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बदलाव की बयार चल रही है

बदलाव की बयार चल रही है

by डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी
in मार्च-२०१४, सामाजिक
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जब मैं लोगों से बात करता हूं कि प्रमुख परिवर्तन क्या होना चाहिए तो वे मुख्य रूप से तीन बातें कहते हैं। एक कि इस भ्रष्टाचार को मिटा दीजिए; हम इससे तंग आ गये हैं। दूसरी बात वे कहते हैं कि हमारे देश की अर्थ व्यवस्था में सिर्फ श्रेष्ठ लोगों को मौका मिल रहा है। हमें नौकरी की भीख नहीं चाहिए। नरेगा नहीं चाहिए। हमारे लिए स्थायी नौकरी की व्यवस्था होनी चाहिए। तीसरी बात यह कि हमारे देश के साथ जो छोटे-ब़डे देश छेड़छाड़ करते हैं, उन्हें हम मुंहतो़ड जवाब देने की स्थिति में होने चाहिए।

पाकिस्तान जब चाहे आ जाता है। हमारे जवानों के सिर काट देता है। पाकिस्तान क्या है? जिस देश के हमने एक बार दो टुक़डे किये। अब की बार उसके चार टुकड़े भी कर सकते हैं; परंतु उसके लिए मंशा होनी चाहिए। परिवर्तन संभव है; परंतु मंशा नहीं हो तो नहीं कर सकते।

दूसरी बात है कि शक्ति भी होनी चाहिए। हमारे पास वर्ल्ड क्लास एटम बम हैं। अर्थात शक्ति तो बहुत है, परंतु इतना होना पर्याप्त नहीं है। इस शक्ति के साथ जो मंशा होनी चाहिए वह मंशा नहीं है। मुझे बहुत पहले से लोग कहते थे कि इस देश में अगर कोई क्रांति लाएगा तो फकीर लाएगा, कोई अमीर नहीं लाएगा। फकीर ही ला सकता है। फकीर के पास से क्या ले जाओगे? आज मैं यह कहता हूं कि भ्रष्टाचार ने हम सभी को नपुंसक बना दिया है। किस तरह पहले इसका विचार कर लें। भ्रष्टाचार का अर्थ यह नहीं कि किसी अमीर आदमी ने मंत्री को पैसा दिया। मंत्री ने ले लिया, ये मुख्य बात नहीं है। इसका असर हमारे देश पर क्या होता है, यह देखना चाहिए। पहला असर यह होता है कि इस काला धन का एक हिस्सा विदेश चला जाता है हवाला के जरिये, एक हिस्सा हमारे देश में रहकर खर्च हो जाता है। खर्च किस बात पर होता है? आज उन्होंने फॉर्वड ट्रेडिंग खोल दी है, एग्रिकल्चर कमोडिटीज में। किसान थोक बजार में आते हैं। उनको माल बेचना है। वे कैश में पैसा लेते हैं। उनके पास चेक नहीं होता। जिनके पास काला धन है वे वैध रूप से ही बाजार में आते हैं, माल खरीदते हैं, उसे कोल्ड स्टोरेज में डाल देते हैं। इसके कारण बाजार में कृत्रिम कमी आती है और दाम बढ़ जाते हैं। मैं कहता हूं कि सरकार केवल एक काम करे कि 10-15 जगहों पर कोल्ड स्टोरेज पर छापे मारे। अपने आप दाम कम हो जाएगा। इसी प्रकार रुपये के दाम घटे हैं। इसके कारण भी मैं जानता हूं। क्योंकि एक दामाद दुबई में और एक बेटा सिंगापुर में करेंसी का फॉरवर्ड ट्रेडिंग कर रहे थे, जिसे शॉर्ट सेलिंग कहते हैं। जैसे मेरे पास डॉलर नहीं है। मैं आपसे कर्जा लेता हूं कि आप मुझे एक डॉलर दें 60 रुपये की कीमत पर और मैं आपको एक हफ्ते के बाद 62 रुपये वापस कर दूंगा। उस डॉलर को लेने के बाद, क्योंकि वह देश में रुपये फेंकता है तो रुपये की सप्लाई बढ़ती है और फलस्वरूप डॉलर का दाम बढ़ता है। अब उन दोनों को विश्वास है कि रिजर्व बैंक उनके 277 बिलियन डॉलर की जो रिजर्व है, उसमें से 20 बिलियन डॉलर निकाल कर मार्केट में नहीं फेंकेगी जिससे कि डॉलर का दाम घट जाएगा। यह विश्वास कौन दिलाएगा? वित्तमंत्री देगा। क्यों? क्योंकि उसका बेटा सिंगापुर में है। वह ये सब कर रहा है और दामाद तो देश का दामाद है। रॉबर्ट वाड्रा ने आजकल दुबई में रेजिडेन्ट स्टेट्स ले लिया है। उसको पता है क्या आने वाला है। अभी से उसकी तैयारी कर ली है, परंतु ये कोई बचने वाले नहीं हैं; क्योंकि हमारी सरकार का आना 100% निश्चित है। मैंने 77 में देखा तब भी लोगों को विश्वास नहीं था। मैं खुद जानता हूं, हमारी जनता पार्टी के नेताओं ने कहा था कि चुनाव नहीं ल़डना चाहिए। हमारे पास पैसा नहीं है। हमारे कार्यकर्ता जेल में हैं। इंदिरा गांधी बहुत पैसा खर्च करेंगी। हमारी जनता क्या जानेगी कि क्या-क्या अत्याचार हुए हैं। उन्हें तो अपना पेट भरना है। उन्हें लोकतंत्र से कोई मतलब नहीं है। इसमें केवल पढ़े-लिखे लोग ही रुचि रखते हैं। लेकिन धीरे-धीरे लगा कि जनता लोकतंत्र पर विश्वास करती है। वह चाहती है कि लोकतंत्र हो। फिर मतदान ऐसा हुआ कि जो अनपढ़ प्रदेश है वहां से कांग्रेस का सफाया ही हो गया। जो दक्षिण भारत के पढ़े-लिखे लोग हैं उन्होंने कांग्रेस को वोट दिया। देश के उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्य जहां अनपढ़ अधिक हैं, उन्होंने इंदिरा गांधी को हरा दिया। लोकतंत्र आया और दुनिया भर में हमारी प्रतिष्ठा बढ़ी

