जोखिमों से भरा है क्रिप्टोकरेंसी

भारत सरकार भी इसे करेंसी के रूप में हतोत्साहित करेगी क्योंकि यह तो सत्ता को चुनौती देने वाला मूक अस्त्र है। साथ में कुछ विनिमय प्रतिबंधों को लगाते हुए निवेश और संपत्ति के रूप में इसे परिभाषित कर टैक्स के दायरे में लाया जाएगा और यही इसका भारत में और दुनिया में भविष्य होगा क्योंकि विश्व सत्ता शायद क्रिप्टो स्प्रिंग के रूप में इस आहट को सुन पा रहीं हैं।

आजकल दुनिया में चारों ओर ‘क्रिप्टोकरेंसी’ ‘डिजिटल करेंसी’ और ब्लॉकचेन की चर्चा है। ‘क्रिप्टोकरेंसी’ और ‘डिजिटल करेंसी’, दोनों को कई बार लोग एक ही समझ लेते हैं जबकि दोनों अलग-अलग हैं। डिजिटल करेंसी में गवर्निंग बॉडी होती है, इसे राज्य के अथॉरिटी की मान्यता होती है और इसका एक अन्तर्निहित मूल्य होता है। जिसकी गारंटी भी होती है, एक अंतिम नियामक प्रतिज्ञापत्र के रूप में इसके धारक को भुगतान का वचन देती है जबकि ये मूलभूत गुण क्रिप्टोकरेंसी में नहीं पाई जाती। क्रिप्टो के नाम से ही स्पष्ट है यह कूट करेंसी या गोपनीय करेंसी हैं। क्रिप्टोकरेंसी के मामले में एक और चीज़ है कि इसे जारी करने के बाद जारीकर्ता का भी उसमें कोई अधिकार नहीं रहता जबकि डिजिटल करेंसी में जारीकर्ता का अधिकार रहता है। क्रिप्टोकरेंसी में किसी तरह का कोई नियामक नहीं, न कोई जारीकर्ता, न कोई नोटबन्दी करने वाला। दूसरे शब्दों में बोलें तो डिजिटल करेंसी सरकारी है, वहीं क्रिप्टोकरेंसी सामाजिक और जनतांत्रिक करेंसी है। जी हां, प्राइवेट करेंसी नहीं सामाजिक और जनतांत्रिक करेंसी क्योंकि इस करेंसी का कोई भी मालिक नहीं और इसके सभी मालिक हैं इसीलिए यह राष्ट्रवाद की परिभाषाओं और सीमाओं से परे भी अपने आपको स्थापित करती हैं।

दरअसल क्रिप्टोकरेंसी शब्द में करेंसी शब्द का इस्तेमाल ही गलत है क्यों कि यह करेंसी है ही नहीं। करेंसी के दो मूलभूत गुण इसमें नहीं है। पहला किसी भी करेंसी का समय के किसी भी पड़ाव पर मूल्य समान रहता है। जैसे 100 रूपये का नोट जो आज 2021 में 100 रूपये का है, वह 2031 में भी 100 रूपये का ही होगा, ना तो 90 का होगा और ना 110 का होगा, जबकि क्रिप्टोकरेंसी में ऐसा नहीं है। समय के भिन्न-भिन्न पड़ाव पर उसका मूल्य अलग-अलग हो सकता है। उसके मूल्यों में उतार चढ़ाव हो सकता है जबकि मान्य मुद्रा का यह गुण है ही नहीं।

दरअसल यह बार्टर एक्सचेंज का बृहद रूप है, जिसने करेंसी के एक मूल सूत्र इसकी सामान्य स्वीकृति को पकड़ा है बाकी के गुण नहीं इसलिये मैं इसे करेंसी भी नहीं मानता। यह एक एसेट है जिसमें आपका पैसा लगा है और जिसे आपको अपने आर्थिक चिट्ठे में दिखाना है और इस असेट से यदि कोई लाभ होता है तो उसे कर के दायरे में ला दिखाना है।

