भारत वर्तमान में विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है। इसके पहले भी भारत पर जब-जब चुनौतियां आईं तब-तब भारत के सुरक्षा तंत्र की हर संस्था ने अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से निभाई है। इस आलेख में उन सभी संस्थाओं का परिचय कराया गया है।
एक देश की अपनी सीमाओं के अंदर की सुरक्षा आंतरिक सुरक्षा है। इसमें अपने अधिकार क्षेत्र में शांति, कानून और व्यवस्था तथा देश की प्रभुसत्ता बनाए रखना मूलरूप से अंतर्निहित नियम है। बाह्य सुरक्षा से आंतरिक सुरक्षा कुछ मायनों में अलग है, क्योंकि विदेशी देशों के आक्रमणों से सुरक्षा प्रदान करना बाह्य सुरक्षा है। महान कूटनीतिज्ञ चाणक्य के शब्दों में किसी भी प्रकार के आक्रमण से अपनी प्रजा की रक्षा करना प्रत्येक राजसत्ता का सर्वप्रथम उद्देश्य होता है। प्रजा का सुख ही राजा का सुख और प्रजा का हित ही राजा का हित होता है। प्रजा के सुख और हित को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने में दो वाहकों की भूमिका प्रमुख है, जिनमें पहला वाहक पड़ोसी या कोई अन्य देश हो सकता है जबकि दूसरा वाहक राज्य के भीतर अपराधियों की उपस्थिति हो सकती है।
चाणक्य ने अर्थशास्त्र में लिखा है कि एक राष्ट्र को निम्नलिखित चार अलग-अलग प्रकार के खतरों का सामना करना पड़ सकता है-1) आंतरिक, 2) वाह्य, 3) वाह्य रूप से सहायता प्राप्त आंतरिक, 4) आंतरिक रूप से सहायता प्राप्त बाहरी। भारत में आंतरिक सुरक्षा के परिदृश्य में उपर्युक्त खतरों के लगभग सभी रूपों का मिश्रण है। भारत वाह्य व आंतरिक सुरक्षा के स्तर पर विभिन्न चुनौतियों को झेल रहा है। इसका ज्वलंत उदाहरण पड़ोसी देश पाकिस्तान के द्वारा भारत में सीमापार से आतंकियों को भेजने हेतु की जा रही फायरिंग।
हम आप सुकून से सो सकें, इसके लिए हजारों सुरक्षाकर्मी हर तरह से कुर्बानी देने को तैयार रहते हैं। हम नींद में सो रहे होते हैं लेकिन सीमा पर हमारे रक्षक जाग रहे होते हैं। इन्हीं रक्षकों का वर्णन यहां किया गया है।
सीमा सुरक्षा बल
इनमे सबसे पहले हैं सीमा सुरक्षा बल संक्षेप में बीएसएफ। बीएसएफ की स्थापना 1 दिसम्बर, 1965 को हुई थी। इसने पाकिस्तान से बांग्लादेश को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई थी। साल 1965 के युद्ध से पहले तक पाकिस्तान से लगी भारत की सीमाओं की रक्षा स्टेट आर्म्ड पुलिस बटालियन करती थी। 9 अप्रैल, 1965 को सरदार चौकी, छार बेत और बेरिया बेत पर पाकिस्तान ने हमला कर दिया। हालांकि स्टेट रिजर्व्ड पुलिस और सीआरपीएफ ने पाकिस्तान की एक ब्रिगेड को सफलतापूर्वक पीछे धकेल दिया लेकिन यह सामने आया कि इस तरह के हमलों से निपटने में स्टेट आर्म्ड पुलिस सक्षम नहीं है और फिर बीएसएफ जैसे किसी संगठन की जरूरत महसूस हुई। सचिवों की एक कमिटी ने 1965 के युद्ध के बाद एक ऐसे सीमा सुरक्षा बल की सिफारिश की जो पाकिस्तान से लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा की निगरानी करे और जवानों को प्रशिक्षण दे। इस तरह से 1 दिसम्बर, 1965 को बीएसएफ अस्तित्व में आया।
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी)
