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थोड़ी सी मिली है सफलता, अभी बहुत है बाकी

थोड़ी सी मिली है सफलता, अभी बहुत है बाकी

by प्रा. सुरेंद्र बाजपेई
in सामाजिक, सितंबर- २०१२
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कामयाबी उसे ही मिलती है, जो लगातार परिश्रम करता है। कहा भी गया है कि करत-करत अभ्यास ते जड़मति होत सुजान, इसी तर्ज पर भारतीय खिलाड़ियों को लंदन ओलंपिक के विभिन्न खेल स्पर्धाओं में ज्यादा पदक जीतने की लगातार कोशिशें करती रहनी चाहिए। भारत ने इस ओलंपिक में गत बीजिंग ओलंपिक के मुकाबले दुगुने पदक जीतने में कामयाबी जरुर पाई। भारत के नाम पर छह पदक दर्ज हुए हैं, लेकिन इसे बहुत बड़ी सफलता मानना ठीक नहीं, क्योंकि छह पदक पाने वाल्े भारत का नाम पदक तालिका में 55 वें स्थान पर है। भारत जैसे विशाल देश के नजरिए से देखा जाए तो उसे मिले पदक बहुत कम हैं। अगर भारत के खिलाड़ी को किसी भी स्पर्धा में एक भी स्वर्ण पदक मिलता को पदक तालिका में उसका स्थान 55 न होकर 49 वें स्थान पर आ जाता।

भारत के 81 खिलाड़ियोें ने इस खेल महाकुंभ में हिस्सा लिया था और सिर्फ छह खिलाड़ी ही पदक जीतने में सफल हो पाए। भारत की ओर से हॉकी के लिए 16, बॅडमिंटन के लिए पांच, तीरंदाजी के लिए 9, मुक्केबाजी के लिए 8, ऍथिलेटिक्स के लिए 14, कुश्ती के लिए 5, शूटिंग के लिए 11, टेनिस के लिए 7, वेटलिफ्टिंग के लिए 2, टेबल टेनिस के लिए 2, तैराकी के लिए 1, रोईंग के लिए 3, ज्यूडो के लिए 1 खिलाड़ी को लंदन ओलंपिक के लिए भेजा गया था । अमेरिका ने इस ओलंपिक के लिए 25 खेलों के लिए 525 खिलाड़ियों की टीम भेजी थी। रूस ने 27 खेलों के लिए 436 खिलाड़ियों की टीम भेजी थी, जबकि चीन की ओर से 22 खेलों के लिए 330 खिलाड़ियों ने लंदन ओलंपिक में शिरकत की। जनसंख्या में महाराष्ट्र से भी छोटे देश ने स्वर्ण पदक तो जीता, पर भारतीय खिलाड़ी स्वर्ण पदक के लिए तरसते रहे। कुश्ती, मुक्केबाजी, निशानेबाजी, रेडिंग तथा बैडमिंटन खेलों को छोड़कर अन्य खेलों में भारतीय टीम के खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके। भारत ने 2 रजत और 4 कांस्य को मिलाकर कुछ छ: पदक जीते। शूटिंग में विजय कुमार ने रजत पदक तथा गगन नारंग ने कांस्य पदक जीता। कुश्ती में सुशील कुमार ने रजत तथा योगेश्वर दत्त ने कांस्य पदक जीता। बॅडमिंटन में सायना नेहवाल ने कांस्य पदक तथा बॉक्सिंग में मेरी कोम ने कांस्य पदक जीता। दो ऑलिंपिक खेलों में लगातार रजत पदक जीतने वाले सुशील कुमार पहले भारतीय खिलाड़ी हैं। कुश्ती के 16 किलो वजन वर्ग में रजत पदक जीतने वाले सुशील कुमार कुश्ती के आयकॉन बन गये।

