सुरक्षित नारी, विकसित बच्चे

 म हिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने पिछले दो वर्षों में महिलाओं   एवं बच्चों के सर्वांगीण विकास की योजनाओं को न केवल और प्रभावी रूप से लागू किया, बल्कि कई नई योजनाओं को आरंभ किया| इससे महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक स्थिति में बेहतर बदलाव होगा| इन योजनाओं का संक्षिप्त विवरण निम्न है-

 बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओः

देश में विपरीत एवं घटता शिशु लिंग अनुपात चिंता का प्रमुख विषय है| सन २००१ में प्रति एक हजार लड़कों पर ९२७ लड़कियों का अनुपात था, जो अगले दस वर्षों में अर्थात २०११ में और घट कर ९१८ हो गया| मंत्रालय ने इस रुझान को रोकने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान आरंभ किया| सब से निम्न शिशु लिंग अनुपात वाले देश के १०० जिलों में इस अभियान को जनवरी २०१५ में शुरू किया गया| हरियाणा के पानीपत में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अभियान की शुरूआत की|

इस कार्यक्रम के लिए मीडिया पर देशव्यापी स्तर पर अभियान चलाया गया| आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं सोशल मीडिया, वाहन पर मोबाइल प्रदर्शनी, गीत एवं  नाट्य प्रभाग के सहयोग ४३०९ एवं सूचना प्रसारण मंत्रालय के फील्ड पब्लिसिटी प्रभाग से ११४ कार्यक्रमों के जरिए प्रभावित गांवों में अभियान को विस्तृत रूप दिया गया| सांसदों से अनुरोध किया गया कि वे अपने आदर्श गांव की योजना में लिंग अनुपात में सुधार के लिए कदम उठाए| सभी राज्यों में बहुआयामी जिला कार्यवाही योजनाएं बनाई गईं| जिला अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया, ताकि अभियान को अधिक सफल बनाया जा सके| इस कार्य में सहयोग के लिए कई संगठन आगे आए| अभियान का मोबाइल एप, फेसबुब, ट्विटर, यूट्यूब, वेब साइट माय गव.विकासपीडिया आदि सोशल मीडिया का अभियान के लिए बखूबी इस्तेमाल किया गया|

इस अभियान के कारण प्रभावित कम से कम ५० जिलों में सुधार का रुझान दिखाई दिया| अतः और ६१ जिलों में यह कार्यक्रम विस्तारित किया गया|

 ग्राम सुविधा केंद्रः

कें्रद एवं राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सबला, जन धन योजना, स्वच्छ भारत आदि योजनाओं/कार्यक्रमों से जरूरतमंद महिलाओं को जोड़ने के लिए ग्राम सुविधा एवं कवरेज सेवा आरंभ की गई| समन्वित बाल विकास योजना के तहत इसकी पहल लिंग अनुपात से सर्वाधिक प्रभावित १०० जिलों में की गई| इसे अब सर्वाधिक प्रभावित अन्य जिलों में विस्तारित किया जा रहा है|

 एकल केंद्रः

हिंसा से पीड़ित महिलाओं को एक ही स्थान पर पुलिस, मेडिकल, कानूनी सेवाओं एवं मानसिक सम्बल प्रदान करने के लिए मार्च २०१५ में एकल केंद्रों की स्थापना की योजना जारी की गई| निर्भय कोष से इसके लिए धन मुहैया किया जा रहा है| इन केंद्रों को १८१ एवं अन्य हेल्पलाइनों से संलग्न किया जा रहा है| हर राज्य में प्रायोगिम तौर एक केंद्र स्थापित किया जा रहा है| वर्तमान वित्त वर्ष में ३६ केंद्रों को मंजूरी दी गई, जिनमें से १० आरंभ हो गएा| अगले वित्त वर्ष में केंद्रों की संख्या ६६० हो जाएगी|

 महिला हेल्पलाइनः

संकट के दौरान महिलाओं की मदद के लिए देशभर में एक ही १८१ नम्बर की सेवा शुरू की गई| इस हेल्पलाइन के परिचालन के लिए अब तक २१ राज्यों ने धन मुहैया किया है|

 महिलाओं को पुलिस में आरक्षणः

पुलिस बल में महिलाओं को ३३% आरक्षण की पहल की गई| अब तक ७ राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों ने इसके लिए अनुमति प्रदान की है| अतिरिक्त महिला पुलिस अधिकारियों की नियुक्तियां की जा रही हैं| अन्य राज्यों में भी इस दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं|

