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राजधर्म- ऊंचे पदों के बौने लोग

New Delhi : Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal addressing a press conference virtually, New Delhi, on Thursday, May 05, 2022.(Photo:IANS/AAP Video Grab)

राजधर्म- ऊंचे पदों के बौने लोग

by पार्थसारथी थपलियाल
in ट्रेंडींग, राजनीति
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बात अप्रैल 1999 की है। भारत के प्रधानमंत्री थे अटल बिहारी बाजपेयी। लोकसभा में सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के बाद मतदान हुआ। सरकार के पक्ष में 269 मत पड़े और विपक्ष में 270 मत। एक वोट से 13 महीने पूर्व बनी भाजपा नीत एन डी ए सरकार, जिसके प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी थे, सदन में बहुमत खो चुके थे। पहले 13 दिन और इस बार 13 महीने में उन्हें त्यागपत्र देने पड़ था। क्या भाजपा एक मत की व्यवस्था नही कर सकती थी? लेकिन अटल जी ने ऐसा नही किया। यह एक आदर्श है।

चाणक्य का कथन है शासन में उन लोगों को अवसर न दिया जाय जो छोटी सोच के हों। छोटी सोच और ओछे लोग कभी आदर्श व्यवस्था को स्थापित नही होने देते। किसी भी सरकार को नागरिकों के प्रति तात्कालिक प्रतिक्रियावादी नही होना चाहिए। उसे उदारता का भाव रखना चाहिए।

वर्ष 2019 में एक फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मृत्यु को लेकर समाज मे उभरे आक्रोश में एक स्वर अभिनेत्री कंगना रानौत का भी था। महाराष्ट्र की अघाड़ी सरकार ने बी. एम. सी. के बुलडोजर को कंगना के दफ्तर को तोड़ने के काम पर लगा दिया। यही नही सुशांत राजपूत के वृद्ध पिता ने पटना में जब इसी प्रकरण को लेकर FIR दर्ज की और बिहार पुलिस  के IPS अधिकारी विनय तिवारी को अग्रिम सूचना मुंबई पुलिस को देते हुए मुंबई भेजा गया तो कोरोना नियमों के उल्लंघन का दोषी बताकर 14 दिनों के लिए क्वारन्टीन कर दिया। यह महान लोगों का महान चरित्र है।

आप  उत्तर प्रदेश के उस अपराधी के नाम से परिचित होंगे जिसके नाम से बड़े बड़े अफसर कांपते थे, नाम है मुख्तार अंसारी। उत्तर प्रदेश में 2017 में योगी सरकार बनने के बाद जब अपराधियों/भू माफियाओं की धर पकड़ शुरू हुई तो मुख्तार अंसारी ने 2019 में पंजाब सरकार से सांठगांठ की और पंजाब में किसी छोटे मोटे अपराध में अपनी गिरफ्तारी दी और पंजाब की जेल में बंद हो गया। उत्तर प्रदेश सरकार ने कई प्रयास किये लेकिन पंजाब की तत्कालीन उदारवादी सरकार ने बार बार बहाने बनाये और तब तक उत्तर प्रदेश पुलिस के हवाले नही किया जब तक कोर्ट ने फटकार नही लगाई।

दिल्ली पुलिस भारत सरकार के गृहमंत्रालय के अधीन है इस कारण दिल्ली सरकार अपने विरोधियों को जेल की सलाखों के पीछे नही भेज पाती है। यह भी ऊँचें लोगों की बौनी गाथा है। हाल ही में इनकी पार्टी की सरकार पंजाब में भी बन गई है। सत्ता का नशा क्या न करवा दे? सबसे पहले पंजाब पुलिस को भेजा गाज़ियाबाद, वहां आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य कुमार विश्वास रहते हैं। वही कुमार विश्वास जो 2011 में रामलीला मैदान दिल्ली में  तिरंगा लहराते हुए “कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है” जैसी गज़लें सुनाकर युवावर्ग को “इंडिया अगेंस्ट करप्शन” अभियान के माध्यम से नव क्रांति का शंखनाद किये हुए थे।