लेकिन स्वर्ण पदक जीतने का उनका सपना अधूरा रह गया। इंडिया…इंडिया…इंडिया और सुशील, सु..शील, सु..शील के तालियों से और सिटी खाकर खुशी व्यक्त की जा रही थी। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने सुशील कुमार के लिए एक करोड़ के पुरस्कार की घोषणा की। जहां तक इस ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन का सवाल है तो यही कहा जाएगा कि बिक्र समूह के अन्य देशों की तुलना में भारत पदक पाने में काफी पीछे रहा। बिक्र समूह में भारत के अलावा ब्रजील, रूस, चीन का भी समावेश है। इस लिहाज से भारतीय ओलंपिक संगठन को यह देखना होगा कि ब्रिटेन में भारत का प्रदर्शन कैसा रहा? हम अन्य देशों की तुलना कहां रहे तथा हमेंं अगले ओलंपिक तक कैसी तैयारी करनी है। यह ठीक है कि भारत पदक न पाने वाले देशों की सूची में शामिल नहीं रहा। भारत का प्रदर्शन पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल जैसे दक्षिणी एशियाई देशों के मुकाबले काफी अच्छा रहा, पर हमें इन फिसड्डी देशों की ओर नहीं, उन देशों की ओर देखना है जो हमसे पदक-तालिका में काफी आगे हैं। लंदन ओलंपिक में मिली सफलता के बारे में इतना ही कहना ठीक होगा कि थोड़ी सी मिली है, सफलता, अभी बहुत है बाकी। सुशील कुमार ने बीजिंग 2008 और लंडन 2012 लगातार दो ऑलिपिंक में रजत पदक जीता। योगेश्वर दत्त कुश्ती में तीसरे खिला़ड़ी बने, जिसने कांस्य पदक जीता। बल्गेरिया के अनातोली इलारोवीच गुईदा को योगेश्वर ने हराया था, लेकिन रूस के बेसिक कुहुखाँवजे से हार स्वीकारनी पड़ी। भारतीय सेना में कार्यरत विजय कुमार ने 25 रैपिड फायर में भारत को रजत पदक दिलावाया। क्वालिफायरिंग राऊंड में विजय ने 585 अंक प्राप्त किये और अपने पाँच प्रतिद्वंदियों को आसानी से शूट आऊट कर दिया। हिमांचल प्रदेश के हमीदपुर जिले के हरसौर गांव में 1985 में जन्मे विजय हरसौर का हीरा माने गये, उनकी जीत पर गांव में खुशियां मनायी गयी। इसी तरह गगन सारंग ने अंतिम राऊंड में 103.1 अंक अर्जित किये प्राथमिक राउंड ने 598 अंक प्राप्त किये थे। 58 शाटस् में 53 निशाने अचूक थे, उसकी एकाग्रता से उसे जीत दिखायी। अंजली भागवत ने गगन नारंग की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय शूटर्स का दर्जा गगन ने दिखा दिया।

सुपर मॉम मेरी कोम ने महिलाओं के 51 किलो वर्ग में ह्युनोशिया की मारौली राहाली को 6-15 से हराया। पुरुषों का खेल माने जाने वाले बॉक्सिंग में मुक्केबाजी में कांस्य पदक दिलाकर भारत की महान नारी बन गयीं।

खेलों के महाकुंभ में भारत का प्रदर्शन लगातार सुधरता जा रहा है। बीजिंग में भारत को एक स्वर्ण सहित कुल तीन पदक मिले थे। इस बार लंदन ओलंपिक में पदकों का आकड़ा 6 तक पहुंच गया। ओलंपिक की पूर्व तैयारी के लिए 145 करोड़ रूपये खर्च किए गए। ओलंपिक खेल इतिहास में भारत को पहला पदक 1928 में मिला था। हॉकी में लगातार 24 मुकाबले जीतने वाले भारत का प्रदर्शन धीरे-धीरे खराब होता गया और देश के राष्ट्रीय खेल में भारत को पदक से दूर रहना पड़ा है। अब हॉकी के स्थान पर कुश्ती, बैंडमिटन, मुक्केबाजी, निशानेबाजी के खिलाड़ियों से भारत को काफी आशाएं हैं। खेल मंत्री अजय माकन के आशा जताई है कि 2020 तक ओलंपिक खेलों में भारत की पदक संख्या 25 तक पहुंच जाएगी। अब देखना यह है कि लंदन ओलंपिक में भारत को मिले 6 पदक अगली बार दहाई तक भी पहुंच भी पाते हैं या नहीं। अगले ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा, रंजन लोधी, मानवजीत सिंह संधु, दीपिका कुमारी, विजेंद्र सिंह, परूपल्ली कश्यप, विकास गौड़ा, कृष्णा पुनिया, जयदीप कमाकर, जो इस बार पदक नहीं जीत सके, इन सबसे उम्मीद है कि वे कम से कम कांस्य पदक तो जीत सकते हैं, इसलिए यह कहना गलत नहीं की अगली बार भारत के पदकों की संख्या दस या उससे अधिक निश्चित तौर पर हो जाएगी, इस बार जो खिलाड़ी रजत पदक तक पहुंचे, उनसे अगली बार स्वर्ण पाने की उम्मीद तो की ही जा सकती है।

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Tags: athletegameshindi vivekhindi vivek magazineindian olympic playerslondonolympicmedalsolympic

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