समाज को अपना करने का गुरुमंत्र याने ‘कर्मयोद्धा राम नाईक’ ग्रंथ -राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी

‘कर्मयोद्धा राम नाईक’ ग्रंथ का लोकार्पण करते हुए मा. राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी व बाएँ से सर्वश्री शचीन्द्र त्रिपाठी, विनोद तावडे , आनंद लिमये, राम नाईक, मंगल प्रभात लोढा व गोपाल शेट्टी

 

मुंबई, मंगलवार : “सदाचार से संपूर्ण समाज को अपना करने का गुरुमंत्र ‘कर्मयोद्धा राम नाईक’ ग्रंथ से प्राप्त होता है”, इन शब्दों में महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी ने मुंबई के राजभवन में उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल श्री राम नाईक के जीवन पर आधारित ‘कर्मयोद्धा राम नाईक’ ग्रंथ का लोकार्पण किया। प्रदेश में बढ़ते हुए कोरोना के कारण विशेष निमंत्रित श्रोताओं के बीच लोकार्पण का कार्यक्रम संपन्न हुआ “अपने जीवन में कौन सा काम करना हैं यह राम नाईक ने तय किया और जीवन में डटकर उसी मार्ग पर चलते रहें। इसलिए वें कर्मयोद्धा बन गये”, ऐसे बताकर राज्यपाल महोदय ने वे जब राज्यसभा के सदस्य थे तब श्री नाईक ने कुष्ठपीड़ितों के संबंध में प्रस्तुत की हुई याचिका के कारण कुष्ठपीड़ितों की समस्याओं में कई सकारात्मक निर्णय हुए उसकी याद दिलायी। गरीब और कुष्ठपीड़ितों के लिए सतत संघर्ष करनेवाला योद्धा याने श्री राम नाईक ऐसा भी उन्होंने कहा।

श्री राम नाईक की संस्मरणात्मक मराठी पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का प्रकाशन इंकिंग इनोव्हेशन्स ने किया था, उन्होंने ने ही ‘कर्मयोद्धा राम नाईक’ का प्रकाशन किया। गत चार वर्षों में हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, गुजराती, संस्कृत, सिंधी, असमिया, तमिल ऐसी 8 भारतीय और अरबी, फारसी, जर्मन ऐसे तीन विदेशी भाषाओं में इस पुस्तक का अनुवाद हुआ है। इसके अतिरिक्त दृष्टीहीनों के लिए हिंदी, मराठी व अंग्रेजी भाषाओं का ब्रेल लिप्यंतर हुआ है। इस पुस्तक से प्रभावित उर्दू लेखकों के समिक्षाओं के लेख, संस्करणों के कार्यक्रमों के मुख्य अतिथि के भाषण तथा प्रत्येक पुस्तक की प्रस्तावना, अनुवादकों का मंतव्य और श्री राम नाईक के मार्गदर्शक श्री अटल बिहारी वाजपेयी और श्री लाल कृष्ण आडवाणी के श्री नाईक के अभिनंदन भाषणों का संकलन प्रस्तुत ग्रंथ में हैं। इस ग्रंथ की संकल्पना उत्तर प्रदेश के ज्येष्ठ पत्रकार एवं ‘अवधनामा’ के संपादक श्री वकार रिजवी ने की थी। ‘डमी’ पुस्तक बनने तक उन्होंने ग्रंथ निर्माण का काम किया, प्रस्तावना भी लिखी. किंतु दुर्भाग्य से कोरोना से उनका देहांत हुआ। तत्पश्चात मुंबई के इंकिंग इनोव्हेशन्स ने यह ग्रंथ पूरा करने की जिम्मेदारी वहन की। गत सप्ताह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योदी आदित्यनाथ ने लखनऊ में इस ग्रंथ का लोकार्पण किया, तो कल महाराष्ट्र के राज्यपाल के हाथों से उसका प्रकाशन मुंबई में हुआ।

प्रकाशन समारोह में प्रमुख अतिथि के नाते भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री श्री विनोद तावडे ने कहा, “राम नाईक के जीवन का यह ग्रंथ राजनिती में काम करनेवाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए काम कैसे करने से जनमानस में स्थान मिलता है इसका वास्तुपाठही है”। “लखनऊ के सभी धर्मियों के मन में अपने व्यवहार से श्री नाईक ने कम समय में अपना स्थान बनाया। इसलिए उर्दू पत्रकारों को भी यह ग्रंथ सभी के जीवन में अपनत्व निर्माण करनेवाला लगा’, ऐसे गौरवोद्गार नवभारत टाइम्स के पूर्व संपादक श्री शचीन्द्र त्रिपाठी ने व्यक्त किए।

भाजपा मुंबई के अध्यक्ष एवं विधायक श्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने बोलते समय श्री नाईक की तुलना श्रीफल (नारियल) से की। बाह्य से अनुशासन के कारण कड़क लगनेवाले रामभाऊ अन्दर से अति मधुर है और सबका काम करनेवाले हैं। “मेरी नजर में भाषाएं लोगों को जोड़ने का काम करती है। मेरा चरित्रात्मक पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ 12 विविध भाषाओं में और दृष्टीहीनों के लिए 3 भाषाओं में प्रकाशित होने के कारण समाज में सामंजस्य तथा एकात्मता निर्माण होने में मेरा भी योगदान है इसकी मुझे प्रसन्नता है। उत्तर प्रदेश में पांच वर्षों के लिए राज्यपाल के नाते किए हुए काम के बाद श्री वकार रिजवी जैसे उर्दू पत्रकार ने समाज में सामंजस्य निर्माण हो इसलिए ‘कर्मयोद्धा राम नाईक’ की संकल्पना की यह भावना मेरे लिए अभूतपूर्व हैं। उत्तर प्रदेश के राजभवन में मैंने ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ लिखी। इस पुस्तक के आधार पर निर्मित ‘कर्मयोद्धा राम नाईक’ का प्रकाशन मुंबई के राजभवन में होना यह भी अपूर्व योगायोग है”। ऐसी भावना श्री नाईक ने व्यक्त की। साहित्यकार एवं रामकथाकार श्री वीरेंद्र याज्ञिक ने कार्यक्रम का सूत्रसंचालन किया और श्री निलेश ताटकर ने ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ गीत गाया।

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