ओमिक्रॉन से लड़ने को तैयार भारत

कोवोवैक्स वैक्सीन नोवोवैक्स की रीकांबिनैंट नैनोपार्टिकल प्रोटीन आधारित वैक्सीन है। स्वदेशी कोर्बेवैक्स वैक्सीन भी प्रोटीन आधारित है। आशा है, इस वर्ष फरवरी माह तक कोर्बेवैक्स की प्रतिमाह 100 मिलियन खुराकें बनने लग जाएंगी। यदि बूस्टर खुराक के रूप में इन दोनों वैक्सीनों के प्रयोग का निर्णय लिया जाता है तो भारत में सभी वयस्कों को बड़ी तेजी से कोविड-19 के विरुद्ध प्रतिरक्षित किया जा सकता  है।

नवंबर, 2021 को दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 के लिए जिम्मेदार कोरोनावायरस के एक नए वैरिएंट की पहचान की गई, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ओमिक्रॉन वैरिऐंट का नाम दिया। दिनांक 26 नवंबर, 2021 को विश्व स्वास्थ्य संगठन के टेक्निकल एडवाइज़री ग्रुप ऑन वायरस इव्योल्यूशन यानी ढअॠ-तए ने इसे ओमिक्रॉन का नाम दिया। कोरोनावायरस  के इस नए वैरिऐंट को बी.1.1.529 का भी नाम दिया गया।

कोविड के नए वैरिऐंट ओमिक्रॉन से संक्रमित होने के लक्षणों को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है : अतिसामान्य लक्षण, अल्प सामान्य लक्षण और गंभीर लक्षण।

बुखार, खांसी, थकान, स्वाद और गंध का चले जाना, गले में खराश, सिर दर्द, शरीर में दर्द, पीड़ा, अतिसार यानी डायरिया, त्वचा पर चकत्ते, उंगलियों अथवा पैर के अंगूठे का रंग बदलना, आंखें लाल होना अथवा उनमें जलन होना, सांस लेने में कठिनाई अथवा सांस फूलना, बोलना और चलना-फिरना बंद होना, उलझन, सीने में दर्द आदि यदि किसी व्यक्ति में इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो उसे तत्काल कोविड-19 का परीक्षण कराना चाहिए।

ओमिक्रॉन और डेल्टा वैरिएंट्स में अंतर

ओमिक्रॉन से पीड़ित व्यक्ति को सांस फूलने या सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या नहीं होती है, जबकि डेल्टा वैरिेऐंट का प्रमुख लक्षण  है सांस फूलना या सांस लेने में तकलीफ होना। शोध के मुताबिक ये वैरिऐंट आपके गले को प्रभावित करता है, फेफड़ों पर उतना असर नहीं करता। इससे पीड़ित व्यक्ति को बुखार, सिर दर्द, जुकाम और खांसी की समस्या होती है। हालांकि, ओमिक्रॉन और डेल्टा वेरिऐंट से पीड़ित व्यक्तियों में फर्क करना काफी मुश्किल है, क्योंकि ओमिक्रॉन के टेस्ट के लिए जीनोम सीक्वेसिंग की जरूरत होती है।

भारत के प्रधान मंत्री ने गत वर्ष दिसंबर के उत्तरार्ध में राष्ट्र के नाम दिए अपने संदेश में यह कहा है कि 3 जनवरी, 2022 से देश के 15 से 18 वर्षीय बच्चों को वैक्सीन की खुराक देने की शुरुआत करने की बात कही। इसके साथ ही उन्होंने अपने संबोधन में यह बताया कि देश में कोरोनावायरस के नए स्ट्रेन ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों को देखते हुए देश के फ्रंटलाइन वर्कर्स और पहले से किसी रोग से पीड़ित वरिष्ठ नागरिकों को भी कोरोनावायरस के संक्रमण से बचाने के लिए 10 जनवरी, 2022 से वैक्सीन की तीसरी यानी बूस्टर खुराक देने की भी शुरुआत होने की जानकारी दी। प्रधान मंत्री के निर्णय के अनुसार 3 जनवरी से बच्चों और 10 जनवरी से फ्रंटलाइन वर्कर्स एवं वरिष्ठ नागरिकों के लिए वैक्सीन की बूस्टर खुराक अर्थात प्रिकॉशन टीकाकरण की शुरुआत कर दी गई है।

भारत में नेशनल टेक्निकल एडवाइज़री ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन यानी एनटीएजीआई के अध्यक्ष अनुसार भारत के प्रधान मंत्री द्वारा 15 से 18 वर्षीय आयु वर्ग के बच्चों के कोविड टीकाकरण का निर्णय पूरी तरह वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है। पिछले 2 वर्षों के दौरान मिले आंकड़ों का मूल्यांकन करने पर पता चला है कि 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों में होने वाली कुल 75% मौतों के पीछे 15 से 18 वर्षीय आयु वर्ग में कोविड-19 से पीड़ित होने का हाथ था।

कोविड 19 से बचाव के सरकारी दिशानिर्देश

सरकार द्वारा नागरिकों की कोरोनावायरस संक्रमण से सुरक्षा के लिए समय-समय पर गाइडलाइंस यानी

दिशानिर्देश और नियमों का प्रचार प्रसार किया जाता है परंतु इनका अनुपालन करना उन तमाम नागरिकों को है जो कोविड-19 और ओमिक्रॉन संक्रमण के भयावह परिणामों को जानते हुए भी दिशानिर्देशों की धज्जियां उड़ाते हैं। इस प्रकार आज हमें दैनिक दिनचर्या के दौरान अपने व्यवहार में न सिर्फ परिवर्तन लाने बल्कि अपने आस-पास लोगों को इसे प्रेरित करने की भी नितांत आवश्यकता है। आजकल, लोगों को जागरूक बनाने में डिजिटल माध्यम की एक सशक्त भूमिका है जिसका भरपूर उपयोग सहायक हो सकता है।

