पश्चिम बंगाल के हालात हर दिन चिंता जनक होते जा रहे है और वहां बीजेपी कार्यकर्ता राजनीति का शिकार हो रहे है जिसमें उन्हें अपनी जान तक गंवानी पड़ रही है पहले तो कार्यकर्ताओं पर हमले होते थे लेकिन अब सदन में विधायकों पर भी हमले शुरु हो गये है जो एक चिंता का विषय है। बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद जो खुला नरसंहार हुआ था वह अभी किसी को भूला नहीं था कि उसके बाद वीरभूमि में हुए नरसंहार ने सभी का ध्यान बंगाल की तरफ खींच लिया है।
ऐसा सोच कर भी रूह कांप जाती है कि वीरभूमि में लोगों को उनके घरों में बंद कर आग लगा दी गयी जिसमें महिलाओं और छोटे बच्चों को भी नहीं बक्शा गया। विधानसभा चुनाव के बाद टीएमसी की जीत हुई जिसके बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं को खुलेआम मारा गया और पूरा देश चुपचाप देखता रहा। केंद्र सरकार, मानवाधिकार और पत्रकार सब चुप रहे और बंगाल में बीजेपी की महिला कार्यकर्ताओं तक को मारा गया, कई महिलाओं के साथ रेप भी किया गया।
TMC’s Pandaveswar (Asansol) MLA Naren Chakraborty, is seen issuing open threats to BJP voters and supporters, asking them not to come out and vote, or else face consequences. Such criminals should be behind bars but in Bengal Mamata Banerjee patronises them.
ECI must take note. pic.twitter.com/5KiPsPZHVG
— Amit Malviya (मोदी का परिवार) (@amitmalviya) March 29, 2022
विधानसभा चुनाव से शुरू हुआ नरसंहार का सिलसिला अब और भी बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। वीरभूमि के बाद अब बर्धमान के टीएमसी विधायक नरेंद्र नाथ चक्रवर्ती ने बीजेपी वोटरों को खुली धमकी दी और कहा है कि बीजेपी को वोट देने ना निकले वरना उसके बाद आप कहां होंगे यह किसी को पता नहीं होगा। बीजेपी समर्थकों के लिए बेहतर होगा कि वह अपने घरों में ही रहे जिससे उनकी जान बची रहेगी और हम उन्हें अपना समर्थक समझेंगे। हालांकि यह कोई पहली बार नहीं है जब टीएमसी नेताओं की तरफ से धमकी मिली हो इससे पहले भी छोटे नेताओं की तरफ से बीजेपी कार्यकर्ताओं को धमकी मिल चुकी है लेकिन सवाल यह उठता है कि बीजेपी के लिए काम करने वालों की रक्षा कौन करेगा? क्या केंद्र सरकार की तरफ से उनके लिए कोई सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी या नहीं अगर नहीं तो फिर लोग बीजेपी को क्यों वोट देंगे और अपनी व अपने परिवार की जान को जोखिम में क्यों डालेंगे।
वीरभूमि हिंसा के बाद से केंद्र की जांच एजेंसियां भी बंगाल पहुंच चुकी है लेकिन उससे भी बंगाल के हालात पर कोई फर्क नहीं दिख रहा है और अभी भी टीएमसी की तरफ से खुली धमकी जारी है जिससे यह कहना गलत नहीं होगा कि कभी भी बंगाल में हिंसा भड़क सकती है। केंद्र सरकार को अब इस पर विचार करना चाहिए था क्योंकि अगर समय रहते हुए इस पर कोई कड़ा कदम नहीं उठाया गया तो यहां भी हालात बिगड़ सकते हैं और बीजेपी समर्थकों के लिए कश्मीर की 1990 की घटना दोहराई जा सकती है। पश्चिम बंगाल में टीएमसी की सरकार है और वहां पर फिर से उपचुनाव होने है जिसमें हार से बचने के लिए टीएमसी के नेता ने गैर टीएमसी वोटरों को खुली धमकी दे दी है जबकि उन्हें यह पता है कि यह गैर कानूनी है।
देश में सभी को अपने मताधिकार का प्रयोग करने की छूट है लेकिन बावजूद इसके वोटरों को गायब करने की धमकी दी जा रही है जो भविष्य के लिए चिंता का विषय है। टीएमसी की धमकी के बाद भी अगर उस पर कार्रवाई नहीं हुई तो उनको और सह मिलेगी और वह फिर किसी दिन बीजेपी वोटरों को घर परिवार छोड़कर जाने की धमकी देंगे और ऐसा करने वालों के साथ मारपीट, हत्या और आगजनी की घटना को अंजाम देंगे। इसलिए केंद्र सरकार को जल्द से जल्द इस पर विचार करना चाहिए और बंगाल के लोगों की जान की रक्षा करनी चाहिए।