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लद्दाख की सर्दी में भारतीय जांबाज

लद्दाख की सर्दी में भारतीय जांबाज

by ब्रिगेडियर (नि) हेमंत महाजन
in अक्टूबर २०२०, देश-विदेश, सामाजिक
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भारतीय सेना ने लद्दाख में युद्ध की दृष्टि से सारी तैयारी पूरी कर ली है, जबकि चीनी सेना इसके लिए कतई तैयार नहीं है। यह तय है कि यदि युद्ध हुआ तो चीन को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।

दो-तीन दिन पहले भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई और एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। क्या इससे भारत चीन सीमा पर शांति का निर्माण होगी? जिस तरीके से जमीन पर कार्यवाही हो रही है, ऐसा लग रहा है कि शांति निर्माण होने में और बहुत समय लगने वाला है क्योंकि जमीन पर चीन की आक्रामकता बिल्कुल कम नहीं हुई है।

जहां तक लद्दाख का सवाल है, लद्दाख में नवंबर के पहले हफ्ते के बाद बहुत ज्यादा बर्फ गिरती है। कई जगह पर 30 फीट- 40 फीट बर्फ जमा हो जाती है। रास्ते बंद हो जाते हैं। तापमान -30 से लेकर -40 तक चला जाता है। जोरों की ठंडी हवाएं बहती हैं। वातावरण का तापमान और गिर जाता है। सैनिक ऊंचाई पर मौसम के साथ भी लड़ाई करते हैं। लेकिन अच्छी बात यह है शीत के मौसम में ऊंचाई पर युद्ध करने के लिए हमारी फौज पूरी तरह से तैयार है।

    ग्लोबल टाइम्स और चीन की मीडिया में इस प्रकार की रिपोर्ट आई है कि शायद भारतीय सेना की आपूर्ति शृंखला पर्याप्त नहीं है और शायद भारतीय सेना शीत में लड़ाई नहीं कर पाएगी। यह एक दुष्प्रचार युध्द है, जो यह बिल्कुल गलत है। पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना शीत के मौसम में भी लड़ाई करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। ऐसा माना जाता है कि सेना अपने पेट के बल चलती है। इसलिए रसद और प्रशासकीय जरूरत बहुत माने रखती है। अतः सैनिकों के कपड़े ठंड सहने वाले होने चाहिए, सैनिकों का राशन ठंड के हिसाब से होना चाहिए, सैनिकों के हथियार, उनकी देखभाल के लिए विषेश तेल, सामान, कई अलग-अलग प्रकार की चीजें, पानी रखने के लिए जगह,  सैनिकों के बंकर के अंदर गर्मी के लिए व्यवस्था बिल्कुल जरूरी है। ये सुविधाएं पहिले ही दी हुई हैं।

इसका कारण यह है कि भारतीय सेना को ऊंचाई पर लड़ने का बहुत ज्यादा अनुभव है। कारगिल में हमारी ऊंचाई पर है। इसके अलावा लदाख में भी ऐसी ही स्थिति है। काफी सालों से हमारी सेना ऊंचाई पर लड़ती रही है। इसलिए शीत के मौसम में रखरखाव का उसे अच्छी तरह पता है। अभी इस समय लद्दाख पहुंचने के लिए हमारे पास एक नहीं दो रास्ते हैं। एक रास्ता जो है वह जम्मू से श्रीनगर से जोजिला दर्रे, वहां से कारगिल, कारगिल से लेह के लिए है। इससे सर्दी के मौसम में सामानों का संग्रह तेजी से किया जा सकता है। लद्दाख में जाने के लिए हमारे पास दूसरा रास्ता हिमाचल प्रदेश से होकर गुजरता है। यह रास्ता हिमाचल के खरकदूंगला से जाता है। अच्छी बात यह है कि अटल बिहारी सुरंग का काम पूरा हो गया है।

