संगीत की “स्वर लता” पर विराम!!

संगीत जगत् से आज एक “स्वर लता” पर विराम सा लग गया अब से एक आवाज गुम सी हो जाएगी। युगों की गायिका कोकिला लता मंगेशकर जी को समाज हमेशा याद रखेगा। लता जी की आवाज आज हमेशा के लिए स्वर्ण युगों के इतिहास में याद रखी जाएगी। उनका गाना “ ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो आंसू” जब भी सिनेमा के पर्दे में और रेडियो में लोगों को सुनने को मिलता था तो लोगों की आंखें नम हो जाती थी आवाज की जादूगर लता मंगेशकर का सिनेमा जगत से आज अंत हो गया है। लता के मौन होने पर और उनके स्वर मर जाने पर आज हर कोई निशब्द है क्योंकि यह आवाज अब कभी भी सुनने को नहीं मिलेगी।

खबरें कई प्रकार की होती है लेकिन कुछ खबरें ऐसी होती है जो किसी के यु ही अचानक चले जाने का समाचार लेकर आती है, ऐसा ही एक अत्यन्त दुखद समाचार जब भारत में प्रेषित हुआ तो जिन संगीत स्वरों से लोग मक्तबुध हो जाते थे उन स्वरों की याद में खुद को निशब्द पा रहे हैं। भारत-रत्न, संगीत-साधिका, स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी का 92 साल की उम्र में निधन विश्व के संगीत-संसार के लिए अपूरणीय क्षति है भारतीय संस्कृति की अनुगायिका स्वर-कोकिला लता मंगेशकर जी ने आज बम्बई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 8 बजकर 12 मिनट पर अन्तिम सांस ली। स्वरों की लता के मुरझाने पर और स्वर कोकिला के मौन होने पर सभी निशब्द ।अश्रुपूरित आँखों से सश्रद्ध विश्व-जन कह रहा है …अलविदा स्वर कोकिला…अलविदा। संगीत जगत की क्षति के साथ साथ यह हमारे भारतीय संस्कृति व भारत राष्ट्र की बहुत बड़ी क्षति है लता मंगेशकर जी के जाने से मानो भारत में संगीत के वटवृक्ष पर व स्वर लता पर मानो एक अजीब सा अप्रत्यक्ष विराम सा लग जाएगा।

स्वर साम्राज्ञी, बुलबुले हिंद और कोकिला जैसे सारे विशेषण जो लता मंगेशकर जी के लिए गढ़े गए वे हमेशा ही नाकाफ़ी लगते रहे हैं तथा अब भी नाकाफी ही रहेंगे।महाराष्ट्र में एक थिएटर कंपनी चलाने वाले अपने ज़माने के मशहूर कलाकार दीनानाथ मंगेशकर की बड़ी बेटी लता का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर में हुआ।मधुबाला से लेकर माधुरी दीक्षित और काजोल तक हिंदी सिनेमा के स्क्रीन पर शायद ही ऐसी कोई बड़ी तारिका रही हो जिसे लता मंगेशकर ने अपनी आवाज़ उधार न दी हो।बीस से अधिक भारतीय भाषाओं में लता ने 30 हज़ार से अधिक गाने गए, 1991 में ही गिनीस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने माना था कि वे दुनिया भर में सबसे अधिक रिकॉर्ड की गई गायिका हैं।भजन, ग़ज़ल, क़व्वाली शास्त्रीय संगीत हो या फिर आम फ़िल्मी गाने लता ने सबको एक जैसी महारत के साथ गाया और विश्व मंच पर भारतीय संगीत को एक नई पहचान दिलवाई।

लता मंगेशकर की गायिका के दीवानों की संख्या लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों में है और आधी सदी के अपने करियर में उनका कोई सानी कभी नहीं रहा। उम्दा,बेमिसाल,बेहतरीन,शानदार जितनी भी उपमाएं दी जाएं लता मंगेशकर जी के स्वर जादू के आगे सब फीका सा लगता है। जीवन में छोटी सी आयु में कड़े संघर्ष के बाद अपना स्थान कायम करना और संगीत जगत् पर सर्वदा शीर्ष पर रहने के बावजूद लता ने बेहतरीन गायन के लिए रियाज़ के नियम का हमेशा पालन किया, उनके साथ काम करने वाले हर संगीतकार हर कलाकार ने यही कहा कि वे गाने में चार चाँद लगाने के लिए हमेशा कड़ी मेहनत करती रहीं।

लता को सबसे बड़ा अवार्ड तो यही मिला है कि अपने करोड़ों प्रशंसकों के बीच उनका दर्जा एक पूजनीय हस्ती का है, वैसे फ़िल्म जगत का सबसे बड़ा सम्मान दादा साहब फ़ाल्के अवार्ड और देश का सबसे बड़ा सम्मान ‘भारत रत्न’ लता मंगेशकर को मिल चुका है लेकिन इससे कहीं अधिक अवॉर्ड लोगो का उनके प्रति सम्मान व उनके कार्य की सराहना व प्रशंसा रही है जिसके विरुद्ध कोई कुछ आज तक भी बोल ही नहीं पाया। भारत का स्वर आज यु शांत हो गया जिससे सभी की आंखे नम है। आज लता मंगेशकर जी देश के लोगो के बीच ना रही हो लेकिन उनके स्वर सदैव जीवित रहेंगे यह “स्वर लता” सदैव खिलती रहेंगी।

प्रो. मनोज डोगरा

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