आज की ल़डाई यह है कि हजार साल पहले देश में जो ईमानदारी थी वह वापस आएगी इसका फैसला भी इन चुनावों में होगा। नरेन्द्र मोदी से कांग्रेस क्यों डरती है? क्योंकि वे सख्त हैं। मुलायम नहीं हैं। वे अगर किसी बेईमान को देखेंगे तो वे उसे जेल भेज देंगे। मैं तो उन्हें कानून सिखाने के लिए हूं ही कि कौन से कानून के अंतर्गत उन्हें अंदर कर सकते हैं।

भ्रष्टाचार के कारण देश में महंगाई है। भ्रष्टाचार के कारण हमारे देश में जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति के जो साधन हैं उसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है; क्योंकि काला धन कहां खर्च हो रहा है विलासपूर्ण घर बनाने में, जमीन खरीदने में, एक-एक कमरे में दुनिया की कीमती पेंटिंग खरीदकर लगाने में। इसका असर यह होता है कि लग्जरी गूड्स का रेट ऑफ रिटर्न और प्रॉफिट दोनों बढ़ता जाता है और जिनके पास पूंजी है वे कहते हैं कि मैं क्यों चप्पल बनाऊं या सस्ता कप़डा बनाऊं? यहां 5% रेट ऑफ रिटर्न मिल रहा है; जबकि वहां 25% रेट ऑफ रिटर्न मिल जाता है। इसलिए वे सारा निवेश मो़ड देते हैं। यहां आज हमारे देश को 70% पूंजी लग्जरी गूड्स प्रोडक्शन में प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से जा रही है। अत: आम जनता की आवश्यकता की पूर्ति हो ही नहीं पा रही है। इसका कारण है काला धन। एक मानसिकता बन गयी है। मिलावट करो, भ्रष्टाचार करो, खूब पैसा कमाओ। भ्रष्टाचार का एक और भयंकर परिणाम है। अत: मैं कहता हूं यह कैंसर जैसा है। मैं तो कहता हूं कैंसर, निमोनिया, एचआईवी की सब मिलाकर अगर कोई बीमारी हो सकती है तो वह है भ्रष्टाचार। इस पैसे को आप विदेशी बैंक में जमा करते हैं हवाला एजेंट्स के जरिये।

