BSF को मिला बड़ा अधिकार, क्या अवैध हथियार व ड्रग्स पर लगेगी रोक?

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बार्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) के अधिकारों में बढ़ोत्तरी की है जिससे देश की सीमा सुरक्षा को और मजबूत किया जा सकेगा। अभी तक BSF के जवान सिर्फ सीमा की सुरक्षा करते थे इसके साथ ही बहुत की कम दायरे में उन्हें अंदर की सुरक्षा का जिम्मा दिया गया था जिसे अब गृह मंत्रालय ने बढ़ा दिया है। अगर पंजाब की बात करें तो वहां पर BSF को सीमा के अंदर 15 किमी तक किसी तरह की कार्रवाई की इजाजत थी लेकिन अब इसे बढ़ा कर 50 किमी तक कर दिया गया। पंजाब में BSF के जवान सीमा से 50 किमी तक किसी भी तरह की तलाशी या जांच  कर सकते हैं। इससे पहले यह सीमा 15 किमी तक ही निर्धारित की गयी थी। 
 

सीमा सुरक्षा बल को मिले अतिरिक्त अधिकार के बाद अब वह सीमा से 50 किमी अंदर तक गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती का काम कर सकती है। इस अधिकार के बाद BSF के जवान पंजाब, असम और पश्चिम बंगाल में 50 किमी तक कार्रवाई करने में सक्षम होंगे जबकि बाकी के सीमावर्ती राज्यों को लेकर अलग अलग नियम बनाए गये है। गुजरात में BSF के लिए यह दायरा 80 किमी था जिसे कम कर 50 किमी किया गया है और राजस्थान में यह पहले से 50 किमी तय है तो यहां पर कोई भी परिवर्तन नहीं किया गया  है।    
 
सीमा सुरक्षा बल अधिनियम 1968 सरकार को इसमें परिवर्तन का अधिकार देती है और सरकार इसे परिवर्तित भी करती है। सीमा के बदलते हालात को ध्यान में रखते हुए इसमें परिवर्तन किया जाता है। पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम के साथ साथ BSF के जवान अब नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा, मणिपुर और लद्दाख में भी सर्च, गिरफ्तारी और जब्त करने का अधिकार रखते हैं। सरकार के इस फैसले का लोगों ने स्वागत किया है और कहा है कि इस कदम से सीमावर्ती राज्यों में घुसपैठ कम होगी। आपको बता दें कि BSF के जवान देश की सीमा की सुरक्षा करते हैं इसलिए उनकी गुणवत्ता पुलिस के मुकाबले कहीं अधिक होती है। पंजाब, राजस्थान सहित बॉर्डर राज्यों से अवैध हथियार और ड्रग्स की सप्लाई भारत में की जाती है। भारत में ड्रग्स की भी बड़ी मात्रा में खपत है इसलिए बाहरी देश यहां बेच मोटी रकम कमाना चाहते हैं। ऐसे में गृह मंत्रालय का यह फैसला काबिले तारीफ है।  
देश के करीब सभी राज्यों की पुलिस पर सवाल उठते रहते हैं। राज्य की पुलिस अक्सर करप्शन और काम को समय पर ना पूरा करने के आरोप लगते रहते हैं इसलिए आतंकी गतिविधियों को पुलिस के हाथ में छोड़ना एक बड़ा रिस्क है इसलिए सीमा सुरक्षा बल के जवानों को दिया गया अधिकार सही माना जा रहा है लेकिन सरकार के इस फैसले को कुछ लोग राजनीतिक चश्मे से देख रहे हैं और इस फैसले को विपक्ष पर दबाव वाला फैसला बता रहे हैं।पंजाब में हाल ही में कुर्सी संभाले मुख्यमंत्री चन्नी ने गृह मंत्रालय के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह राज्य सरकारों को दबाने का प्रयास हैं चन्नी ने अमित शाह से यह फैसला वापस लेने के लिए भी कहा है। 

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