वैसे भी जैसे ही आप क्रिप्टोकरेंसी में निवेश शब्द बोलते हैं तो तुरंत ही यह करेंसी शब्द के परिभाषा से बाहर हो जाता है क्योंकि करेंसी में निवेश नहीं किया जाता है, करेंसी को धारण किया जाता है। जिसका मूल्य सदैव अपरिवर्तित रहता है और इससे लाभ हानि केवल फॉरेन करेंसी एक्सचेंज में होता है जबकि निवेश की अन्तर्निहित शर्त होती है इसमें लाभ-हानि का होना और मूल्य परिवर्तित होना। इसलिए मेरा मानना है कि इस क्रिप्टो एसेट के साथ करेंसी शब्द जोड़ कर भ्रम ़फैलाने जैसा है और इस भ्रम को फैला इसके प्लेटफॉर्म विस्तार का एक अन्तर्निहित उद्देश्य है। जिसके भविष्य के खतरे के रूप में किसी राष्ट्र को चुनौती, उसकी सम्प्रभुता को चुनौती, उसके अर्थव्यवस्था को चुनौती और सबसे बड़ा खतरा किसी राष्ट्र के आस्तित्व के चुनौती के रूप में सामने आ सकता है क्योंकि यह स्थापित सूत्र है कि जिसका सिक्का उसकी सरकार। यदि सिक्का ही दूसरे का हो जाएगा या किसी अज्ञात का हो जाएगा तो राष्ट्र को इस अनजाने खतरे से निपटना ही पड़ेगा। मुझे लगता है भारत सरकार भी इसे करेंसी के रूप में हतोत्साहित करेगी क्योंकि यह तो सत्ता को चुनौती देने वाला मूक अस्त्र है। साथ में इसका बेजा इस्तेमाल होने की भी संभावना है, इसीलिए कुछ विनिमय प्रतिबंधों को लगाते हुए निवेश और संपत्ति के रूप में इसे परिभाषित कर टैक्स के दायरे में लाया जाएगा और यही इसका भारत में और दुनिया में भविष्य होगा क्योंकि विश्व सत्ता शायद क्रिप्टो स्प्रिंग के रूप में इस आहट को सुन पा रहीं हैं।

सरकार का प्रयास है कि वह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जारी की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के निर्माण के लिए एक सुविधाजनक ढांचा तैयार करना है तथा साथ ही भारत में निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित कर कुछ अंतर्निहित अपवादों के साथ इसके उपयोग को मान्यता देना ताकि प्रचलित क्रिप्टोमुद्रा की तकनीक का इस्तेमाल किया जा सके। मेरे हिसाब से यह सही कदम है क्योंकि जिसका सिक्का उसकी सरकार और यदि सिक्का ही अपना नहीं होगा तो संप्रभु राष्ट्र और उसकी सत्ता कैसे कायम होगी। यह क्रिप्टोमुद्रा तो दरसअल राष्ट्रवाद की बंदिशों को तोड़ने वाला है और जब तक बॉर्डर नेशन अवधारणा आस्तित्व में है, क्रिप्टोमुद्रा के मौजूदा स्वरुप को लीगल मान्यता मिलना मुश्किल है। इसे अपने फॉर्मेट में कुछ ऐसे बदलाव करने पड़ेंगे ताकि बॉर्डर नेशन अवधारणा को चुनौती न हो।

अब सवाल उठता है कि जब क्रिप्टोकरेंसी का कोई मालिक नहीं, कोई नियामक नहीं है तो ऐसी स्वतंत्र क्रिप्टोकरेंसी पर कैसे भरोसा किया जाए ? इसी कमी को दूर कर इसमें भरोसा जगाता है इसका ब्लॉकचेन तकनीक। ब्लॉकचेन मतलब भिन्न-भिन्न ब्लॉक (खंड/खानों) की एक खंडमाला थोड़ा विस्तृत में सूचनाओं की खंडमाला। ब्लॉकचेन एक विशिष्ट डेटाबेस है जिसमें सूचनाएं ठीक उसी तरह पिरोई जाती हैं जैसे हम मोतियों की माला पिरोते हैं। एक के बाद एक मोती और कोई अगली मोती बीच से नहीं गुंथी जा सकती है। उसे अंतिम वाली मोती के अगले मोती के रूप में पिरोया जाना है। ब्लॉकचेन में सूचनायें एक के बाद एक के पीछे जुड़ती चली जाती हैं। बॉक्स के रूप में जिसका कूट कोड में डिजिटल रूपांतरण हो जाता है। इसमें बीच से कोई सूचना घुसकर नया कूट कोड माला नहीं बना सकता। जैसे ही नये सौदे का एक नया डेटा आता है, एक नए ब्लॉक में प्रवेश कर जाता है। एक बार वह ब्लॉक डेटा से भर जाता है तो यह पिछले वाले ब्लॉक से माला की मोती की तरह जुड़ जाता है। एक के बाद एक और यह कालानुक्रमिक क्रम में एक साथ माला बना देता है। सौदों का पूरा संग्रह ब्लॉक के रूप में श्रृंखलाबद्ध तरीके से इसमें होता है और पीछे फुटप्रिंट और समय दोनों का अंकन होता रहता है। सूचनाओं का यह कालानुक्रमिक क्रम में व्यवस्थित ब्लॉक रूपी सूचना जिसमें एक-एक कदम का फुट प्रिंट और समयांकन होता है सबके लिए सर्वसुलभ और विकेन्द्रित होती है। कोई भी, कभी भी इसे कहीं से भी देख सकता है और यही सर्वसुलभता ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी दोनों को अत्यधिक पारदर्शी और नियामक एवं राष्ट्रवाद की सीमाओं से परे होने के बाद भी काफ़ी हद तक जन और लोकतांत्रिक बनाती है।

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