लखनऊ से अटल जी का अद्भुत नाता था। राजेंद्र नगर के राष्ट्रधर्म कार्यालय से मारवाड़ी गली और चौक की ठंडाई तक के उनके किस्से मशहूर हैं ।वो लखनऊ के सांसद ही नहीं रहे यहाँ की भावभूमि में रचे बसे, इसके सबसे अपने थे। लखनऊ के लोग आज भी उनको हमारे अटल जी ही कहते हैं।
अटल जी ने लखनऊ शहर का नाम अंतर्राष्ट्रीय पटल पर स्थापित किया।आज ये शहर विकास का जो नया पैमाना गढ़ रहा है उसके वास्तविक शिल्पकार अटल जी ही हैं । अटल जी लखनऊ से पांच बार सांसद रहे जिसमें तीन बार प्रधानमंत्री बने। अटल जी लखनऊ में 1991, 1996, 1998 1999 और 2004 में सांसद बने। 1991 में उन्होंने कांग्रेस के रंजीत सिह को हराया , 1996 में उन्होंने सपा के राजबब्बर को, 1998 में सपा के मुजफ्फर अली को 1999 में कांग्रेस के डा . कर्ण सिंह को और 2004 में सपा की मधु गुप्ता को दो लाख मतों के भारी अंतर से पराजित करने का रिकार्ड बना दिया।
लखनऊ में अटल जी को पराजित करने के लिये विपक्ष ने हर चुनाव में नये पैतरें अपनाये लेकिन हर बार उन्हें मुंह की खानी पड़ी। राजधानी लखनऊ के सबसे बडे शिया- सुन्नी विवाद को समाप्त कराने वाले भी अटल जी ही थे। अटल जी ने लखनऊ को एक माडल के रूप में विकसित किया । वह नये औेर पुराने शहर की बराबर चिंता किया करते थे। अटल जी को लखनऊ की तेजी से बढ़ रही आबादी का अनुमान था । इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने गोमती नगर रेलवे स्टेशन को चारबाग जैसी सुविधाओं से लैस करने का प्रस्ताव तैयार कराया। बीच में यह काम ठप पड़़ गया था लेकिन अब यह फिर से चालू हो गया है।
फैजाबाद रोड से अमौसी तक अमर शहीद पथ के निर्माण की कल्पना उन्हीं की देन है। अब सभी अनुभव कर रहे हैं कि फैजाबाद रोड , सुल्तानपुर रोड और रायबरेली रोड की ओर लखनऊ के विस्तार की आधारशिला रखना भी अमर शहीद पथ के बिना संभव नहीं होता। लखनऊ- कानुपर हाईवे का चौड़ीकरण लखनऊ – हरदोई का चौड़ीकरण, दीन दयाल स्मृतिका, निशातगंज फ्लाईओवर, कल्याण मंडप भी अटल जी की ही देन है। अटल जी ने ही साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर बनवाया तथा टिकैतराय तालाब और कुड़ियाघाट का जीर्णोद्धार कराया। आज कुड़ियाघाट एक बड़े सामाजिक मिलन स्थल के रूप में हीं नहीं लखनऊ का एक बड़ा फिल्म शूटिंग सेंटर बनता जा रहा है।
अटल जी की ही पहल पर पुराने लखनऊ की संकरी गलियों में सीवरेज सिस्टम की योजना बनी। लखनऊ मेट्रो की कल्पना भी उन्हीं के कार्यकाल में आयी थी इस तथ्य को आज के समाजवादी मुखिया अखिलेश यादव अच्छी तरह से भूल रहे हैं। आज जो मेट्रो बन रही है उसके भी असली शिल्पकार अटल जी ही थे अपितु समाजवादी शासन में तो यह काम अटक रहा था । राजधानी लखनऊ अटल जी की सियासी कर्मभूमि बन गयी थी। अटल जी की लखनऊ के मुस्लिम परिवारों में भी अमिट छाप रहती थी। उस समय के मुस्लिम नेता एजाज रिजवी ने अटल जी से प्रभावित होकर कमल का झंडा थामा था। उनकी बेटी डा. शीमा रिजवी भी भाजपा में रम गयीं। यह तब की बात है जब मुसलमान बीजेपी से जुड़ने में परहेज करते थे। आज लखनऊ व प्रदेश के अधिकांश भाजपाई उन्हीं के संरक्षण में शिक्षित हुए हैं।
पत्रकार अटल का विस्तार भी राजधानी लखनऊ में ही हुआ और उनके द्वारा सिंचित वटवृक्ष राष्ट्रधर्म आज भी अनवरत चल रहा है। राष्ट्रधर्म पत्रिका के कार्यालय से उनका भावनात्मक जुड़ाव उनके राजनीती में सक्रिय होने , सांसद बनने और फिर प्रधानमंत्री बने तक भी बना रहा। जब भी राष्ट्रधर्म ने उनक आमंत्रण भेजा वे आए और अपने पुराने साथियों को नाम से बुलाकर सभी को अभिभूत कर दिया। राष्ट्रधर्म में उनको सहयोगी रहे स्मृतिशेष वचनेश जी के अनुसार, अटल जी ने अपनी प्रख्यात कविता, हिन्दू तन मन हिन्दू जीवन रग रग हिन्दू मेरा परिचय, राष्ट्रधर्म कार्यालय में ही एक दिन लिखी थी उस दिन वे ज्वर से पीड़ित थे और उन्हें अन्य कार्य करने से मना किया गया था ।
सांसद होते हुए अटल जी सदा अपने क्षेत्र के जन सामान्य के सुख दुःख में सहभागी होते थे । साहित्यकार होने के नाते नगर के साहित्यिक आयोजनों में उपस्थित रहने का प्रयास करते थे । आज भी वे लखनऊ की धड़कनों में बसते हैं, क्षेत्र की जनता का इतना स्नेह और आदर कुछ ही सांसदों को मिलता है ।