विशेष महिला पुलिस स्वयंसेवक योजनाः

मंत्रालय ने इस योजना की रूपरेखा बनाई है और इसे मंजूरी के लिए गृह मंत्रालय को भेजा गया है| ये स्वयंसेविकाएं पुलिस एवं समुदाय के बीच मध्यस्थ का काम करेंगी और संकटग्रस्त महिलाओं की सहायता करेंगी| ये स्वयंसेविकाएं महिलाओं के प्रति हिंसा, घरेलू हिंसा एवं दहेज प्रताड़ना की सूचना देंगी| उन्हें इसके लिए पहचान-पत्र जारी किए जाएंगे| अच्छा कार्य करने वाली स्वयंसेविकाओं को वार्षिक रूप से पुरस्कृत किया जाएगा|

 कार्य स्थल पर लैंगिक उत्पीड़न निवारण कानून २०१३ः

इस कानून के अंतर्गत कम्पनियों द्वारा आंतरिक शिकायत समिति की स्थापना की घोषणा करना अनिवार्य कर देने का मंत्रालय ने सुझाव दिया है| केंद्र सरकार के मंत्रालयों एवं विभागों को भी इसकी सूचना दी गई है| शीर्ष व्यापार एवं वाणिज्य संगठनों से कहा गया है कि वे अपनी सदस्य कम्पनियों को इस पर अमल करने के निर्देश दें| इस कानून का संक्षिप्त विवरण देने के लिए सम्बद्ध लोगों एवं विशेषज्ञों से पुस्तिका तैयार की गई और उसे केंद्रीय एवं राज्य विभागों तथा व्यापारिक संगठनों को भेजा गया| यह पुस्तिका डब्लूडब्लूडब्लू. वीसीडी. एनआईसी. इन पर भी उपलब्ध है|

 महिलाओं को पुरस्कारः

अनोखा काम करने वाली महिलाओं को पुरस्कृत करने की मंत्रालय ने योजना आरंभ की है| महिलाओं द्वारा किए गए निस्वार्थ असाधारण कार्य को देश भर में राज्य एवं जिला स्तर पर पुरस्कृत किया जाएगा| इन पुरस्कारों का निर्णय राज्य करेंगे और अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर इन्हें प्रदान किया जाएगा|

मंत्रालय ने पहली बार फेसबुक के सहयोग से श्रेष्ठ १०० महिलाओं का सार्वजनिक नामांकन एवं मतदान के जरिए चयन किया| इन महिलाओं को राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे| महिलाओं के विशिष्ट कार्य को तवज्जो देने के लिए मीडिया से भी सहयोग किया गया| न्यूज वर्ल्ड इंडिया टीवी, ईटीवी एवं दूरदर्शन से ‘अब के बरस मोहे बिटिया ही दीजो’ कार्यक्रम प्रसारित किया जा रहा है, जो सालभर चलेगा|

 सबलाः

स्कूल छोड़ चुकी लड़कियों को कौशल सिखाने, पूरक पोषण दिलाने एवं बुनियादी स्वास्थ्य जांच की यह योजना है| यह योजना इस समय देश के २१० जिलों में चल रही है और अगले वित्त वर्ष में इसे देश के सभी जिलों में लागू कर दिया जाएगा| इस योजना का लक्ष्य ११ से १८ वर्ष की स्कूल छोड़ चुकी किशोरियों का सर्वांगीण विकास कर स्वावलम्बी बनाना है| इस योजना से ९८.९८ लाख किशोरियां लाभान्वित हुई|

 प्रशिक्षण एवं रोजगार में सहायताः

महिलाओं को प्रशिक्षण एवं रोजगार में सहायता करने के लिए इस योजना के दिशानिर्देशों में संशोधन किया गया, आवेदन प्रपत्र आसान बनाया गया और लाभार्थियों को अधिक लाभ दिलाने के लिए धन मुहैया किया गया| इस योजना का उद्देश्य ऐसा कौशल प्रशिक्षण देना है जिससे वे स्वयंरोजगार कर या उद्यमी बन कर स्वावलम्बी बन सके|

 राष्ट्रीय महिला कोषः

राष्ट्रीय महिला कोष से ॠण पाने वाली महिलाओं के लिए ब्याज दर इस वर्ष १४% से घटाकर १०% वार्षिक किया गया है| योजना के दिशानिर्देशों आसान बनाया गया है|

