चीन के साथ लदाख मे ठंडे मौसम में लढ्ने के लिए भारतीय सेना पूरी तरह से तैयार.लेकिन चीनी सेना तैयार नही?

दो-तीन दिन पहले भारत और चीन के फॉरेन मिनिस्टर के बीच में एक मीटिंग हुई जहां पर एक एग्रीमेंट के ऊपर साइन किया गया. क्या इसी से भारत चीन सीमा के ऊपर शांति का निर्माण होगी ?. जिस तरीके से जमीन पर कार्यवाही हो रही है, ऐसा लग रहा है कि  शांतता निर्माण होने में और बहुत समय लगने वाला है बल्कि जमीन के ऊपर चाइना की आक्रामकता बिल्कुल कम नहीं हुई है.
जब तक लद्दाख का सवाल है, लद्दाख में नवंबर के पहले हफ्ते के बाद बहुत ज्यादा बर्फ गिरती है. जिस कारण वहां पर काफी जगह पर 3० फीट- 40 फीट बर्फ जमा हो जाती है, रास्ते बंद हो जाते है, टेंपरेचर -30 से लेकर -40 तक चला जाता है, इस दौरान वहां पर जोरों की ठंडी हवा बहती है वातावरण का टेंपरेचर और गिर जाता है. सैनिक हाय एटीट्यूड में मौसमके साथभी लड़ाई करते हैं .लेकिन अच्छी बात यह है विंटर वॉरफेर के लिए हाई एटीट्यूड हमारी फौज बिल्कुल पूरी तरह से तैयार है.
ग्लोबल टाइम्स और चाइना के मीडिया के अंदर इन प्रकार की रिपोर्ट आई है शायद इंडियन आर्मी की लॉजिस्टिक सप्लाई चेन है एडिक्यइट नहीं है और शायद इंडियन आर्मी पूरी तरह से विंटरमे लड़ाई नहीं कर पाएगी.य ह एक अप प्रचार या दुष प्रचार युध्द है जो यह बिल्कुल गलत है.() ईस्ट लद्दाख में इंडियन आर्मी विंटर के अंदर भी लड़ाई करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. ऐसा माना जाता है कि सेना अपने पेट के ऊपर चलती है इस लिए लॉजिस्टिक या आर्मी की एडमिनिस्ट्रेटिव रिक्वायरमेंट यह बहुत ही इंपॉर्टेंट होती है. जिसके अंदर सैनिकों के कपड़े जो कि ठंड के लिए परफेक्ट होने चाहिए, सैनिकों का राशन क्योंकि ठंड के हिसाब से होना चाहिए, सैनिकों के वेपन्स, वेपन्स को मेंटेन करने के लिए विषेश तेल, सामान, कई अलग-अलग प्रकार की चीजें, पानी को रखने के लिए जगह,  सैनिकके बंकर के अंदर हिटिंग अरेंजमेंट यह बिल्कुल जरूरी है. ये सुविधाए पहिले ही दी हुइ है.
इसका कारण यह है कि इंडियन आर्मी को हाई अटीटूट में लड़ने का बहुत ज्यादा एक्सपीरियंस है. कारगिल में हमारी आर्मी हाई अटीटूट अंदर है. इसके अलावा लदाख में भी हमारी इंडियन आर्मी हाई अटीटूट के अंदर है. काफी सालों से हमारी आर्मी हाई अलटीटूट लढ रही है. इसलिय विंटर के पहले और विंटर के समय किस प्रकार से मेंटेनेस की जाए यह इंडियन आर्मी को बहुत अच्छी तरह से पता है. सैन्य की विंटर टॉकिंग होती है विंटर शुरू होने से पहले, जब रास्ते खुले होते है . हम भाग्यशाली देश है लद्दाख में जाने के लिए हमारे पास एक नहीं बल्कि दो रास्ते हैं. एक रास्ता जो है वह जम्मू से श्रीनगर से जोजिला पास, जोजिला पास से कारगिल, कारगिल से लेहके लिए यह रास्ता है. इससे विंटर टॉकिंग की स्पीड तेज होती है. लद्दाख में जाने के लिए हमारे पास दूसरा रास्ता हिमाचल प्रदेश से होकर गुजरता है. यह रास्ता हिमाचल के खरकदूंगला से जाता है. अच्छी बात यह है कि अटल बिहारी टनलका काम पूरा हो गया है.
इसके अलावा लद्दाख के अंदर हवाइ मार्ग से भी है. इसका भी इस्तेमाल एयर मेंटेनेंस के लिए हो रहा है. विंटर टॉकिंग की तैयारी 100% पूरी हो गई है क्योंकि हमने इसकी अच्छी तरीके से प्लानिंग की है. जिसी भी चीज की जरूरत है वह यहाँ पर मौजूद है. नवंबर में ठंड के कारण जब रास्ते बंद हो जाते हैं. हमने मोर्डन बर्फ़ निकालनेवाली क्लीनिंग मशीन वहा लगाइ है. जिससे नवंबर में बंद होने वाला रोड  एक से दो महिना ज्यादा खुला रहेगा.इससे हमें मेंटेनेंस के लिए और ज्यादा वक्त मिलेगा और डेली मेंटेनेंस भी चालू रहेगी.
