दुनिया जिस तेजी से आगे बढ़ रही है उसी तेजी से महंगाई भी बढ़ती जा रही है। अब सवाल यह है कि आखिर यह महंगाई बढ़ती क्यों है? अगर हम सिर्फ देश के आंकड़ों के हिसाब से बात करें तो यहां हर दिन या जनसंख्या वृद्धि तेजी से हो रही है। जनसंख्या वृद्धि की वजह से बाजार में सामान की मांग बढ़ जाती है जबकि उसका उत्पादन पहले जितना ही रहता है ऐसी स्थिति में दाम तेजी से बढ़ने लगते हैं। बाजार का नियम यह है कि जब सामान की कमी होती है और मांग अधिक होती है तब उसके दाम बढ़ने लगते हैं जबकि सामान अधिक होने पर मांग कम होती है ऐसी स्थिति में दाम कम होते हैं।
देश के अलग अलग भागों से सामान एक राज्य से दूसरे राज्य को जाता है जिसके लिए ट्रेन या फिर ट्रक का सहारा लिया जाता है। अब ऐसे में माल ढुलाई का खर्च भी सामान के दाम में जोड़ा जाता है। इस तरह से अगर माल ढुलाई का खर्च बढ़ता है तब सामानों के दाम में भी बढ़ोत्तरी होती है और पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ोत्तरी के बाद जनता पर इसका सीधा असर पड़ता है। पिछले कुछ दिनों से तेल के दामों में बड़ा उछाल देखने को मिल रहा है और इसका सीधा असर महंगाई पर साफ नजर आ रहा है। अनाज से लेकर सब्जी तक सब कुछ महंगा हो गया है और यह आम आदमी की पहुंच से दूर होता जा रहा है।
सरकार की तरफ से तमाम प्रयास किये जा रहे है लेकिन अभी तक इसका कोई हल नहीं निकल पा रहा है। लगातार बढ़ती महंगाई से जनता के साथ सरकार भी चिंता में है इसलिए केंद्र सरकार ने इस मामले पर एक बैठक की और तेल के बढ़ते दामों पर कैसे विराम लगाया जाए इस पर चर्चा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेल और गैस क्षेत्र के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (CEO) के साथ बैठक की, इस बैठक में रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन मुकेश अंबानी, रुस की कंपनी रोसनेफ्ट के अध्यक्ष डॉक्टर इगोर सचिन और सऊदी अरामको के अध्यक्ष अमीन नासर सहित कई अधिकारियों ने हिस्सा लिया। इस बैठक के बाद पीएम कार्यालय की तरफ से जानकारी दी गयी कि पीएम ने तेल व गैस क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए सभी को भारत के साथ साझेदारी करने का निमंत्रण दिया। पीएम मोदी भारत को तेल व गैस के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं।
डीजल और पेट्रोल के दाम को जीएसटी (GST) के दायरे में लाने का प्रयास भी चल रहा है। हाल ही में निर्मला सीतारमण ने एक बैठक भी की थी लेकिन बैठक के बाद कहा गया कि तेल को जीएसटी के दायरे में लाने का यह सही समय नहीं है। तेल को जीएसटी के दायरे में लाने की बैठक तो सफल नहीं हुई लेकिन जनता सिर्फ इस बात से खुश है कि अगर तेल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो तेल के दाम 25-30 रुपये तक कम हो सकते है। अब यह सरकार के उपर निर्भर करता है कि वह कब तक इस मामले पर फैसला लेती है।
पेट्रोल के दाम में कितना हिस्सा सरकार के पास?
आप को बता दें कि हमें जिस कीमत पर तेल मिलता है उसमें तेल की कीमत के साथ साथ सरकार का टैक्स और पंप मालिक का कमीशन भी शामिल होता है। अगर वर्तमान की बात करें तो सरकार को पेट्रोल 44.06 रुपये में मिल रहा है जिस पर 32.90 रुपये एक्साइज ड्यूटी, 24.34 रुपये वैट और 3.88 रुपया डीलर का कमीशन तय होता है और इसके बाद यह जनता के लिए 105 रुपये में उपलब्ध किया जाता है। (दिल्ली के दाम)
डीजल के दाम में कितना हिस्सा सरकार के पास?
डीजल का बेसिक दाम 46.75 रुपये है जिस पर 31.80 रुपये एक्साइज ड्यूटी, 13.77 रुपये वैट और 2.61 रुपया डीलर का कमीशन तय होता है। कुल मिलाकर अगर आप दाम पर नजर डालें तो पता चलता है कि जितना पेट्रोल या डीजल का बेसिक दाम है उससे अधिक सरकार इस पर टैक्स वसूल रही है। अब यह भी हो सकता है कि इसके पीछे सरकार की कोई मजबूरी हो लेकिन यह भी समझना जरूरी है कि अगर डीजल के दाम बढ़ने से पूरे देश में इसका असर पड़ता है तो इस पर सरकार को कुछ विचार करना चाहिए और जितना जल्दी हो सके उस पर रोक लगानी चाहिए।
महीना व वर्ष पेट्रोल डीजल (दिल्ली के दाम)
अप्रैल 2010 48.00 38.01
अप्रैल 2015 60.49 49.71
जून 2020 79.76 79.88
अक्टूबर 2021 106.19 102.89