 महिलाएं एवं जैवीय उत्पादः

महिला कारीगरों को बाजार से सीधे जोड़ने के लिए ‘भारतीय महिलाएं’ शीर्षक से नई पहल शुरू की गई है| दो प्रदर्शनियां/बिक्री आयोजित की गई| इस वर्ष दिल्ली हाट के नाम से ‘महिलाएं एवं जैवीय उत्पाद’ पर अनोखी प्रदर्शनी लगाई गई| इसमें लेह से कन्याकुमारी एवं कोहिमा से कच्छ तक ६०० से अधिक महिला कारीगरों/उद्यमियों ने अपने जैवीय उत्पाद पेश किए| इसमें चावल की विभिन्न किस्मे, राजमा, दालें, मसाले, मधु, चाय एवं लकतल चाय, मशरुम, मधुमक्खियों की मोम, हस्तशिल्प, अचार , सब्जियों/फल, कपड़े, सौंदर्य प्रसाधन, जैवीय कीटनाशक आदि शामिल है|

 वैवाहिक वेबसाइटों का नियमनः

वैवाहिक वेबसाइटों पर नाम दर्ज करने वाली महिलाओं का पीछा करने एवं उन्हें उत्पीड़ित करने की शिकायतों में वृद्धि हुई है| इसे रोकने के लिए नियम बनाने में मंत्रालय ने पहल की है| वैवाहिक वेबसाइटों ने इस पर सहमति जताई है| वे संयुक्त रूप से आचार-संहिता तय करेंगे, जिसे सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय मंजूरी देगा|

 मोबाइल पर संकट बटनः

मोबाइल उत्पादक एवं सेवा कम्पनियों ने संकट के समय उपयोग में लाए जाने के लिए विशेष बटन मोबाइल पर लगाने पर सहमति जताई है| सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से अनिवार्य नियम की अधिसूचना जारी की जाएगी| मार्च २०१६ से यह योजना लागू की गई|

 प्रसव अवकाश में वृद्धिः

शिशु जन्म के बाद उसे मां का दूध प्राप्त हो इसके लिए प्रसव काल का अवकाश तीन माह से बढ़ाकर ६.५ माह करने का प्रस्ताव श्रम मंत्रालय ने स्वीकार किया है और इस दिशा में उचित कार्रवाई की जा रही है|

 वृंदावन में विधवाओं के लिए आश्रय स्थलः

वृंदावन में बेहाली में रह रही विधवाओं के लिए बड़े पैमाने पर आश्रय स्थलों के निर्माण का कार्य जनवरी २०१६ में आरंभ हो चुका है|

  मृत्यु प्रमाणपत्र में विधवा का नामः

पति के निधन के बाद उसकी विधवा को उसकी देय रकम प्राप्त करने के लिए मृत्यु प्रमाणपत्र में विधवा का नाम लिखना अनिवार्य किया जा रहा है| इस दिशा में रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया एवं राज्य सरकारों से विचार-विमर्श चल रहा है|

 राष्ट्रीय महिला नीतिः

महिलाओं पर राष्ट्रीय नीति को अंतिम रूप दिया जा रहा है| सभी सम्बंधितों एवं राज्य सरकारों से व्यापक विचार-विमर्श के बाद रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है|

 जेंडर चैम्पियनः

युवा लड़कों एवं लड़कियों को लैंगिक समानता के प्रति जागरूक करने के लिए जेंडर चैम्पियन योजना शुरू की गई है| उन्हें शिक्षा संस्थाओं के स्तर पर ही नियमों, कानूनों, कानूनी अधिकारों, जीवन-कौशल शिक्षा के प्रति जागरूक किया जाएगा| ८वीं के बाद हर कक्षा के लिए एक जेंडर चैम्पियन की पहचान की जाएगी| इसके लिए दिशानिर्देशों के अनुसार काम किया जा रहा है| विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग ने इस सम्बंध में विश्‍वविद्यालयों एवं कॉलेजों को अगस्त २०१५ में अधिसूचना जारी कर दी है|

 जिला महिला कल्याण समितियांः

बच्चों की सुरक्षा एवं कल्याण के लिए समन्वित बाल सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत देश के हर जिले में बाल कल्याण समितियां गठित की गई हैं| इसी तरह की समितियां महिलाओं के लिए भी गठित की जाएंगी|

इसी तरह बच्चों के कल्याण के लिए भी विभिन्न योजनाओं को शुरू किया गया, जिसका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-

बाल न्याय कानून संशोधनः

बढ़ते बाल अपराधों पर नियंत्रण के लिए इस कानून में संशोधन किया गया| इस विधेयक को संसद की मंजूरी मिल चुकी है| इससे बच्चों की देखभाल एवं सुरक्षा के लिए संस्थागत ढांचे में व्यापक सुधार किया गया है|

