कंगना की आज़ादी पर कर्कश, कन्हैया और स्वरा पर क्यों नहीं ?

यह आज़ादी भी बड़ी कमाल की चीज है। कंगना रानौत ने पद्मश्री होते ही कहा आज़ादी हमें 2014 में मिली। किताबों में पढ़ा था कि 15 अगस्त 1947 को मिली। कंगना के बयान के बाद सब बोल रहे हैं कि 1947 में ही मिली थी। 
जबकि 2016 में कन्हैया कुमार J.N.U के गेट पर कह रहे थे हमें चाहिए आज़ादी.. यही आलाप 2019 में स्वरा भास्कर ने भी अलापा था C.A.A के दौरान कि हमे चाहिए आज़ादी। अब कोई होशियार आदमी ज़रा इतना बता दे तो बड़ी मेहरबानी होगी कि सच में हमें आज़ादी मिली भी है या नहीं? और मिली है तो कब मिली थी? क्योंकि मिल चुकी है तो कन्हैया कुमार और स्वरा भास्कर को कौनसी आज़ादी चाहिए और क्यों?
और अगर 2016 और 19 में भी आज़ादी मिलने की मांग उठ रही है तो पद्मश्री कंगना क्यों झूठ बोल रही है कि आज़ादी हमको 2014 में मिली। और पूरा देश बोल रहा है कि यह झूठ है। हम तो आज़ाद 47 में ही हो चुके हैं।
अगर कंगना झूठ है तो कन्हैया और स्वरा भास्कर भी झूठे है कि वो अब भी बोल रहे हैं हमें चाहिए आज़ादी।
वैसे मेरी राय तो यह है कि हमें आज़ादी कुछ ज्यादा ही मिल गयी है। असल में हमें इतनी मिलनी नही चाहिए थी। उतनी ही मिलनी चाहिए थी जितनी खाड़ी देशों में मिली हुई है.

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  1. I have been studying since childhood that independence came in 1947.and you say found in 2014

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