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गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत पर आधारित ऊर्जा निर्माण के साधन

गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत पर आधारित ऊर्जा निर्माण के साधन

by हिंदी विवेक
in अगस्त-२०१२
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सौर-ऊर्जा

मानव का विकास तथा उन्नति में विद्युत ऊर्जा को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। वर्तमान स्थिति में बिजली का निर्माण करने के लिए आवश्यक कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस, पारंपरिक ईंधन का भंडारण दिनों-दिन घटता जा रहा है। वर्तमान में बिजली की बढ़ती खपत के मद्देनजर गैर-पारंपरिक ऊर्जा संसाधनों के जरिए बिजली निर्माण पर ध्यान दिया जाने लगा है। मानव के दैनिक जीवन में सौर-ऊर्जा के बढ़ते उपयोग के मद्देनजर गैर पारंपरिक ऊर्जा मानव के जीवन की एक महत्वपूर्ण कड़ी बन चुका है। भारत में हर साल लगभग 50,000 करोड़ यूनिट सौर ऊर्जा का सृजन होता है। सौर-ऊर्जा के दोे प्रकार हैं- 1- सौर औष्णिक ऊर्जा 2- सौर विद्युत ऊर्जा

सौर औष्णिक ऊर्जा साधन

सौर औष्णिक तकनीक में सौर ऊर्जा का उपयोग घरेलु, व्यावसायिक तथा औद्योगिक क्षेत्रों में पानी को गर्म करना, वाष्प तैयार करके अन्न तैयार करने के साथ- साथ विद्युत निर्माण कार्य के लिए किया जाता है।

सौर उष्ण जल संयंत्र

सौर उष्ण जल संयंत्र में सूर्य की किरणें सौर संकलन पर एकत्रित करके उसके माध्य्म से औष्णिक ऊर्जा तैयार की जाती है। यह औष्णिक ऊर्जा पानी में दी जाती है। इस कारण पानी का तापमान बढ़ता है। गर्म पानी को सभी तरफ से ऊष्णतारोधक किये गए हिस्से में एकत्रित किया जाता है। इस कारण औष्णिक ऊर्जा का अपव्यय रोका जा सकता है। सौर- ऊष्ण जल संयंत्र में पानी का तापमान 60 से 80 अंश सेल्सियस तक बढ़ाया जाता है। इस प्रकार के संयंत्र घरेलु, व्यापारिक और औद्योगिक क्षेत्रों में स्थापित किए जा सकते हैं। साधारणतः 100 लीटर प्रतिदिन की क्षमता रखने वाले संयंत्र से 1500 यूनिट बिजली की बचत होती हैं।

विशेषताएं

1- ऊर्जा के खर्च में कमी
2- 24 घंटे गर्म पानी की आपूर्ति
3- संपूर्ण सुरक्षित तथा अत्यल्प देखभाल
4- ज्यादा समय तक टिकने वाली
5- प्रदूषण विरहित

औद्योगिक क्षेत्रों में सौर औष्णिक ऊर्जा का उपयोग

औद्योगिक क्षेत्रों में सौर औष्णिक ऊर्जा का उपयोग प्रभावी रूप से किया जा सकता है। वर्तमान में लकड़ी, खनिज तेल, पारंपरिक ईंधन का उपयोग औद्योगिक क्षेत्रों के बायलर में किया जाता है। ये सभी ईंधन के किस्म तय किए गए प्रमाण के आधार पर उपलब्ध है, आने वाले समय में इनकी कीमतों में भी वृद्धि होने के प्रबल आसार हैं।

सौर उष्ण जल संयंत्र के प्रोत्साहन के लिए प्रयत्न

महा ऊर्जा के प्रयत्नों के कारण राज्य की विंभिन्न महानगरपालिकाओं तथा नगरपालिकाओं ने नए गृह प्रकल्पों के लिए सौर उष्ण जल संयंत्र स्थापित करना अनिवार्य करनेे के साथ- साथ 13 महानगरपालिकाओं ने सौर ऊष्ण जल संयंत्र स्थापित करने वाले नागरिकों को करार में 10 प्रतिशत छूट दी है। निःशुल्क राज्य सरकार के सहकार, विपणन तथा वस्त्रोद्योग विभाग ने शासनादेश के आधार पर राज्य सहकारी गृह निर्माण संस्था की छत पर सौर साधनों की स्थापना करने के लिए लगने वाली जगह संस्था के सदस्यों को निःशुल्क देना अनिवार्य कर दिया गया है।