 गुम हो चुके बच्चेः

लापता, गुम या जबरन ले जाए गए बच्चों का पता लगाने, उनके पुनर्वास के लिए कदम उठाए जा रहे हैं| इसके तहत ‘खोया पाया- पोर्टल शुरू किया गया है| पोर्टल पर खो चुके या दिखाई दिए बच्चों के बारे में व्यापक विवरण होगा| पोर्टल पर करीब १५०० मामले आए और १४० बच्चे मिल जाने से उनके मामले बंद किए गए| २० रेलवे स्टेशनों पर ऐसे बच्चों का पता लगाने एवं उनकी सुरक्षा की व्यवस्था की गई है| स्वैच्छिक संगठन, बाल सहायता समूह, चाइल्ड लाइन इकाइयां इसमें रेलवे की सहायता करेंगे| संकट में पड़े बच्चों की सहायता के लिए ३८६ शहरों में चाइल्ड लाइन केंद्रों की स्थापना की गई| अगले वर्ष इसे और ५०० शहरों में स्थापित किया जाना है|

 गोद लेना आसानः

गोद लेना आसान बनाने के लिए मंत्रालय ने अगस्त २०१५ में संशोधित दिशानिर्देश जारी किए| आईटी गोद प्रणाली ‘केअरिंग्ज’ के तहत देश की सभी बाल सुरक्षा संस्थाओं को एक छत में लाया गया है और गोद लेने की प्रक्रिया पारदर्शी बनाई गई है| गोद लेने के लिए उपलब्ध बच्चों के लिए ‘केअरिंग्ज’ केंद्रीय डेटा प्रणाली होगी| गोद लेने के सूचनाओं के लिए टोल-फ्री हेल्पलाइन १८००-१११-३११ शुरू की गई है|

 प्रतिपोषक अभिभावकः

इस योजना के अंतर्गत इन बच्चों की परवरिश के लिए किसी एक परिवार के प्रतिपोषक अभिभावक (फॉस्टर पैरेंट्स) बनने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए गए है| इससे बाल परवरिश संस्थाओं की अपेक्षा इन परिवारों में बच्चों की अधिक अच्छी परवरिश हो सकेगी|

 आधार कार्डः

बाल परवरिश संस्थाओं में रहने वाले बच्चों के आधार कार्ड बनाए जाएंगे ताकि बड़े होने पर उन्हें सरकारी योजनाओं का उचित लाभ प्राप्त हो सके|

 सभी बाल संस्थाओं का पंजीयन अनिवार्यः

राज्य सरकारों को निर्देश दिया गया है कि हर बाल परवरिश संस्था  का पंजीयन अनिवार्य कर दिया जाए ताकि बच्चों को न्यूनतम मानक के अनुसार परवरिश एवं सुरक्षा प्राप्त हो सके| अधिकांश राज्यों में अपंजीयत संस्थाओं की पहचान का काम शुरू हो चुका है| इससे अधिकाधिक संस्थाओं को गोद लेने की सीमा में लाया जा सके और बच्चों को परिवार उपलब्ध हो सके|

 राष्ट्रीय पोषण मिशन

कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए राष्ट्रीय पोषण मिशन के रूप में नई पहल की गई है ताकि बच्चों को सही समय पर पूरक पोषण उपलब्ध हो सके| आईटी आधारित निगरानी प्रणाली के लिए साफ्टवेयर विकसित किया जा चुका है और यह प्रस्ताव मंत्रिमंडल की मंजूरी पेश किया जा चुका है| विभिन्न तरीके से सहायता करने वाली राष्ट्रीय एवं बहुराष्ट्रीय संस्थाओं की इसमें भागीदारी की योजना बनाई जा चुकी है|

 आंगनवाडी संरचनाओं का विस्तारः

एक अन्य पहल के तहत विश्‍व बैंक की आईसीडीएस योजना में सहायता वाले ८ राज्यों के अत्यंत पिछड़े २५३४ खंडों में दो लाख आंगनवाडी इमारतों के निर्माण की योजना आरंभ की गई है| ये राज्य हैं- आंध्र, बिहार, छत्तीसगड़, झारखंड, मप्र, महाराष्ट्र, राजस्थान एवं उप्र| इसके अलावा असम, ओडिशा एवं तेलंगाना में ग्रामीण विकास मंत्रालय की मनरेगा योजना के अंतर्गत प्रति वर्ष ५०,००० की दर से अगले चार वर्षों में यह निर्माण कार्य किया जाएगा| इसके दिशानिर्देश जारी कर दिए गए हैं| आईसीडीएस एवं मनरेगा के समन्वय से २० नवम्बर २०१५ तक २८,६१९ स्थानों की पहचान की गई है| सितम्बर २०१५ तक देश में आंगनवाडी केंद्रों की कुल संख्या १३,४७,८९० थी| कम्पनी सामाजिक दायित्व के अंतर्गत निजी क्षेत्र की कम्पनियां भी इस योजना में शामिल हुई हैं और वे ‘आधुनिक आंगनवाडियों’ का निर्माण करेगी| ऐसी आंगनवाडी में सौर ऊर्जा, ई-शिक्षा के लिए टीवी, साफसुथरे शौचालय एवं स्वच्छ पेयजल की सुविधा उपलब्ध होगी|