एक बार चिदंबरम और सोनिया ने बैठक की। सोनिया ने कहा यह बहुत खेद की बात है कि हम इतना पैसा विदेशी बैंकों में जमा करते हैं पर वे हमें ब्याज नहीं देते; बल्कि 2% का सर्विस चार्ज लगाते हैं। यह अन्याय है। इसके लिए कुछ सोचना चाहिए। चिदंबरम ने फिर एक पार्टिसिपेटरी नोट बनायी। यह किसी और देश में लागू नहीं होगा। केवल भारत में ही है। उसमें यह लिखा है कि आप अपने स्विट्जरलैंड बैंक या केमन आयरलैंड बैंक से पैसा निकालो और इस पैसे को आप बोरी या सूटकेस में ले जाओ। गोल्डमेन सैचेस या मार्गन स्टैंनली या प्रूडेंशियल इन्वेस्टमेंट में जाकर काउंटर पर बोरी रखो। इण्डिया का पासपोर्ट दिखाओ और कहो कि हमें पार्टिसिपेटरी नोट चाहिए। वे एक सुंदर सी नोट देंगे जिसमें न नाम होगा, न दिनांक, न नम्बर; केवल राशि होगी। उसे लेकर आप इण्डिया आओ। फोटो कॉपी रिजर्व बैंक को दो, वह आपको एक चिट देगा। उस चिट को मुंबई स्टॉक एक्सेंच के ब्रोकर को दीजिये। उसे वे रुपया मानकर इन्वेस्ट करेगा। इससे शेयर बढ़ेंगे। अगर आप पैसा लगाएंगे तो सेबी पूछेगी कि पैसा कहां से आया? किस बैंक से पैसा निकाला? परंतु चिदम्बरम ने एक काम और कर दिया कि अगर पार्टिसिपेटरी नोट लगा है तो सेबी को कोई हक नहीं है सवाल पूछने का, वे पैसा देंगे, शेयर बढ़ेंगे तो बेचेंगे। प्रॉफिट बुक करेंगे। रिजर्व बैंक उसे डॉलर में एक्सेंज करेगा और फिर यह डॉलर विदेशों में जमा हो जाएंगे। आज काला धन पर कई भ्रष्ट लोग कमा रहे हैं। शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव का कारण यही है।

हमारे देश में आज कितने बिलियन डॉलर आ गये हैं। इसमें भी एक समस्या थी। सोनिया गांधी ने चिदंबरम को समझाया कि जब आप शेयर ऊपर जाने पर बेचते हो तो केपिटल गेन टैक्स लगता है; जो कि 30% है। यह बहुत बड़ा अन्याय है। हम बाहर से पैसा लाते हैं और भारत सरकार हमारा पैसा ले जाती है। फिर चिदम्बरम ने एक कानून बनाया कि मॉरिशस की कोई कम्पनी अगर शेयर बाजार में निवेश करेगी तो उसे केपिटल गेन टैक्स नहीं लगेगा; क्योंकि मॉरिशस बहुत छोटा देश है। अप्रवासी भारतीयों का देश है; अत: उस पर टैक्स नहीं लगेगा। मॉरिशस में आप, एक डॉलर पर भी कम्पनी बना सकते हैं। सारे बेईमान मॉरिशस में कम्पनी खोलते हैं। उस नाम से भारत में निवेश करते हैं और उन्हे कैपिटल गेन टैक्स नहीं देना पड़ता। 2-जी घोटाले में मैंने पहली बार देखा कि जितनी भी 9-10 कम्पनियों को लाइसेंस मिला है उनका पता मॉरिशस का ही है। ये सब एक ही सड़क पर हैं। और आगे देखा तो एक ही बिल्डिंग में भी हैं। उसके भी आगे एक ही मंजिल के एक ही कमरे में हैं जिसमें ताला लगा है। इस तरह पैसा आता जाता रहता है।

इससे एक और जुड़ी बात है कि आप रुपये को डॉलर में कैसे बदलते हैं तो हवाला के जरिये। हवाला एजेंट का काम दुबई में होता हैं। दुबई में आप कोई भी ऐसे नाजायज व्यवहार तब तक नहीं कर सकते; जब तक आप पाकिस्तान की आई.एस.आई. को खबर नहीं देते। हवाला वाले पहले आई.एस.आई. को जाकर सलाम करते हैं और बताते हैं कि किस मंत्री का कितना पैसा कौन से खाते में जमा कर रहे हैं। उसके बाद ही उनको हवाला की अनुमति मिलती है। इसके मायने ये कि पाकिस्तान को पता है कि किस मंत्री का कौन सा खाता कहां है। तो क्या वो मंत्री ब्लैक मेल नहीं होंगे? पक्का होंगे।