सौर चूल्हा

सौर उष्णता खाना पकाने के काम में भी आ सकती है । इस कारण ईंधन में बचाव होता है। घरेलु ईंधन की कीमतें हर साल बढ़ने से गृहणियों की परेशानी बढ़ रही हैं, ऐसी हालत में सौर-चूल्हा उनके लिए वरदान साबित हो रहा है।

सामूहिक सौर चूल्हा ( शफलर कुकर)

सामूहिक सौर चूल्हा नामक संयंत्र अर्धगोलाकार डिश द्वारा सूर्य की किरणें एकत्रित करके उसे संग्रहक पर परिवर्तित की जाती है। इस कारण संग्रहक का तापमान सामान्यतः 550 से 650 अंश सेल्सियस तक पहुंचता है। इस संग्राहकों में पानी को गर्म कर उसकी भाप तैयार की जाती है। ये भाफ पाईप के माध्यम से रसोईघर में अनाज पकाने के लिए भेजी जाती है। श्री सांई बाबा संस्थान शिर्डी में विश्व का सबसे बड़ा इस तरह का संयंत्र लगाया गया है, इसके माध्यम से 170000 व्यक्तियों के लिए अन्न पकाया जाता है।

सौर प्रकाशकीय साधन

सौर पैनल पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों के माध्यम से विद्युत ऊर्जा का निर्माण किया जाता है। सौर कंदील, सौर पथदीप, सौर घरेलु दीप, सौर पानी निकालने वाला पंप और विद्युत यंत्र जैसे प्रकाशीय संयंत्रों का दैनिक कार्यों में उपयोग धीरे- धीरे बढ़ता जा रहा है ।

सौर कंदील

सौर कंदील सौर प्रकाशकीय विद्युत कार्य प्रणाली पर कार्य करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रात के समय खेत में जाने तथा भारनियमन के समय विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए यह बहुत ही उपयुक्त साधन है। सौर कंदील का वजन बहुत कम होता है, इस कारण इसे कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता है। सौर कंदील में सौर पैनल, विद्युत घट, दीप, नियंत्रक आदि का समावेश रहता है।

सौर घरेलू दीप

भारनियमन के कारण ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों को पढ़ाई में आने वाली बाधा को दूर करने के लिए सौर घरेलू दीप को उपयोग में लाया जा रहा है। इतना ही, नहीं इस यंत्र से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को भारनियमन के समय में घर के काम करने में आसानी होती है। सौर घरेलू दीप सौर प्रकाशीय विद्युत कार्य प्रणाली पर कार्य करते हैं, ये संयंत्र अलग- अलग मॉडलों में उपलब्ध हैं। इस दीप से लागातार तीन घंटे तक विद्युत प्रकाश प्राप्त किया जा सकता है।

सौर पथदीप

राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में जिन स्थानों पर बिजली नहीं पहुंची है, अथवा भारनियमन के कारण जिन रास्तों पर बिजली नहीं है, इस कारण ग्रामीण जनता को रात के समय रास्ते पर चलना मुश्किल हो जाता है। सौर पथदीप के मुख्य घटकों में 74 वॉट फोटोवोल्टाईक मॉड पुल, 11 वॉट का सीएफएल, 80ए एच बैटरी, इलेक्टानिक निर्माण के लिए अनुकूल परिस्थिति
बॉयोगैस निर्माण की प्रक्रिया सक्षमता से जारी रखने के लिए संयंत्र में अनुकूल परिस्थिति सदैव बनी रहनी चाहिए। इस परिस्थिति को बनाए रखने के लिए विभिन्न घटकों पर आश्रित रहना पड़ता है। तापमान, पी एच मूल्य, पूर्ण घन पदार्थों की मात्रा, कार्बनिक पदार्थ, धारणा काल, भरण मात्रा, निर्वातीय स्थिति, जीवाणुओं की संख्या आदि का बॉयोगैस के निर्माण में अहम योगदान है।

बॉयोगैस संयंत्र की किस्में

1- स्थिर घुमट वाला संयंत्र
2- लटकती टंकी वाला संयंत्र

बॉयोगैस का उपयोग

बॉयोगैस एक उत्कृष्ट ईंधन है। बॉयोगैस मिथेन तथा कार्बास्त वायु का मिश्रण होता है। बॉयोगैस में 55 प्रतिशत मिथेन होने पर 1 घनमीटर बॉयोगैस की ऊष्णता दर 4700 किलो कैलोरी होती है। इस गैस का उपयोग मुख्यतः निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जा सकता है।

– भोजन बनाने के लिए
– बिजली आपूर्ति खंडित होने की स्थिति में
-डीजल इंजन चलाने के लिए
– खाद के रूप में
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Tags: bio energybio fuelshindi vivekhindi vivek magazinenon-conventional energyrenewable energysolar energywind energy

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