काफी अतिरिक्त फ़ौज़ चीनी चीनी बॉर्डर पर लाई गई है. चाइना पर हमला करना है उसके लिए एडिशनल सोल्जर आर्मी ने अलग-अलग जगह से लाया हुआ है. एडिशनल सोल्जर के लिए भी जो मेंटेनेंस पूरी तरह से स्टॉक हो गया है. सोल्जर के लिये ECC यानी की एक्स्ट्रा कोल्ड क्लाइमेट में इतना होने वाला क्लॉदिन लगता है हमने सोल्जर के लिए अच्छा क्लोदीन का इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे उनकी हेल्थ अच्छी रहेगी. सोल्जर का स्पेशल राशन (हाई कैलोरी डाइट) , न्यूट्रिशन अच्छा है. डॉक्टरस ने बताया हुआ हाय कैलोरी डाइट, न्यूट्रिशस डाइट स्टॉक हो गया है.
तोफे, टैंक के लिए जो हाई स्पीड डीजल लगता है उसे भी स्टॉक कर लिया गया है.
इसके अलावा पानी की जरूरत होती है पानी के लिए हमने अलग-अलग जगह पर बोरवेल का इस्तेमाल किया है. जहां पर बोरवेल पॉसिबल नहीं है वाटर पॉइंट को इस्टैब्लिश किया है. इसके बारे में इंडियन आर्मी के इंजीनियर को बहुत अनुभव है कि हमारे ट्रोफ को पानी दे सके बल्कि लोकल लोगों को भी इसका फायदा पहुंचे. इस दौरान वहां पर हमारे कई एनिमल्स(घोडे/खच्चर) भी है उनकी भी अरेंजमेंट हो गई है. सोल्जर बनकरसे लड़ते हैं और  लिविंग बनकर्मे आराम करते हैं. इन दोनों जगह पर फुल हिटेट किया हुआ है. जब टेंपरेचर – 30  और -40 तक पहुँचता है सोल्जर को कंफर्टेबली रहने के लिए हीटर की सुविधा दी गई है. फ़ायरिंग होती है इसलिये बंकर्सपे ओवरहेड प्रोटेक्शन लगाइ है.
 एम्यूशन जो लड़ाई के लिए चाहिए वह बिल्कुल तैयार है. किंमती अम्युनिशन ,मिसाइल अगर खुले आसमान के नीचे रखें तो खराब हो सकती है. आर्मी की मेडिकल सिस्टम दुनिया में सबसे बढ़िया है. चीनी व्ह्यायरस/कोविड-19 से इस समय पूरी दुनिया प्रभावित है . इंडियन आर्मी ने इस का इतना अच्छा मुकाबला किया है की बाकी देशों की आर्मीस ने सीखना चाहिए कि कोरोना से कैसे लड़ा जाए. हमारे मेडिकल स्टाफ लढाइके लिए पूरी तरह से तैयार है. अंडर ग्राउंड ऑपरेशन थिएटर है, मेडिकल टीम है, फॉरवर्ड सर्जिकल टीम है. आपको बता दूं जहां पर सोल्जर जख्मी होता है वहीं पर फॉरवर्ड मेडिकल टीम पहुंच कर ट्रीटमेंट देती है, फॉरवर्ड सर्जिकल ऑपरेशन किया जाता है इसके अलावा इलाके की प्रॉब्लम को भी कंट्रोल किया जाता है. कुल मिलाकर विंटर की जो लड़ाई है इसके लिए इंडियन आर्मी तैयार है.
अगर इंडियन आर्मी की तुलना चायनीज से करें तो, वहां पर हालत काफी खराब है. चाइनीस सोल्जर अपनी पीठ पर ऑक्सीजन लेकर आते हैं. चाइनीस सोल्जर का शरीर काफी कमजोर होता है. क्योंकि वह अप्पर मिडल क्लास को बिलॉन्ग करते हैं उनका जन्म वन चाइल्ड पॉलिसी के तहत हुआ है. कंप्यूटर गेम खेलने की आदत है, सॉफ्ट लाइफ जीने की आदत, लड़ाई ना करने की उनकी तैयारी, टफ क्लाइमेट में रहना उनकी बस की बात नहीं है. चाइनीस आर्मीका कैजुअल्टी रेट वेदर के कारण बढ़ने वाला है.
ग्लोबल टाइम्स में एक एडिटोरियल इंडियन आर्मी को एड्रेस कर लिखा है की इस इलाके में रहने से ,लड़ाई लड़कर आर्मी को किसी तरह का फायदा नहीं होगा. यानी की वो मैसेज दे रहे हैं कि हम दोनों बॉर्डर से पीछे चलते हैं आराम से रहते हैं. चीनी लड़ाई के लिए तैयार नहीं है. हमारी एयर मेंटेनेंस पूरी तरह से तैयार है. लेकिन चाइना के एयरपोर्ट लद्दाख में 13000-14000 के ऊपर है. यानी कि इस विंटर के अंदर चीनी सैनिकों का बहुत बुरा हाल होने वाला है . लड़ाई में दो चीजें होती एक तो सेनाकी कैपेबिलिटी और दूसरा इंटेशन. आज उन्होंने 50 से 60 हजार फौज लद्दाख लाकर रखी है. क्या वो उसके हमला करेंगे की नहीं यह आनेवाला समय ही बताएगा. लेकिन अगर वो भारतीय आर्मी से पंगा लेती है तो चीन का काफी नुकसान हो सकता है. लॉजिस्टिकली इंडियन आर्मी लड़ाई के लिए लद्दाख में पूरी तरह से तैयार है.

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