सोनिया क्यों अमेरिका से कांपती हैं? क्योंकि सद्दाम हुसैन ने उन्हें तेल का पर्चा दिया था। मुफ्त में। जो अवैध था। सद्दाम को राष्ट्र संघ ने तेल बेचने का अधिकार नहीं दिया था; केवल दवाई के लिए पर्चा देने की अनुमति थी। उसने जिसको देना था दे दिया। फिर एक जांच बैठायी गई। होलकर कमेटी। उसने जांच में देखा कि हिंदुस्तान से 2 बड़ी किश्तों में मिलियन डॉलर में आये हैं। पर्चे का ऐसा था कि पर्चा आप किसी ऑयल कम्पनी को देते हो और वह कम्पनी उसके अनुदान में आपको पैसा दे देगी। पर्चे में दो लोगों का नाम आया। पहला नाम नटवर सिंह का आया। उन्हें सोनिया ने भेजा था। आजकल नटवर सिंह को थो़डा दूर रखा गया है। जब राहुल गांधी बोस्टन एयर पोर्ट पर पक़डे गये थे एक लाख 60 हजार डॉलर कैश के साथ, अमेरिका में बिना डिक्लेरेशन आप 10 हजार डॉलर से ज्यादा नहीं ला सकते और अगर लाये तो हर 10 हजार डॉलर के लिए 8 साल की सजा। अर्थात 1 लाख 60 हजार के लिए 144 साल की सजा। पर वे छूट गये और उन्हें कहा कि हमें भी पॉकेट मनी चाहिए। उसे भी पर्चा मिला और दूसरा पर्चा अमेरिका को मिला उसमें सोनिया गांधी का भी नाम था। फिर सोनिया ने अमेरिका से कहा जो आप कहेंगे मैं करूंगी। आपसे हवाई जहाज, हथियार जो खरीदना है, खरीद लूंगी। फिर उस समय जो होलकर कमेटी बैठायी थी। उस समय डेप्यूटी सेक्रेटरी जनरल थे शशि थरूर। उसने वह पर्चा जिसमें सोनिया का नाम था, अपने पास रख लिया और होलकर को झूठी रिपोर्ट दी, जहां सोनिया का नाम था, वहां कांग्रेस पार्टी का नाम था। उस दिन से सोनिया गांधी को अमेरिका से डर लगता है।

हमारे प्रधानमंत्री डरते हैं श्रीलंका जाने के लिए; परंतु उन्हें कोई डर नहीं है नवाज शरीफ से बात करने में। नवाज शरीफ स्वाधीन प्रधानमंत्री नहीं हैं। वे तालीबान के पिट्ठू हैं। तालीबान की मर्जी से आये हैं। आज तालीबान का प्रभाव उनकी सेना में है, उनकी आई. एस. आई. में है। तालिबान ने उनकी पुस्तिका में लिखा है कि हिंदुस्तान इस्लाम का अधूरा इतिहास है। कैसा अधूरा तो कहते हैं हम ईरान गये थे जब झोराष्ट्रियन वहां राज कर रहे थे। इस्लाम ने ईरान पर कब्जा करने के बाद 15 साल में उसे 100% मुसलमान बना दिया। ये मुझे पहले नहीं पता था। जब मैंने पुस्तिका पढ़ी तो पता चला। बगल में मेसोपोटामिया, बेबिलोन, जिसका नया नाम इराक है, उसे 17 साल में हमने 100% मुसलमान बना दिया। मिस्र को हमने 21 साल में 100% मुसलमान बना दिया। ईसाइयों के यूरोप को 50 साल में ईसाई बना दिया। परंतु हिंदुस्तान में मुसलमानों ने 800 साल राज किया, ईसाइयों ने 200 साल राज किया तब भी 80% हिंदू कैसे हैं। यहां के राजा महाराजाओं ने यह परवाह नहीं की कि हम हिंदू हैं मुसलमान हैं। शिवाजी के तो कमाण्डर चीफ भी मुसलमान थे। 1857 तक हिंदू मुसलमान मिलकर ल़डे। उसके बाद अंग्रेजों ने अपना खेल खेला। मैं यह कहता हूं कि ये जो हमारी संस्कृति है यह एकमात्र संस्कृति है जो आज तक खत्म नहीं हुई। हजारों साल चली। बाकी सब मिट गये। ग्रीस मिट गया, रोम मिट गया, मिस्र मिट गया, ईरान खत्म हो गया; परंतु हिंदुस्तान लगातार चलता रहा। जैसे गंगा में अनेक छोटी-छोटी नदियां मिलती जाती हैं, परन्तु गंगा गंगा ही रहती है। इस संस्कृति में कई लोग, कई संस्कृतियां मिलीं, परंतु इसकी मूल धारा में कोई परिवर्तन नहीं हुआ।

हमें हमारे देश को जो़डना है। हमें मानना चाहिए कि हम सब एक हैं। कोई बाहर से नहीं आया। इस संस्कृति के सही इतिहास का लिखना हमारा कर्तव्य है। मुरली मनोहर जोशी ने इसके लिए बहुत प्रयास किया परंतु उनका डटकर विरोध किया गया और वे यह काम पूरा नहीं कर सके। इस अधूरे काम को इस बार पूरा करना चाहिए। जैसे सन 77 में मैंने देखा इस बार भाजपा, अकाली दल और शिवसेना मिलकर 300 सीट का आंक़डा पार करेंगे आप देख लेना। हमें यह करना है। एक नया हिंदुस्तानी पैदा करना चाहिए। विराट हिंदुस्तानी जिसे हमारे इतिहास पर गर्व है, हमारी मिट्टी पर गर्व है।
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