DRDO: आत्मनिर्भर भारत को बड़ी सफलता, इस टेक्नॉलिजी में भारत बना चौथा देश

आप किसी पर तब तक निर्भर रहते है जब तक आप को यह लगता है कि वह व्यक्ति आप की मदद करेगा लेकिन जब आप यह ठान लेते है कि अब मुझे किसी की मदद की जरुरत नहीं है और मैं खुद से सब कुछ कर सकता हूं तब फिर आप को कोई भी आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता है। भारत भी आत्मनिर्भर के क्षेत्र में इसी गति से आगे बढ़ रहा है और अलग अलग क्षेत्रों में नया मुकाम हासिल कर रहा है। केंद्र की मोदी सरकार ने सभी से आत्मनिर्भर बनने की अपील की है और देश के युवाओं को यह संदेश दिया है कि आप का किसी और के पास जाकर नौकरी करने से बेहतर खुद रोज़गार के अवसर पैदा करें जिससे ना सिर्फ आप आत्मनिर्भर बनेंगे बल्कि कुछ लोगों को रोज़गार भी मुहैया करा सकेंगे।

आत्मनिर्भर के क्षेत्र में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने भी एक बड़ा मील का पत्थर साबित किया है डीआरडीओ ने सोमवार को हाइपरसोनिक टेक्नॉलिजी डेमोनस्ट्रेटर वीइकल का सफल परीक्षण कर भारत के नाम एक और इतिहास रच दिया। इससे पहले इसका परीक्षण जून 2019 में किया गया था लेकिन उस दौरान यह पूरी तरह से सफल नहीं हो सका था। इस परीक्षण में देश मे निर्मित सक्रेमजेट प्रपल्शन सिस्टम का इस्तेमाल हुआ है।
डीआरडीओ के इस सफल परीक्षण से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री दोनों ही काफी खुश है। राजनाथ सिंह ने एक ट्वीट कर सभी वैज्ञानिकों को इसकी बधाई दी और कहा कि डीआरडीओ देश के आत्मनिर्भर मिशन को तेजी से आगे ले जा रहा है।रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस सफल परीक्षण के बाद अब यह अगले चरण की तरफ प्रस्थान करेगा।

 

हाइपरसोनिक टेक्नॉलिजी डेमोनस्ट्रेटर वीइकल के सफल परीक्षण के बाद अब भारत इसका इस्तेमाल मिसाइल और सेटेलाइट लांचिंग के लिए करेगा। इससे पहले भारत को इसके लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता था। इस नई टेक्नॉलिजी के माध्यम से हम कम खर्च में मिसाइल और सेटेलाइट तैयार कर सकेंगे इसके साथ ही भारत दुनिया के उन देशों में शामिल हो गया जिनके पास यह टेक्नॉलिजी पहले से मौजूद थी। अमेरिका, रुस और चीन के बाद भारत चौथा देश है जिसके पास हाइपरसोनिक टेक्नॉलिजी डेमोनस्ट्रेटर वीइकल की सुविधा मौजूद है।

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