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व्लादिमीर पुतिन और सस्पेंस

व्लादिमीर पुतिन और सस्पेंस

by हिंदी विवेक
in राजनीति, विशेष
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ब्रिटिश फिल्मकार अल्फ्रेड हिचकॉक ने असमंजस, दुविधा या सस्पेंस के विषय पर एक बार कहा था कि जितना संभव हो सके दर्शकों को परेशान करें। ऐसा लगता है कि रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन हिचकॉक की फ़िल्में ख़ूब देख रहे हैं। महीनों तक पुतिन ने दुनिया को अनुमान लगाने दिया कि वह यूक्रेन पर हमला करेंगे या नहीं? लेकिन उन्होंने किया। सवाल उठा कि शीत युद्ध के बाद यूरोप में जो सुरक्षा व्यवस्था बनी थी, उसे नष्ट करने की योजना बना रहे हैं या नहीं?

जब उन्होंने फरवरी 2022 में पूर्वी यूक्रेन के दो अलगाववादी इलाक़ों को स्वतंत्र क्षेत्र के रूप में मान्यता दी तो कई लोग हैरान रह गए। लेकिन पुतिन अब क्या करेंगे? अभी कुछ दिन पहले ही पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन में सैनिक भेजने की घोषणा कर दी थी, और दो नए राज्यों का गठन कर उन्होंने अपने इरादे दुनिया के सामने जाहिर कर दिये थे।

पुतिन्स रशा- किताब की लेखिका लिलिया श्वेतसोवा कहती हैं कि पुतिन के लिए सस्पेंस सबसे पसंदीदा उपकरण है। श्वेतसोवा कहती हैं, पुतिन आग लगाकर और बुझाकर, तनाव बनाए रखेंगें अगर वह अपने मानसिक तर्क पर बने रहते हैं तो पूरी ताकत से हमला नहीं करेंगे लेकिन उनके पास संभावित कदम उठाने के लिए अलग अलग कई चीज़ें हैं। जैसे साइबर हमला और दक्षिणी अमेरिकी अजगर की तरह यूक्रेन को आर्थिक और सैन्य शक्ति से दबोचते रहेंगे। रूसी सेना पूरे दोनेत्स्क और लुहांस्क को भी अपने नियंत्रण में ले चुकी है। वह बिल्ली की तरह चूहे के साथ खेलते रहेंगे।

श्वेतसोवा आगे कहती हैं कि रूस की सत्ता की दीवार के पीछे क्या चल रहा है, इसकी थाह लेना बेहद मुश्किल काम है। पुतिन के दिमाग को पढ़ना या समझना अब भी उतना ही चुनौतीपूर्ण है, जितना बीस बाइस साल पहले था। लेकिन पुतिन के बयानों और उनके भाषणों से उनकी सोच का कुछ अंदाज़ा लगता है। शीत युद्ध का जिस तरह से अंत हुआ, उससे पुतिन बहुत नाराज़ रहते हैं।

शीत युद्ध का अंत सोवियत संघ के बिखरने और उसके प्रभाव के अंत की कहानी है। नाटो का विस्तार पूरब तक हुआ और पुतिन की कड़वाहट बढ़ती गई। पुतिन उस व्यक्ति तरह लग रहे हैं, जो पूरी शक्ति के साथ एक मिशन पर लगा हो। पुतिन का मिशन साफ है कि यूक्रेन को रूस के साथ किसी भी तरह से लाना। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में सीनियर रिसर्च असोसिएट व्लादिमीर पस्तुखोव कहते हैं, वह रूस के फ़ेडरल सिक्यॉरिटी सर्विस के एक अधिकारी से ज़्यादा अयातुल्लाह लग रहे हैं। वह इतिहास में अपनी ख़ास जगह के लिए किसी धार्मिक आस्था की तरह लगे हुए हैं। व्लादिमीर पस्तुखोव कहते हैं, अगर अपने नियम से पुतिन को खेल खेलने की आज़ादी मिली है तो इसे वह जहाँ तक संभव होगा, लंबा ले जाएंगे। वह धीमी आँच पर मांस पकाएंगे। पश्चिम के नेताओं को लग रहा है कि नए प्रतिबंध गेमचेंजर होंगे लेकिन पुतिन बहुत ही सख़्ती दिखा रहे हैं।

रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने कहा, हम इन प्रतिबंधों को अवैध मानते हैं। हम लंबे समय से इसे देख रहे हैं और पश्चिम हमारी प्रगति को रोकने के लिए इसी टूल का बार बार इस्तेमाल करता है। हमें पता था कि प्रतिबंध लगेगा, चाहे कुछ भी हो। यह कोई मायने नहीं रखता है कि हमने कुछ किया है या नहीं? उनका प्रतिबंध अनिवार्य है। यह पूछे जाने पर कि क्या रूस पश्चिम में अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा की परवाह नहीं करता है, जो कि लगातार निचले स्तर पर जा रही है। आपके मुल्क को एक हमलावर के तौर पर देखा जा रहा है? इस सवाल के जवाब में मारिया कहती हैं, हमारी इस प्रतिष्ठा की खोज आप कर रहे हैं। पश्चिम की प्रतिष्ठा के बारे में आप क्या सोचते हैं? जो कि ख़ून से रंगा हुआ है।

सोवियत आर्मी के एक पूर्व कमांडर एलेक्सी ने कहा,  केवल यूक्रेन नहीं है जो रूस में लौटेगा। पोलैंड, बुल्गारिया और हंगरी भी हैं। ये सभी देश हमारे हुआ करते थे। एलेक्सी को 1990 के दशक की आर्थिक उथलपुथल याद है लेकिन अब उन्हें लगता है कि रूस अपने घुटनों पर खड़ा हो गया है। एलेक्सी कहते हैं, यह एक जैविक प्रक्रिया है। जब एक बच्चा बीमार पड़ता है तो बीमारी से लड़ने की और क्षमता विकसित कर लेता है। 1990 के दशक में रूस इसी बीमारी से ग्रस्त हुआ था, लेकिन बीमारी ने हमें और मज़बूत बना दिया है। हमें नाटो को दूर जाने के लिए मनाने की ज़रूरत नहीं है। वह खुद ही सब छोड़ देगा। बस समय की बात है।

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Tags: cold wareuropian unionhindi vivekkyivrussiarussia ukraine crisissuspenseukraineUSSRvladimir putin

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