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उमर खालित बड़ी साजिश में शामिल

उमर खालित बड़ी साजिश में शामिल

by रुपेश गुप्ता
in अक्टूबर २०२०, सामाजिक
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उमर खालिद को केवल भड़काऊ भाषण के लिए ही नहीं बल्कि दिल्ली में हिंदू विरोधी दंगों में अहम भूमिका निभाने के लिए भी किया गया है गिरफ्तार किया गया है। इससे एक बड़ी साजिश का भंड़ाफोड़ हुआ है।

उमर खालिद को गिरफ्तार करने के बाद स्पेशल सेल के पास उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए 180 दिन का समय होगा। अब तक उमर खालिद के खिलाफ चार्जशीट दायर नहीं की गई है। हालांकि एफआईआर 114 और एफआईआर 59 सहित कई अन्य चार्जशीट में उमर खालिद की भूमिका स्पष्ट रूप से उल्लिखित है।

हाल ही में जेएनयू के पूर्व छात्र और पूर्व सिमी सदस्य के बेटे उमर खालिद को दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों में अहम भूमिका निभाने के लिए गिरफ्तार किया गया है। ये दंगे 24 फरवरी को हुए थे और इसमें 50 से अधिक लोगों की जाने गई थीं। उमर खालिद पर कठोर यूएपीए (णअझअ) के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया है।

उमर खालिद और अन्य अभियुक्तों की गिरफ्तारी के बाद वामपंथी और इस्लामिक नेटवर्क ने एक साथ पूरे सिस्टम पर यह आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस मामले को गढ़ रही है और उन लोगों को गिरफ्तार नहीं कर रही है जिन्होंने वास्तव में पूर्वोत्तर दिल्ली में हिंसा भड़काई थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि जिस भाषण के लिए उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है, उसे अगर पूरी तरह से सुना जाए तो हिंसा करने के लिए कही भी कहते नहीं सुना जा सकता। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि दंगा भड़कने पर उमर खालिद दिल्ली में नहीं था और इसलिए वह दोषी नहीं हो सकता है और पुलिस उस पर गलत आरोप लगा रही हैं।

उमर खालिद के पक्ष में दिए गए तर्क कुछ मायने नहीं रखते हैं। सबसे पहले यह तथ्य कि जब वह दंगा हुआ था उस समय वह दिल्ली में नहीं था, कोई बचाव नहीं है। उस पर खुद को पत्थर और बंदूक उठाने का आरोप नहीं लगाया गया है। उमर पर दंगों की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। उमर खालिद को यह कहकर बचाने का प्रयत्न किया जा रहा था कि जब वास्तविक हिंसा हुई थी तो वह यहां नहीं था। यह ठीक इसी प्रकार है कि ओसामा बिन लादेन को 9/11 के आतंकी हमले के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है क्योंकि वह उन विमान को नहीं उड़ा रहा था जो ट्वीन टावरों से टकराए थे।

दायर की गई अन्य चार्जशीट से यह पता चलता हैं कि उमर खालिद के नाम के संदर्भ में कोई भी आसानी से यह निष्कर्ष निकाल सकता है कि उसे केवल भाषणों के लिए गिरफ्तार नहीं किया गया है, हालांकि भाषण साजिश का एक हिस्सा है।

कई एफआईआर और बाद की चार्जशीट से हम इस बड़ी साजिश की झलक पा सकते हैं, जिस पर उमर खालिद पर आरोप लगाए गए हैं। सूत्रों ने यह भी पुष्टि की है कि उन्हें बड़ी साजिश में भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया है। भाषण का आरोप उनकी भूमिका के पीछे की पूरी कहानी नहीं है।

दिल्ली में हिंदू विरोधी दंगों की कैसे हुई शुरूआत

दिल्ली में हिंदू विरोधी दंगों के मामले में दायर अधिकांश चार्जशीट में अब तक की घटनाओं का एक विस्तृत कालक्रम है, जो दिसंबर की घटनाओं से शुरू होता है। आपको याद होगा कि 15 दिसंबर को जामिया मिलिया इस्लामिया में हिंसा भड़की थी। आरोपपत्र में कहा गया है कि कुछ छात्रों, जामिया के पूर्व छात्रों और राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों ने सीएए और एनआरसी के विरोध में सभा की और संसद भवन और राष्ट्रपति भवन की ओर मार्च करने का प्रयास किया। जब उन्हें रोका गया, तो उन्होंने पथराव शुरू कर दिया और हिंसा में लिप्त हो गए। इस प्रक्रिया में बसें जलाई गईं, कारें क्षतिग्रस्त की गईं, इसमें 2 व्यक्ति घायल हो गए और 10 पुलिसकर्मियों को भी चोटें आईं।

यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि जहां 15 दिसंबर को हिंसा भड़की थी, वहीं 14 दिसंबर को शरजील इमाम ने अपने भड़काऊ भाषण में बहुत ही स्पष्ट निर्देश दिए थे। उन्होंने 14 दिसंबर को ’चक्का जाम’ करके मुसलमानों से सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध करने के लिए उकसाया था। 15 दिसंबर को प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली से मथुरा जाने वाली सड़क को जाम करने की कोशिश की और हिंसा भड़क गई।