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड भारत की एक विशेष प्रक्रिया यूनिट है। जिसका मुख्य रूप से आतंकवाद विरोधी गतिविधियों के लिए उपयोग किया गया है। इसका गठन भारतीय संसद के राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के अन्तर्गत कैबिनेट सचिवालय द्वारा 1986 में किया गया था। यह पूर्णतः से केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बल के ढांचे के भीतर कार्य करता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड गृह मंत्रालय के निरीक्षण में काम करते हैं और इसका नेतृत्व भारतीय पुलिस सेवा का महानिदेशक करता है। महानिदेशक सदैव एक आईपीएस अधिकारी होता है। जबकि इसमें भर्ती भारत की केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बल और भारतीय सशस्त्र बलों से की जाती है। राष्ट्रीय सुरक्षा के सदस्यों को ब्लैक कैट के नाम से भी जाना जाता है। इस कार्य को राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के विशेष रेंजर्स समूह द्वारा किया जाता है।
एनएसजी के विशिष्ट लक्ष्यों में शामिल है-
आतंकवादी धमकियों के निराकरण
हवा में और जमीन पर स्थितियों अपहरण हैंडलिंग
बम निपटान (खोज, पहचान और निराकरण)
पीबीआई (पोस्ट ब्लास्ट जांच)
बन्धक बचाव
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1986 के अन्तर्गत स्थापित किया गया था। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड का गठन 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद किया गया था। इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना ने सिख उग्रवादियों को नियंत्रित किया था।
भारतीय नौसेना दिन
नौसेना भारतीय सेना का सामुद्रिक अंग है, जिसकी स्थापना सन् 1612 में हुई थी। ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने जहाजों की सुरक्षा के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी मैरिन के रूप में सेना गठित की थी, जिसे बाद में रॉयल इंडियन नौसेना नाम दिया गया था। भारत की आजादी के बाद सन 1950 में नौसेना का गठन फिर से हुआ और इसे भारतीय नौसेना नाम दिया गया। विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी इस नौसेना ने सन् 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर भारी बमबारी कर उसे तबाह कर दिया था। 4 दिसम्बर 1971 को ऑपरेशन ट्राइडेंट नाम से शुरू किए गए अभियान में मिली कामयाबी की वजह से ही हर साल 4 दिसम्बर को नौसेना दिवस मनाया जाता है। 4 दिसम्बर को ही भारतीय नौसेना के जांबाजों ने पकिस्तान को धूल चटाई थी। नौसेना दिवस वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय नौसेना की जीत के जश्न के रूप में मनाया जाता है। 3 दिसम्बर को भारत के एयरस्पेस और सीमा क्षेत्र पर पाकिस्तानी सेना द्वारा हमला किया गया था। इस हमले से ही सन् 1971 का युद्ध शुरू हुआ था। उसके बाद पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए ‘ऑपरेशन त्रिशूल (ट्राइडेंट)’ शुरू किया गया था।
यह ऑपरेशन पाकिस्तानी नौसेना के कराची मुख्यालय को टारगेट करके शुरू किया गया था। एक हमलावर समूह जिसमें एक मिसाइल नाव और दो युद्धपोत शामिल थे, ने कराची के तट पर जहाजों के एक समूह पर हमला किया। इस युद्ध में पहली बार जहाज पर एंटी शिप मिसाइल से हमला किया गया था। इस हमले में पाकिस्तान के कई जहाज नष्ट हो गए। इस दौरान पाकिस्तान के तेल टैंकर भी नष्ट कर दिए गए। बांग्लादेश की मुक्ति के दौरान 1971 की लड़ाई में भारत की तीनों सेनाओं ने ही अद्भुत बहादुरी का प्रदर्शन किया था। नौसेना ने समुद्री क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए पाकिस्तान के कराची बंदरगाह को बमबारी से तबाह कर दिया और इस दौरान पाकिस्तान की पीएनएस गाजी पनडुब्बी जल में दफन हो गई। अभियान में आईएनएस विक्रांत ने खूब वाहवाही बटोरी। नौसेना की इस कामयाबी ने मुक्ति संग्राम में भारत की विजय में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1971 ही नहीं बल्कि 1965 की लड़ाई में भी नौसेना ने बहादुरी दिखाई थी।