ओमिक्रॉन के संक्रमण से बचने के प्रोटोकॉल

कोरोनावायरस के डेल्टा वैरिएंट् के ही समान ओमिक्रॉन वैरिऐंट के संक्रमण से बचने के लिए भारत सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस के अनुपालन के साथ-साथ पौष्टिक आहार का सेवन और व्यायाम करना चाहिए।

ओमिक्रॉन  से निपटने में भारत की मजबूत तैयारी

शुरुआत में कोविड-19 के प्रति भारत मैं उपलब्ध स्वास्थ्य एवं अन्य सुविधाएं पर्याप्त नहीं थीं। हमारे पास पीपीई किट, छ95 मास्क की कमी थी। वेंटीलेटर्स की संख्या 30,000 से कम और क्रिटिकल केयर बिस्तरों की संख्या बहुत कम थी। परंतु भारत सरकार की समर्पित सेवाओं और सुविधाओं के चलते बहुत कम समय में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली गई। आज भारत में जहां राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग के अंतर्गत 542 मेडिकल कॉलेज और 64 स्नातकोत्तर संस्थान हैं, वहीं नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन के अंतर्गत 1000 से ज्यादा स्नातकोत्तर संस्थान कार्यरत हैं। इन सभी संस्थानों में कुल मिलाकर लगभग 6 लाख बिस्तरे और बड़ी संख्या में आईसीयूज़ कोविड-19 के गंभीर रोगियों की चिकित्सा के लिए उपलब्ध हैं। इनके अलावा देश भर में 30 से 50 बिस्तरों वाले हजारों की संख्या में नर्सिंग होम हैं, जो योग्य एवं प्रशिक्षित शिक्षकों चिकित्सकों की देख-रेख में मध्यम दर्जे के कोविड-19 रोगियों को  ऑक्सीजन और एस्टेरॉइड देकर उपचार कर रहे हैं। एक प्रकार से ये नर्सिंग होम देश के बड़े सार्वजनिक और निजी अस्पतालों के भार को कम करने में सहायक हुए हैं।

भारत में कोविड-19 के प्रति सुरक्षा के लिए अभी भारत बायोटेक द्वारा स्वदेशी निर्मित ’कोवैक्सिन’ और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ’कोवीशील्ड’ नामक दो वैक्सीनें प्रयोग की जा रही हैं। हाल ही में, भारत सरकार के ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानी डीसीजीआई ने दो और वैक्सीनों के प्रयोग को मंजूरी प्रदान की है। ये हैं:  सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ’कोवोवैक्स’ और बायोलॉजिकल ई द्वारा निर्मित ’कोर्बेवैक्स’।

कोवोवैक्स वैक्सीन नोवोवैक्स की रीकांबिनैंट नैनोपार्टिकल प्रोटीन आधारित वैक्सीन है। स्वदेशी कोर्बेवैक्स वैक्सीन भी प्रोटीन आधारित है। आशा है, इस वर्ष फरवरी माह तक कोर्बेवैक्स की प्रतिमाह 100 मिलियन खुराकें बनने लग जाएंगी। यदि बूस्टर खुराक के रूप में इन दोनों वैक्सीनों के प्रयोग का निर्णय लिया जाता है तो भारत में सभी वयस्कों को बड़ी तेजी से कोविड-19 के विरुद्ध प्रतिरक्षित किया जा सकता है।

भारत में टीकाकरण की स्थिति

भारत में सार्वजनिक टीकाकरण की शुरुआत 16 जनवरी 2021 को की गई थी। दिनांक 6 अगस्त, 2021 को भारत के 50 करोड़ खुराकों का टीकाकरण किया गया। दिनांक 21 अक्टूबर 2021 को वैक्सीन की खुराकों का ऐतिहासिक आंकड़ा 100 करोड़ हो गया। दिनांक 7 जनवरी, 2022 को भारत में वैक्सीन की 150 करोड़ खुराकों से टीकाकरण का कीर्तिमान हासिल कर लिया गया।

कोरोनावायरस के ओमिक्रॉन वैरियेंट का संक्रमण बड़ी ही तेजी से फैलता जा रहा है। हालांकि, इससे केवल श्वसन पथ ही संक्रमित हो रहा है, अभी तक फेफड़ों के संक्रमित होने की जानकारी नहीं मिली है परंतु इसकी संक्रामक तीव्रता गंभीर चिंता का विषय है। इसके संक्रमण से बचाने के लिए प्रधानमंत्री ने 10 जनवरी, 2022 से सर्वप्रथम उन फ्रंटलाइन वर्कर्स और उसके बाद वरिष्ठ नागरिकों को वैक्सीन की बूस्टर खुराक से प्रतिरक्षित करने की योजना बनाई है जिन्होंने वैक्सीन की दोनों खुराकें प्राप्त कर ली हैं। हालांकि, अभी तक यह निर्णय नहीं लिया गया है कि बूस्टर खुराक में क्या दूसरी कंपनी द्वारा निर्मित वैक्सीन दी जा सकती है अथवा नहीं। इसे ज्ञात करने के लिए भारत के वैज्ञानिक निरंतर प्रयासरत हैं। तब तक बूस्टर खुराक के लिए वही वैक्सीन प्रयोग की जाएगी, जिसकी पूर्व में दो खुराकें दी गई हैं। कोविड-19 की महामारी से बचने के लिए सरकार द्वारा हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं, परंतु इससे बचाव के प्रोटोकॉल का अनुपालन नागरिकों के हाथ में है।

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