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ये हादसा है या साजिश ?

ये हादसा है या साजिश ?

by हिंदी विवेक
in ट्रेंडींग
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कल भारतीय सेना के MI-17V5 हेलिकॉप्टर के एक दर्दनाक हादसे में हमने अपने पहले CDS जनरल बिपिन रावत समेत 11 वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को खो दिया। लेकिन हमें ये जानना भी आवश्यक है कि इस हेलिकॉप्टर की तकनीक बहुत ही भरोसेमंद मानी जाती है। साथ ही इसके ट्विन इंजन भी इसे दमदार और संकट से निकाल ले जाने वाला चॉपर साबित करते हैं । भारतीय सैन्य अधिकारियों के मुताबिक ये हेलिकॉप्टर भले ही रूस निर्मित हैंलेकिन, ये भारतीय सेना के लिए रीढ़ माने जाते हैं। साथ ही यहां कई पायलट इसे उड़ाने का लंबा अनुभव रखते हैं।

जनरल बिपिन रावत के पायलट विंग कमांडर पृथ्वीसिंह चौहान भी एक ऐसे ही पायलट थे। विंग कमांडर पृथ्वीसिंह चौहान को बरसों का अनुभव था और वे 109 हेलीकॉप्टर यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर रहे। एक अनुभवी पायलट होने और मॉडर्न तकनीक से लैस हेलीकॉप्टर होने पर भी देश की तीनों सेनाओं के चीफ आज हादसे का कैसे शिकार हुए। यह सवाल बहुत से लोगों के मन में उठ रहा है।क्योंकि, यह इतना भरोसेमंद हेलीकॉप्टर है कि मिलिट्री के अलावा वीवीआईपी भी इसकी सेवा लेते हैं तथा खुद प्रधानमंत्री मोदी भी MI-17 से कई रैलियां कर चुके हैं।

लेकिन हमारे जनरल की ये दुर्घटना कोई पहली दुर्घटना नहीं है। जनरल बिपिन रावत सेना के तीनों अंगों को एकीकृत कमान में लाने की दिशा में काम कर रहे थे ताकि किसी भी समय सेना की क्विक रिस्पॉन्स एवं क्विक मूवमेंट हो सके। हमारे CDS ने देश में पहली बार ढाई मोर्चों पर युद्ध लड़ने का कॉन्सेप्ट दिया था क्योंकि, कभी तक तो सब लोग चीन एवं पिग्गिस्तान को दुश्मन मानते थे। इसीलिए, जनरल के हैलीकॉप्टर का दुर्घटनाग्रस्त होना बहुत संदेह उत्पन्न करता है क्योंकि, इससे पहले भी कई बार देश में ऐसी घटनाएं हो चुकी है।

कहा जाता है कि डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा अगर कुछ वर्ष और जिंदा रह जाते तो भारत न्यूक्लियर एनर्जी प्रोग्राम में बहुत पहले ही दुनिया के सामने एक मिसाल के तौर पर खड़ा हो जाता। लेकिन भाभा की एक विमान दुर्घटना में मौत हो गई। भाभा ने साल 1945 में इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च की स्थापना की थी। कहा जाता है कि भाभा जिस तरह से न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर आगे बढ़ रहे थे, उससे अमेरिका चिंतित था और आरोप लगते हैं कि इसे ही लेकर सीआईए ने भाभा का प्लेन क्रैश करवा दिया हालांकि ये कभी साबित नहीं हो सका।

हमारे जनरल की ही तरह भाभा भी साल 1966 में जिस एयर इंडिया की फ्लाइट से सफर कर रहे थे, वह माउंट ब्लैंक पहाड़ियों के पास हादसे का शिकार हो गया। ये भी आरोप लगते हैं कि पहले विमान में धमाका हुआ, उसके बाद विमान क्रैश हुआ। ऐसा सिर्फ भाभा के साथ ही नहीं हुआ बल्कि भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान आज जहां भी है, उसकी कामयाबी के पीछे विक्रम साराभाई का बहुत बड़ा योगदान है। उन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहा जाता है। लेकिन उनकी मौत भी एक रहस्य बनकर रह गई। तमाम जांचों के बाद भी ये नहीं पता चल पाया कि विक्रम साराभाई की मौत कैसे हुई।

विक्रमसाराभाई ने आणविक ऊर्जा से इलेक्ट्रॉनिक्स और दूसरे सेक्टर में बड़ा योगदान दिया। लेकिन 52 साल की उम्र में ही केरल में एक कार्यक्रम में गए परंतु फिर वे अपने रिजॉर्ट के एक कमरे में मृत पाए गए। इसके पहले वह कई कार्यक्रमों में गए और रात को जब रिजॉर्ट लौटे तब तक वह बिल्कुल सामान्य थे. लेकिन बाद में उनकी मृत शरीर पाई गई जबकि उनकी बेटी मल्लिका का दावा था कि उनके पिता की मेडिकल रिपोर्ट हमेशा सामान्य रहती थी और उन्हें किसी तरह की बीमारी नहीं थी।उसी तरह लोकनाथन महालिंगम कर्नाटक के कैगा एटॉमिक पावर स्टेशन में कार्यरत थे। उन्हें देश के प्रतिभावान वैज्ञानिकों में माना जाता रहा है लेकिन उनकी मौत भी एक रहस्यमयी तरीके से हुई। वे जून 2008 में अपने घर से मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे लेकिन दोबारा 5 दिन बाद उनका शव ही वापस आया। डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट से पहले उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया था। ऐसा दावा किया जाता है कि लोकनाथन देश की सबसे संवेदनशील परमाणु सूचनाएं रखते थे और कुछ लोग कहते हैं कि जंगल में टहलने के दौरान तेंदुए ने उन पर हमला कर दिया था। जबकि किसी का दावा है कि उन्होंने आत्महत्या कर ली तो कोई कहता है कि अपहरण के बाद उनकी हत्या हुई लेकिन आजतक उनकी मौत की गुत्थी सुलझी नहीं है।

इसी तरह साल 1965 की भारत पाकिस्तान के युद्ध के बाद 10 जनवरी 1966 को रूस की राजधानी ताशकंद में भारत और पाकिस्तान के बीच एक शांति समझौता हुआ। लेकिन उस समझौते के महज 12 घंटे के अंदर ही हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की ताशकंद के होटल में ही संदेहास्पद मृत्यु हो गई। हालांकि सरकारी रूप से कहा जाता है कि उनकी मृत्यु हार्ट अटैक से हुई थी लेकिन बहुत लोगों का मानना है कि वे साजिश का शिकार हुए थे। कहने का मतलब है कि जो कोई भी देश के लिए कुछ अच्छा और नया करने की कोशिश करता है तो जनरल बिपिन रावत की ही तरह हर कोई किसी न किसी दुर्घटना का शिकार हो जाता है। लेकिन इस बार संतुष्टि है कि केंद्र में एक ऐसी सरकार है जो किसी भी कीमत पर हर साजिश से पर्दा उठा सकने में सक्षम है। और अगर ये कोई साजिश निकला तो फिर हम सबको एक पूर्ण और परंपरागत युद्ध लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि, इस बार तो किसी को छोड़ेंगे नहीं, चाहे उसकी कीमत कुछ भी हो। और कल की आपातकालीन मीटिंग में मोदी जी की भावभंगिमा भी कुछ वैसी ही लग रही है कि मानो वे मन ही मन खुद को किसी बड़े फैसले के लिए तैयार कर रहे हों।

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Tags: air crashcds bipin rawatconspiracyhindi vivekhindi vivek magazinemi 17v5 helicopter

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