थल सेना दिवस: तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित

 

किसी भी देश की सेना से उसकी ताकत का पता चलता है और बाकी देश पर उसकी एक छवि निर्धारित होती है। दुनिया के सभी देश अपनी पूरी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा अपनी सेना पर खर्च करते हैं ताकि उससे देश की रक्षा की जा सके और समय पर दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। भारत भी अपनी सेना और उनके अदम्य साहस के लिए विश्व विख्यात है। इतिहास पर नजर डालें तो भारत ने कई युद्ध लड़े और अधिकतर पर जीत हासिल की है। भारत में कुल तीन प्रमुख सेनाएं है थल सेना (Army), वायु सेना( Air force) और जल सेना(Navy)। भारत जब आजाद हुआ तब 15 जनवरी 1947 को फील्ड मार्शल केएम करियप्पा ने थल सेना प्रमुख का दायित्व लिया और वह स्वतंत्र भारत के पहले कमांडर इन चीफ बने जिसके बाद से हम लोग उनकी याद में 15 जनवरी को थल सेना दिवस मनाते है।  

भारत अगस्त 1947 को आजाद हो गया था लेकिन अभी भी देश की सेना का नेतृत्व एक अंग्रेज अधिकारी के द्वारा किया जा रहा था जिसका गलत प्रभाव देश की सेना पर पड़ रहा था। वहीं भारत पाकिस्तान विभाजन को लेकर देश का माहौल भी खराब चल रहा था। हर तरफ दंगे भड़के हुए थे और लोग एक दूसरे को मार रहे थे। उस समय सेना को मोर्चा संभालना पड़ा क्योंकि बंटवारे को लेकर लोग एक दूसरे के खून के प्यासे हो गये थे और हर तरफ खून खराबा नजर आ रहा था। 15 जनवरी 1949 को थल सेना चीफ का काम भी अंग्रेजों के हाथों से ले लिया गया और फील्ड मार्शल केएम करियप्पा स्वतंत्र भारत के पहले कमांडर इन चीफ बनाए गए और फिर सेना को भी पूरी तरह से आजादी मिल गयी।  

 

थल सेना दिवस के मौके पर राजधानी दिल्ली के करियप्पा मैदान में थल सेना की तरफ से कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं जिसमें सेना अपना बल व कौशल प्रस्तुत करती है। सेना के कार्यक्रम से देश के जवानों को गौरव की अनुभूति होती है इसके साथ ही देश के लोगों को भी अपनी सेना पर गर्व होता है।सेना की तरफ से किए गए हैरतअंगेज कारनामों को देख लोगों को यह पता चलता है कि देश के जवानों में कितनी हिम्मत और जज्बा है। सेना के जवान अपने जीवन की चिंता किये बिना ही देश की रक्षा में तैयार रहते है। इस मौके पर देश के उन शहीद जवानों को भी याद किया जाता है जिन्होंने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए है। तीनों सेनाओं के प्रमुख भी दिल्ली के इंडिया गेट पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते है। सेना दिवस के मौके पर जवानों के अदम्य साहस, वीरता और कुर्बानी को याद किया जाता है और आने वाली पीढ़ियों को यह बताया जाता है कि इस कुर्बानी को वह बेकार नहीं जाने दें। देश के जवान ही है जो आज भी बिना किसी स्वार्थ के देश की सेवा कर रहे है। 

शनिवार को थल सेना ने अपना 74वां आर्मी दिवस मनाया इस मौके पर थल सेना अध्यक्ष एम एम नरवणे ने इस पूरे कार्यक्रम का जायजा लिया। सेनाध्यक्ष नरवणे ने सेनाओं को संबोधित करते हुए जवानों का हौसला बढ़ाया और चीन का जिक्र करते हुए कहा कि सेना के साहस ने दुश्मनों को हिला दिया। आतंकियों का जिक्र करते हुए कहा कि सेना के कठोर कदम से हिंसा में गिरावट नजर आ रही है। इस मौके पर कई वीर जवानों को सेनाध्यक्ष के हाथों सम्मानित भी किया गया।   

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