भारतीय वायुसेना
इंडियन एयरफोर्स भारतीय सशस्त्र सेना का एक अंग है जो वायु युद्ध, वायु सुरक्षा, एवं वायु चौकसी का महत्त्वपूर्ण काम देश के लिए करती है। इसकी स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को की गयी थी। स्वतंत्रता (1950 में पूर्ण गणतंत्र घोषित होने) से पूर्व इसे रॉयल इंडियन एयरफोर्स के नाम से जाना जाता था और 1945 के द्वितीय विश्वयुद्ध में इसने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आजादी (1950 में पूर्ण गणतंत्र घोषित होने) के पश्चात इसमें से रॉयल शब्द हटाकर सिर्फ इंडियन एयरफोर्स कर दिया गया। भारतीय वायुसेना ने कारगिल युद्ध दौरान अनेक पराक्रम किए तथा हाल ही में पाकिस्तानी आतंकियों के ठिकानों को उध्वस्त करके मुंहतोड़ जवाब दिया था। भारत में हमला करने हेतु घुसकर आए एफ 16 विमान को बहादुर वैमानिक अभिनंदन वर्धमान ने मार गिराया था। भारतीय वायुसेना 8 अक्टूबर को वायुसेना दिन के रूप में मनाती है। इसका आदर्श वाक्य है ‘नभः स्पृशं दीप्तम्’।
नागरिक सुरक्षा दिन
आज से 58 वर्ष पूर्व भारत चीन युद्ध के दौरान 6 दिसम्बर 1962 को उत्तर प्रदेश में नागरिक सुरक्षा कोर का गठन किया गया था। यह संगठन अवैतनिक सरकारी संगठन था जिसका कार्य उस समय हवाई हमलों से बचाव के लिए नागरिकों को सचेत करना था लेकिन बदलते परिवेश में नागरिक सुरक्षा कोर की भूमिका भी लगातार बदलती गई तथा आज नागरिक सुरक्षा कोर प्राकृतिक आपदाओं में राहत पहुंचाने जैसे जोखिम भरे कार्य भी करता है। इस अवसर पर सभी सुरक्षा की शपथ लेते हैं।
आंतरिक सुरक्षा से तात्पर्य
आंतरिक सुरक्षा का सामान्य अर्थ एक देश की अपनी सीमाओं के भीतर की सुरक्षा से है। आंतरिक सुरक्षा एक बहुत पुरानी शब्दावली है लेकिन समय के साथ ही इसके मायने बदलते रहे हैं। स्वतंत्रता से पूर्व जहां आंतरिक सुरक्षा के केंद्र में धरना-प्रदर्शन, रैलियां, सांप्रदायिक दंगे, धार्मिक उन्माद थे तो वहीं स्वतंत्रता के बाद विज्ञान एवं तकनीकी की विकसित होती प्रणालियों ने आंतरिक सुरक्षा को अधिक संवेदनशील और जटिल बना दिया है। पारंपरिक युद्ध की बजाय अब छदम युद्ध के रूप में आंतरिक सुरक्षा हमारे लिये बड़ी चुनौती बन गई है।
आंतरिक सुरक्षा के घटक
राष्ट्र की संप्रभुता की सुरक्षा
देश में आंतरिक शांति और सुरक्षा को बनाए रखना
कानून व्यवस्था बनाए रखना
शांतिपूर्ण सह अस्तित्व एवं सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखना
आंतरिक सुरक्षा के समक्ष उत्पन्न चुनौतियां भारत की भू-राजनैतिक स्थिति, इसके पड़ोसी कारक, विस्तृत एवं जोखिम भरी स्थलीय, वायु और समुद्री सीमा के साथ इस देश के ऐतिहासिक अनुभव इसे सुरक्षा की दृष्टि से अतिसंवेदनशील बनाते हैं। इस संदर्भ में आंतरिक सुरक्षा के सम्मुख निम्नलिखित चुनौतियां हैं-
नक्सलवाद-
धार्मिक कट्टरता एवं जातीय संघर्ष-
मादक द्रव्य व्यापार-
मनी लांड्रिंग-
आतंकवाद
परंपरागत संगठित अपराधों में अवैध शराब का धंधा, अपहरण, जबरन वसूली, डकैती, लूट और ब्लैकमेलिंग इत्यादि।
गैर-पारंपरिक अथवा आधुनिक संगठित अपराधों में हवाला कारोबार, साइबर अपराध, मानव तस्करी, मादक द्रव्य व्यापार आदि शामिल हैं।
अंतर्गत सुरक्षा और बाह्य सुरक्षा समस्या निपटाने हेतु अन्य संगठन भी कार्य करते है। अनेकानेक बलिदान से यह राष्ट्र अखंडित रहा है।