 में 102 करोड़ पहुंच गयी थी। वर्ष 2030 तक अन्य किसी क्षेत्र में भले न हों, किन्तु जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ने हुए भारत आगे निकल जायेगा। चीन से इस दृष्टि से आगे होने से कुछ लोगों को आनन्द की अनुभूति हो सकती है, किन्तु सत्य यह है कि चीनने अपने देश की जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित कर लिया है

वर्तमान समय में भारत का जनघनत्व 336.62 प्रति वर्गकिलोमीटर है। जबकि चीन का 133.69 प्रति वर्ग किलोमीटर है। मुंबई के कुछ भागों में जनघनत्व 36 हजार से 1 लाख 52 हजार व्यक्ति प्रति वर्ग कि.मी तक पहुंच गया है। इन आकड़ों को देखने से यही लग रहा है कि आने वाले वर्षों में जमीन की कमीं सबसे गम्भीर विषय होगा। भारत में ???? जमीन अमेरिका के बराबर है, किन्तु इसमें अब कमीं होती जा रही है, जो चिन्ता का विषय है। कृषि भूमि पर अन्य कार्यों हेतु कब्जा किया जा रहा है। शहरी कारण का बेताल भयानक होता जा रहा है। परिणामत: कृषि कार्य हेतु जमीन की कमी होती जा रही है। जनसंख्या वृद्धि के कारण बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानव संसाधन विकासदर में भारत की जो स्थिति दर्शाया है, उससे हरेक देशभक्त का चिन्तित होना स्वाभाविक है। मानव संसाधन विकास के मामले में भारत 118 वें स्थान पर है। पाकिस्तान 125 वें स्थान पर है। इसमें किसी को सन्तोष का कारण हो सकता है, किन्तु भारत के लिए यह शुभ संकेत नहीं है।

इसी तरह स्त्री-पुरुष अनुपात भी चिन्ता का विषय बन गया है। लड़कियों की जन्मदर में कमी भी चिन्ता का विषय है। स्त्री-पुरुष के बढ़ते अनुपात को सुधारने के लिए कितनी भी सरकारी योजना बनायी जाये, जन जागरण के बिना कुछ नहीं हो सकता, गर्भ मे लिंग परीक्षण पर पाबंदी होने के बावजूद लिंग परीक्षण और कन्या भ्रूण हत्या बदस्तूर जारी है। शहरी क्षेत्र की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्र में यह चलन अधिक है। यह पूरे देश में, कहीं ज्यादा कहीं कम है। इस समस्या पर गम्भीरता पूर्वक विचार करने और उसके निवारण के उपाय करने की आवश्यकता है।

जनसंख्या की दृष्टि से भारत एक अग्रणी देश है, फिर भी यह ध्यान देने योग्य है कि भारत ने जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाने के पर्याप्त उपाय नहीं किये है। जनसांख्यिकी विभाग द्वारा जारी किये गये प्राथमिक आकड़े देखने से ही आर्श्चयजनक दृश्य उपस्थित होता है। इस समय देश में 121 करोड़ संख्या जन विस्फोट की स्थिति दर्शाती है। सन् 1911 में भारत की जनसंख्या 25.2 करोड़ थी, जो 10 साल बाद वर्ष 1921 में घटकर 25.1 करोड रह गयी थी। दस वर्षों में 10 लाख जनसंख्या की कमी हुई। सन् 1947 में भारत का विभाजन हुआ और पाकिस्तान का जन्म हुआ, तब भी भारत की जनसंख्या 36.1 करोड़ थी। यह जनसंख्या में कमी का दृश्य था। वर्ष 1991 की जनगणना से ही संकेत मिलने लगा था कि भारत जल्दी ही चीन को पीछे छोड़ देगा। वर्ष 2011 की जनगणना से यह तथ्य उभर कर आया है कि जनवृद्धि की दर में कमी आयी है, किन्तु जिस तरह की कमी अपेक्षित थी, वह नहीं हो पाया। फिर भी जनवृद्धि की गति स्थिर या कुछ मायने में कम होती दिखाई दे रही है। यह दृश्य वर्ष 1971 की जनगणना से ही शुरु हुआ था, जो वर्ष 1981 की जनगणना में स्पष्ट दिखाई देने लगा। तब से वृद्धि दर में कमी बनी हुयी है।

‘एक बच्चे’ की तानाशाही और प्रशासनिक नीति के अनुरूप चीन द्वारा जनवृद्धि पर नियंत्रण की योजना को पूरी दुनिया ने अचरज के रूप में देखा, जबकि भारत ने स्वयं प्रेरणा से परिवार नियोजन की नीति को अपनाया। यद्यपि यह सही है कि आज भी देश में बड़ी संख्या में लोग अशिक्षित हैं, फिर भी भारतवासी अपने अच्छे व सुखी भविष्य को लेकर जागरुक हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इन तथा कथित अशिक्षित लोगों ने भी जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए स्वत:स्फूर्त कदम उठाया है।

भारत एक बौद्धिक देश है। यहाँ का समाज सही अर्थों में समझदार है। इस बौद्धिकता और समझदारी का उपयोग भविष्य में जनसंख्या वृद्धि दर को नियंत्रित करने में करना चाहिए। यद्यपि जनसंख्या नियंत्रण से ही सभी समस्याओं का समाधान हो जाऐगा, ऐसा मानना उचित नहीं है। पूर्व राष्ट्रपति डा. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम देश में जनवृद्धि को सकारात्मक रूप में देखते हैं। यहाँ पर युवकों की संख्या सर्वाधिक है। ये युवक सुशिक्षित हैं। आज आवश्यकता इस बात की है देश के विकास में इन युवकों की कुशलता व क्षमता का उपयोग किस तरह से किया जाये। यही सबसे सही मार्ग भी है।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: birth controldeath ratehindi vivekhindi vivek magazineindiaper capita populationPopulationpopulation growth

अमोल पेडणेकर

Next Post
जाने वो कौन सा देश, जहां तुम चले गए

जाने वो कौन सा देश, जहां तुम चले गए

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0