इसके अलावा लद्दाख के लिए हवाई मार्ग भी है। इसका भी इस्तेमाल एयर मेंटेनेंस के लिए हो रहा है। सर्दी के मौसम की तैयारी 100% पूरी हो गई है। जिस भी चीज की जरूरत है वह यहां पर मौजूद है। नवंबर में ठंड के कारण जब रास्ते बंद हो जाते हैं तब बर्फ हटाने वाली आधुनिक मशीन वहां लगाई है। जिससे नवंबर में बंद होने वाला रोड एक से दो महिना ज्यादा खुला रहेगा। इससे हमें रखरखाव के लिए और ज्यादा वक्त मिलेगा और दैनिक रखरखाव भी जारी रहेगा।

इसके अलावा पानी की जरूरत होती है पानी के लिए हमने अलग-अलग जगह पर बोरवेल का इस्तेमाल किया है। जहां पर बोरवेल संभव नहीं है जल-स्थल स्थापित किया गया है। हमारे इंजीनियर इस बारे में बहुत अनुभव रखते हैं कि हमारे स्टाफ को पानी तो दे बल्कि स्थानीय लोगों को भी इसका फायदा पहुंचे। इस दौरान वहां पर हमारे कई पशु (घोडे/खच्चर) भी हैं। उनकी भी व्यवस्था हो गई है।

लड़ाई के लिए जरूरी गोलाबारुद बिल्कुल तैयार है। कीमती हथियार, मिसाइलें अगर खुले आसमान के नीचे रखें तो खराब हो सकती हैं। आर्मी की मेडिकल सिस्टम दुनिया में सबसे बढ़िया है। चीनी वायरस/कोविड-19 से इस समय पूरी दुनिया प्रभावित है। भारतीय सेना ने इसका इतना अच्छा मुकाबला किया है। बाकी देशों की सेनाओं को सीखना चाहिए कि कोरोना से कैसे लड़ा जाए। हमारा मेडिकल स्टाफ लड़ाई के लिए पूरी तरह से तैयार है। अंडर ग्राउंड ऑपरेशन थिएटर है, मेडिकल टीम है, फॉरवर्ड सर्जिकल टीम है। आपको बता दूं कि जहां पर सैनिक जख्मी होता है वहीं पर फॉरवर्ड मेडिकल टीम पहुंच कर ट्रीटमेंट देती है, फॉरवर्ड सर्जिकल ऑपरेशन किया जाता है। कुल मिलाकर भारतीय सेना तैयार है।

    अगर भारतीय सेना की तुलना चीनी सेना से करें तो, वहां पर हालत काफी खराब है। चीनी फौजी अपनी पीठ पर ऑक्सीजन लेकर आते हैं। वे शरीर से काफी कमजोर होते हैं; क्योंकि वे ऊंचे मध्यम वर्ग से आते हैं। उनका जन्म वन चाइल्ड पॉलिसी के तहत हुआ है। कंप्यूटर गेम खेलने की आदत है, सॉफ्ट लाइफ जीने की आदत, लड़ाई ना करने की उनकी तैयारी, टफ क्लाइमेट में रहना उनके बस की बात नहीं है। चीनी सेना के हताहतों की दर मौसम के कारण बढ़ने वाली है।

ग्लोबल टाइम्स में एक भारतीय सेना के बारे में एक सम्पादकीय लिखा गया है कि इस इलाके में रहने से, लड़ाई लड़ने से किसी को फायदा नहीं होगा। यानी कि वे संदेश दे रहे हैं कि हम दोनों सीमा से पीछे चलते हैं, आराम से रहते हैं। चीनी लड़ाई के लिए तैयार नहीं हैं। हमारी एयर मेंटेनेंस पूरी तरह से तैयार है। लेकिन चीन के एयरपोर्ट लद्दाख में 13000-14000 के ऊपर हैं। यानी कि इस विंटर के अंदर चीनी सैनिकों का बहुत बुरा हाल होने वाला है। लड़ाई में दो चीजें होती है एक तो सेना की क्षमता व इच्छाशक्ति। आज उन्होंने 50 से 60 हजार फौज लद्दाख लाकर रखी है। वे हमला करेंगे कि नहीं यह समय ही बताएगा। लेकिन अगर वो भारतीय सेना से पंगा लेते हैं तो चीन को काफी नुकसान हो सकता है।

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