हठयोग के साधक मेढ़को की महानिद्रा
बरसात का मौसम समाप्त होते ही मेढ़क जमीन के भीतर से चार से सात फीट गहरे बिल में महानिद्रा में लीन होने लगते हैं। मेढ़क का फुफ्सुस आदिम स्थिति में होने के कारण श्वसन क्रिया के लिए वह पूरा नहीं पड़ता।
बरसात का मौसम समाप्त होते ही मेढ़क जमीन के भीतर से चार से सात फीट गहरे बिल में महानिद्रा में लीन होने लगते हैं। मेढ़क का फुफ्सुस आदिम स्थिति में होने के कारण श्वसन क्रिया के लिए वह पूरा नहीं पड़ता।
अब तक भारत में कहीं भी भूगर्भीय ऊर्जा निर्माण प्रकल्प स्थापित नहीं किया गया है। महाराष्ट्र में नई तकनीक पर आधारित भूगर्भीय ऊर्जा केंद्र स्थापित करने के लिए महाऊर्जा मेसर्स थरमैक्स लि. तथा मेसर्स टाटा पावर लिमिटेड ने सामूहिक रूप से कार्य किए हैं
मानव का विकास तथा उन्नति में विद्युत ऊर्जा को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। वर्तमान स्थिति में बिजली का निर्माण करने के लिए आवश्यक कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस, पारंपरिक ईंधन का भंडारण दिनों-दिन घटता जा रहा है।
महाराष्ट्र में महा ऊर्जा के सहयोग से पवन ऊर्जा प्रौद्योगिकी केंद्र चेन्नई ( सी- वेट) के सहयोग से वायु परिमापन कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
भारत में जिस गति से जनसंख्या का विस्तार हो रहा है, उसी तरह ऊर्जा के विविध स्रोतों की तलाश भी निरंतर की जा रही है। अक्षय ऊर्जा स्रोतों की तलाश भी इसी कड़ी में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
रोटी, कपड़ा और मकान ये हर व्यक्ति की मूलभूत जरूरत के रूप में पहचाने जाते हैं, लेकिन विकास के इस युग में रोटी, कपड़ा और मकान के साथ-साथ ऊर्जा का भी समावेश करना पड़ेगा।
देश के उज्ज्वल चरित्र पर गर्व करते हुए मैं बाहर आ गया और देश के विकास के प्रति आश्वस्त हो गया। इन वेद-शास्त्रों से भी जो आश्वस्त न हो, उसे क्या आप भारतीय कहेंगे?
स्वतंत्रता शब्द सुनते ही एक अलग प्रकार का आनंद होता है, इस आनंद को अभिव्यक्त करने का सभी का अलग-अलग अंदाज हो सकता है।
एक विदेशी खेल क्रिकेट पर जरूरत से ज्यादा खर्च और अन्य खेलों की तरफ जरा भी ध्यान न देने की रणनीति के कारण भारतीय खिलाड़ियों के हौसले बुलंद होने के बाद भी ओलंपिक स्पर्धाओं में देश का प्रदर्शन अच्छा नहीं रह पाता।
मुंबई में 26/11 के हमले को अंजाम देने की पाकिस्तानी साजिश के सूत्रधार लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी जबीउद्दीन अंसाारी की गिरफ्तारी से हिन्दु आतंकवाद का राग आलापने वालों की कलई खुल गयी।
भारतीय संस्कृति में अतिथि को भगवान का रूप माना गया है। तैत्रीय उपनिषद् में कहा गया है ‘अतिथि देवो भव’। कथासरितसागर कार सोमदेव भट्ट के अनुसार ‘यथाशक्त्यतिथै: पूजा धर्मो हि गृहमोधिनाम्’ अर्थात् अपनी शक्ति के अनुसार अतिथि का सत्कार करना गृहस्थ का धर्म है।
पारसी समाज पिछले कई दशकों में तेजी से सिकुड़ता जा रहा है। इस समाज की जनसंख्या अब ऐसे घटती जा रही है कि अगले कुछ ही बरसों में ‘पेस्तन काका’ क्या पु. ल. देशपांडे जी (विख्यात मराठी साहित्यकार) की किताबों में ही पाये जाएँगे? ऐसा भय कहीं दिखाई दे रहा है।