देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को शुक्रवार को उनकी 96वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। भारतरत्न से सम्मानित अटल बिहारी वाजपेयी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और पियूष गोयल सहित तमाम नेताओं ने सदैव अटल समाधि पर श्रद्धांजलि दी। अटल बिहारी वाजपेयी की 96वीं जयंती पर उनके स्मारक सदैव अटल पर कार्यक्रम आयोजित किया गया जहां राजनीति जगत की जानीमानी हस्तियों ने सिरकत की। सभी ने पूर्व पीएम अटल बिहारी को याद किया और उनके देश प्रेम की गाथा को एक दूसरे से साझा किया।

पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के आदेश पर पूरे देश में 1975 में आपातकाल लगा दिया गया था जो 1977 तक चला। देश 21 महीने तक आपातकाल में रहा जहां हजारों लोगों की मौत हो गयी थी लेकिन सत्ता परिवर्तन होने के बाद इंदिरा गांधी को इस बात का डर सताने लगा कि अब जनता कहीं उनके खिलाफ विद्रोह ना कर दे या फिर सरकार कहीं बदले की भावना से कोई कार्रवाई ना कर दे। 1977 में अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री बनाए गये थे। शपथ ग्रहण के बाद अटल बिहारी वाजपेयी सीधे इंदिरा गांधी से मिलने उनके आवास पर पहुंच गये और उनके मन के डर को समझते हुए उन्हे आश्वासन दिया कि सरकार उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगी और जनता के बीच में किसी भी आप के विरोध में कोई बयान नहीं दिया जायेगा। पूर्व पीएम अटल जी ने इंदिरा गांधी को यह आश्वासन दिया कि आप के परिवार और पार्टी के खिलाफ कोई भी सत्ताधारी नेता बयान नहीं देगा और हिंसा भड़काने जैसी कोई साजिश नहीं की जायेगी।

बात सन 2004 की है जब अटल बिहारी वाजयेपी प्रधानमंत्री पद से विमुक्त हो चुके थे। मध्य प्रदेश में अपने जन्मदिन के दूसरे दिन एक कार्यक्रम के दौरान उन्होने परमाणु परीक्षण को लेकर एक खुलासा किया। अटल बिहारी वाजयेपी के परमाणु परीक्षण की कहानी तो सभी को पता है और उसके लिए सभी लोग अटल जी का धन्यवाद करते है क्योकि अमेरिका जैसे देश के खिलाफ जाकर यह परीक्षण करना इतना आसान नहीं था। मध्य प्रदेश में जनता को संबोधित करते हुए अटल बिहारी जी ने कहा कि, “जब में पीएम पद की शपथ ले रहा था तो पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव मेरे पास आये और एक कागज दिया जिस पर लिखा था बम तैयार है इसको सिर्फ फोड़ना है पीछे मत हटना” अटल जी की यह बात इतना बताने के लिए काफी थी कि इस परीक्षण का श्रेय कहीं ना कहीं पूर्व पीएम नरसिम्हा राव को दिया जा रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी की इसी यदा का कायल विपक्षी दल होता था क्योकि वह कभी श्रेय लेने के पीछे नहीं भागते थे।