इसके बाद जामिया के अंदर तितर-बितर हुई भीड़ पीछे हट गई और हिंसा का एक नया सिलसिला शुरू हो गया। सामान्य संदिग्धों ने आरोप लगाया था कि पुलिस एक कॉलेज परिसर में प्रवेश करने की कोशिश कर रही थी और छात्रों पर क्रूरता कर रही थी, हालांकि सच्चाई इससे बहुत दूर थी। यह वास्तव में ये वे ही ’छात्र’ थे जिन्होंने हिंसा शुरू की थी और पुलिस केवल हिंसा को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही थी।

आरोपपत्र में उल्लेख किया गया है कि 15 दिसंबर की हिंसा के ठीक बाद जामिया समन्वय समिति सड़कों पर हो रहे विरोध और प्रदर्शन का समन्वय कर रही थी। उन्होंने विरोध करने के लिए मुसलमानों के कई नेताओं को बुलाया था। इसके अलावा आरोप पत्र में हर्ष मंदर का भी उल्लेख है, जिन्होंने 16 दिसंबर को हिंसा के लिए लोगों को उकसाया था। हालांकि अभी तक उन्हें आरोपी नहीं माना गया है।

15 दिसंबर से ही शाहीन बाग का विरोध भी शुरू हुआ। 17 दिसंबर को हिंसक भीड़ ने जाफराबाद इलाके में पथराव शुरू कर दिया था। इसके बाद 15 जनवरी से मुस्लिम प्रदर्शनकारियों ने विरोध प्रदर्शन के नाम पर 7 अलग-अलग क्षेत्रों में सड़कों को अवरुद्ध कर दिया। भड़काऊ नारे लगाए गए और यात्रियों को परेशान किया। यह वह 7 सड़कें हैं जो जाम कर दी गई थींः सीलमपुर – मदीना मस्जिद के सामने (15 जनवरी से), दयालपुर – फर्रुखिया मस्जिद के पास बृजपुरी पुलिया (17 जनवरी से), दयालपुर – भजनपुरा में चंद बाग मजार (17 जनवरी से), ज्योति नगर – आशारफिया मस्जिद के पास कर्दम पुरी पुलिया (17 जनवरी से), खजूरी खास – एक ब्लॉक मुख्य सड़क, श्री राम कॉलोनी (17 जनवरी से), भजनपुरा – पेट्रोल पंप के पास नूर-ए-लहि (18 जनवरी से) और शास्त्री पार्क – वाहिद जामा मस्जिद के पास (26 जनवरी से)।

उमर खालिद दिल्ली दंगों की घटनाओं के कालक्रम में फिट बैठता है

दिल्ली दंगों में उमर खालिद की भूमिका का पहला सबूत तब आया जब उसके द्वारा किया गया एक भाषण सामने आया। कथित तौर पर 20 फरवरी को अमरावती में भाषण दिया गया था। भाषण में उन्हें स्पष्ट रूप से यह कहते हुए सुना गया कि 24 फरवरी को जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत का दौरा करेंगे, तो मुसलमानों को अमेरिकी राष्ट्रपति को यह दिखाना चाहिए कि भारत के लोग सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ लड़ रहे हैं।

यह पूरा भाषण लगभग 17 मिनट लंबा था, जहां खालिद ने मुसलमानों को टारगेट करने की बात कही और फिर कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुस्लिमों खिलाफ अयोध्या का फैसला दिया और मुसलमानों ने विद्रोह नहीं किया था, तो सरकार ने इसे मान लिया वे मुसलमानों के खिलाफ कोई भी कानून ला सकते हैं।

भीड़ को और भड़काते हुए यह कहा कि सीएए बिल को मुस्लिमों को नुकसान पहुंचाने के लिए लाया गया है। खालिद का कहना है कि लोगों को सरकार को अपनी, ’औकात’ दिखानी चाहिए और इसे उखाड़ फेंकने के लिए सड़कों पर उतरना चाहिए। वह आगे कहते हैं कि अगर पर्याप्त लोग सड़कों पर उतरते हैं, तो पहले सीएए जाएगा, फिर एनपीआर और फिर एनआरसी और अंत में सरकार भी जाएगी।

इस भाषण के 4 दिन बाद 24 फरवरी को जैसा कि उमर खालिद ने भविष्यवाणी की थी, दंगे भड़क गए थे। अंकित शर्मा को ताहिर हुसैन के हाथों 50 से अधिक बार चाकू मारा गया था। दिलबर नेगी के हाथ और पैर काट दिए गए थे और उन्हें मुसलमानों द्वारा जिंदा जला दिया गया था। अल्ला हू अकबर और नारा ए तकबीर के बीच, हिंदुओं को विशेष रूप से टारगेट किया गया था।

वामपंथी और मुस्लिम नेताओं को इस भाषण में कुछ भी गलत नहीं लगा। उन्होंने वास्तव में इसे एक शांतिपूर्ण भाषण कहा और कहा कि इसमें कुछ भी नहीं है जो हिंसा को उकसाए। उन्हें इस बात में कुछ भी गलत नहीं लगता है कि उमर खालिद दंगों से पहले केवल 4 दिन पहले विशेष रूप से 24 फरवरी की तारीख का उल्लेख किया था और कहा था कि उस दिन, वे ’शो’ करेंगे कि वे सरकार के साथ कैसे लड़ते हैं।

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