नेता और अभिनेता दोनो ही मिलते जुलते नाम होते है लेकिन दोनों में फर्क बहुत होता था। अभिनेता कोई भी रोल कर सकता है क्योंकि उसका वास्तविकता से कोई लगाव नहीं होता जबकि नेता को पूरी तरह से सच्चा और वास्तविक होना होना है क्योंकि उसके साथ उसके लोगों की भावना जुड़ी होती है। एक नेता लाखों लोगों का प्रतिनिधि होता है और उसके बाद ही उसे नेता का तमगा मिलता है लेकिन यह सब बातें शायद अब लागू नहीं होती है अब नेता और अभिनेता में फर्क नहीं रह गया है क्योंकि अब नेता भी अभिनेता हो गये है और अलग अलग रूप में जनता के सामने आते है। 
हाल ही में राज्यसभा में जिस तरह से हंगामा देखा गया है वह वास्तव में दुखी करने वाला था। संविधान में सभी को आवाज उठाने की आजादी है लेकिन उसकी भी एक गरिमा और मर्यादा है जिसे लांघा नहीं जा सकता है लेकिन मंगलवार को कांग्रेस के नेता ने राज्यसभा में उसे भी पार कर दिया और किसानों के नाम पर जो किया उसे पूरे देश ने देखा। कांग्रेस जब तक सत्ता में थी तो कभी भी किसानों की हम दर्द नहीं बनी, लाखों किसानों ने आत्महत्या कर ली लेकिन विपक्ष में आने के बाद किसानों के नाम पर देश और लोगों को गुमराह किया जा रहा है और संविधान की सारी हदों को दरकिनार कर विरोध किया जा रहा है। 

देश के सदन को झगड़े का अड्डा बना लिया गया है जबकि यह सभी को पता है कि उसका एक दिन का खर्च कितना है जो देश की जनता के पैसों से चलता है। मंगलवार के हंगामे से दुखी उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि उन्हे उस रात नींद नहीं आयी क्योंकि इससे पहले ऐसा कभी देखने को नहीं मिला था। विरोध के लिए आवाज ही बहुत थी लेकिन इस तरह से टेबल पर चढ़ कर हंगामा करना और रुल बुक को फेंकना देश के लिए शर्म की बात है। उप राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसा लगता है कि सदन में कोई प्रतिस्पर्धा चल रही है कि कौन कितना बुरा विरोध प्रदर्शन कर लेगा। सदन के गर्भगृह में प्रवेश करना भी एक तरह का गैरजिम्मेदाराना व्यवहार है।   
यह वह समय है जब राजनीति का एक बदलता स्वरूप नजर आ रहा है और यह उन नेताओं के लिए परेशानी बन रहा है जो सच्ची राजनीति करते चले आ रहे है उनके लिए यह परिवर्तन असहनीय है। सत्ता और विपक्ष पहले भी चला करता था लेकिन सभी एक दूसरे का सम्मान और आदर कभी नहीं भूलते थे जबकि अब तो गाली तक सुनने को मिल जाती है। सत्ता सुख के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार है अगर जरूरत पड़ी तो दंगा, जातीय हिंसा, धर्म परिवर्तन सहित किसी भी चीज का सहारा लिया जा सकता है और कांग्रेस का इतिहास इससे पटा हुआ है। 
								
								
																	
															 
			