 जंक फूड दिशानिर्देशः

मंत्रालय ने जंक फूड के नियमन का अध्ययन करने के लिए कार्यदल का गठन किया| कार्यदल ने २३ देशों में जंक फूड का अध्ययन किया और अपनी सिफारिशें पेश कीं| स्कूलों में इसे उचित रूप से लागू करने के लिए मंत्रालय ने रिपोर्ट एवं सिफारिशों को मानव संसाधन मंत्रालय को भेजा है| इसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को भी भेजा गया है, ताकि भारतीय खाद्यान्न सुरक्षा मानक प्राधिकरण द्वारा मानक तय करते समय इन दिशानिर्देशों को ध्यान में रखें| रिपोर्ट में बच्चों के संदर्भ में जंक फूड को परिभाषित किया गया है और स्कूल कैंटीनों में इस पर पाबंदी लगाने के लिए कहा कहा गया| यही नहीं स्कूल के समय के दौरान खोमचे वाले या दुकानें इन व्यंजनों को किसी स्कूल से २०० मीटर के भीतर स्कूली गणवेशधारी छात्रों को नहीं बेच सकेंगे|

 फिल्म- कोमल

लैंगिक दुर्व्यवहार के प्रति बच्चों को सजग करने के लिए एनिमेशन फिल्म कोमल बनाई गई है, जिसे राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो चुका है| स्कूलों से कहा गया है कि इस फिल्म को वे बच्चों को दिखाए| इसमें अच्छा एवं बुरा स्पर्श किसे कहते हैं, इसे  दिखाया गया है| इसी तरह नव प्रसव माताओं को शिशु देखभाल के प्रति जागरूक बनाने के लिए फिल्म बनाई गई, जिसे प्रसव वार्डों में दिखाया जा रहा है|

 प्रशासकीय सुधार

१. ई-कार्यालयः मंत्रालय ने सक्षमता में सुधार के लिए ई-कार्यालय प्रणाली की योजना लागू की है| इससे सरकार का न केवल स्टेशनरी पर खर्च बचेगा, अपितु मामलों के निपटारे में समय की बचत होगी और गुणवत्ता में सुधार होगा|

२. राज्य महिला मंत्री सम्मेलनः राज्यों के महिला एवं बाल कल्याण मंत्रियों के वार्षिक सम्मेलन की पहल की गई है| पहले दो दिवसीय सम्मेलन में सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के मंत्री उपस्थित थे| इससे मंत्रालय की योजनाओं को लागू करने में समन्वय में सुविधा होगी| मासिक वीडियो-कांफ्रेंसिंग के जरिए हर माह मूल्यांकन किया जाता है|

३. पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षणः पंचायत स्तर पर चुनी गई महिला प्रतिनिधियों के प्रशिक्षण के लिए पहल की गई है| वर्तमान में आधे से अधिक महिला प्रतिनिधि निर्वाचित होती हैं और उन्हें पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण देने से शासन में सुधार आएगा|

 विभिन्न नई योजनाओं पर विचारः

मंत्रालय महिलाओं एवं बच्चों की स्थिति में और सुधार के लिए निम्न प्रस्तावों पर विचार कर रहा है- १. बच्चों के साथ रहने वाली अकेली महिला को कर राहत, २. सभी पंचायतों में बजट के १०% का महिलाओं के लिए आबंटन, ३. प्रतिपालक माताओं को भी प्रसव अवकाश, ४. गोद लेने वाले अभिभावकों को कर रिबेट, ५. सरकारी एवं सार्वजनिक प्रतिष्ठानों में नौकरियों के लिए स्पर्धात्मक परीक्षा देने के लिए शैक्षणिक योग्यता रखने वाली महिलाओं की आयु-मर्यादा को खत्म करना, ६. जो किसान कंगाल हो चुके हैं या आत्महत्या कर चुके हैं उनके बच्चों की सहायता के लिए राज्य राहत कोष की स्थापना करें, ७. अकेली कन्या संतान की शिक्षा के लिए प्रोत्साहन देना तथा ८. साइबर अपराध करने वाले बालकों को बाल कानून लागू करना|

 

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