‘अभ्यास’ के सफल परीक्षण के बाद DRDO सफलता के एक पायदान और उपर चल गया। अभ्यास के सफल परीक्षण के बाद अब सेना की भी ताकत और बढ़ जायेगी। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने लड़ाकू ड्रोन ‘अभ्यास’ का उड़ीसा में सफल परीक्षण किया। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने अभ्यास नाम के हाई स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट का फ्लाइट टेस्ट सफलतापूर्वक किया। अब इसे भारतीय थल सेना को सौंप दिया जाएगा जिससे युद्ध के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों को इससे काफी फायदा मिलेगा।
‘अभ्यास’ नामक ड्रोन को डीआरडीओ के एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट द्वारा डिज़ाइन किया गया है। डीआरडीओ के मुताबिक अभ्यास ड्रोन को एक इनलाइन छोटे गैस टरबाइन इंजन पर तैयार किया गया है। यह पूरी तरह से भारत में विकसित ड्रोन है और इसका इस्तेमाल नेविगेशन के लिए भी किया जाएगा। वहीं इस सफल परीक्षण के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी सभी को बधाई दी और कहा कि इस सफल परीक्षण के बाद देश और मजबूत होगा।
DRDO की तरफ से तैयार इस ड्रोन में पांच मुख्य हिस्से हैं
1. नोज कोन
2. इक्विपमेंट बे
3. ईंधन टैंक
4. हवा पास होने के लिए एयर इनटेक बे
5. टेल कोन
‘अभ्यास’ कैसे काम करता है ?
इस लड़ाकू ड्रोन को एक छोटे से गैस टरबाइन इंजन पर तैयार किया गया है यह ड्रोन एम ई एम एस नविगेशन सिस्टम और फ्लाइट कंट्रोल कंप्यूटर के सहारे पर काम करता है। इस ड्रोन में ईपीए से बना परिवहन और भंडारण के लिए अलग से बॉक्स भी लगा है इसके अंदर एक क्रॉस लिंक पॉलीएथिलीन फोम सामग्री है इस पर मौसम तरल बूंदे और कंपन का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
‘अभ्यास’ इस्तेमाल कहा होगा?
इस लड़ाकू ड्रोन को एक छोटे से गैस टरबाइन इंजन पर तैयार किया गया है यह ड्रोन एम ई एम एस नविगेशन सिस्टम और फ्लाइट कंट्रोल कंप्यूटर के सहारे पर काम करता है। इस ड्रोन में ईपीए से बना परिवहन और भंडारण के लिए अलग से बॉक्स भी लगा है इसके अंदर एक क्रॉस लिंक पॉलीएथिलीन फोम सामग्री है इस पर मौसम तरल बूंदे और कंपन का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
‘अभ्यास’ इस्तेमाल कहा होगा?
अभ्यास के रडार क्रास सेक्सन और विजुअल इंफ्रारेड सिंग्नेचर का प्रयोग विभिन्न प्रकार के विमानों और हवाई सुरक्षा उपकरणों में किया जा सकता है। यह जैमन प्लेटफार्म और डिकॉय के रुप में कार्य कर सकता है।