एक सुबह डॉ कुमार विश्वास के घर पंजाब पुलिस भिजवा दी, यही नही उसी आंदोलन की नेत्री अल्का लाम्बा के विरुद्ध भी पंजाब पुलिस ने  कार्यवाही शुरू कर दी। हद तो तब हो गई जब तजिंदर सिंह बग्गा के घर 6 मई, 2022 को पंजाब पुलिस भेज दी और बग्गा को पुलिस दिल्ली से उठाकर ले गई। रास्ता हरियाणा से पंजाब की ओर बढ़ता है,  कुरुक्षेत्र पुलिस ने घेराबंदी कर पंजाब पुलिस को रोक लिया और बाद में दिल्ली पुलिस बुलाकर बग्गा को दिल्ली भेज दिया। ये बड़े पदों पर बैठे लोगों के वे कारनामे है, जिनसे गटर की भयंकर बदबू आती है। सुराज की लड़ाई लड़नेवाली पार्टी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दुश्मन बन गई।

महाराष्ट्र में सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा हनुमान चालीसा पढ़ने की चुनौती देकर महाराष्ट्र की अघाड़ी सेना के कोप भाजन बन गए। 10-11 दिन अनावश्यक ही अहंकारी शासन की सलाखों की व्यवस्था में रहे। हनुमान चालीसा पढ़ने की जानकारी देने पर राजद्रोह!

बड़े लोगों की छोटी हरकतें सत्यनिष्ठा और संविधान की शपथ लेने वालों के ही नाम नही हैं, उनके नाम भी है जो सत्यनिष्ठा से भ्रष्टाचार करते हैं जैसे गाज़ियाबाद की तत्कालीन डी एम जिन्होंने पूर्व डीएम से प्राप्त अनुभव व अन्य अधिकारियों के सहयोग से दिल्ली- मेरठ पूर्वी पेरिफेरल एक्सप्रेस वे में नियमविरुद्ध ज़मीन का सौदा कर करोड़ों रुपये हड़प लिए। यही नही महापुरुषों की अनुकरणीय गौरवगाथा अभी बाकी है। राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी के कुलपति कोटा में 5 लाख की रिश्वत लेते हुए भ्रष्टाचार निरोधक दल धर दबोचा, उनके कमरे में 21 लाख रुपये उनके द्रोणाचार्य होने के सम्मान को चीन्थड़ा चीन्थड़ा कर रहे थे।

झारखंड की आई ए एस अधिकारी पूजा सिंघल का जिक्र न करना उनके गौरव को कम आंकना होगा। ई डी की छापेमारी में अबतक 25 करोड़ की संपत्ति हाथ लगी है। मैं महाराष्ट्र के अभूतपूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख की उस प्रतिभा का कायल हूँ जिसने पुलिस को ही 100 करोड़ प्रतिमाह की उगाही का मार्ग बताया। नवाब मलिक से यह सीख मिली कि कबाड़ के धंधे से करोड़पति कैसे बन सकते हैं। वरना इस देश के बहुत से नेता गमलों में खेती कर अरबपति बने हुए हैं। ऊंचे पदों पर बैठे बौने लोग यही कर सकते हैं।

जिसने अन्ना हज़ारे के मंच पर भ्रष्टाचार खत्म करने की कसम खाई थी, कसम तो महाशय ने बच्चों की भी खाई थी कि राजनीति में नही जाऊंगा, उसने पूरे समाज को ही भ्रष्ट बना दिया। “माल ए मुफ्त दिल ए बेरहम” सत्ता कब्जाने के लिए भारत को मुफ्तखोर बना रहे हैं।

एक गरीब जो ठेले पर सब्जी लेकर दिनभर फेरी लगाकर अपने परिवार को पालता है, उसे लोग चोर कह देते हैं, कभी भगवान के नाम पर, कभी संविधान के नाम पर सत्यनिष्ठा की शपथ लेने वाले मतदान के पवित्र जल से अभिषिक्त हुए जनप्रतिनिधियों और धौलपुर हाउस का ठप्पा लगाए मसूरी आश्रम से निकली उन प्रतिभाओं से हम अपना चरित्र सत्यापित करवाते हैं, वे करोड़ों रुपये कहां से कमा लेते हैं? उनकी गौरव गाथाएं यत्र तत्र सर्वत्र व्याप्त है। उन्हें दूसरों को ईमानदारी का प्रमाण पत्र देने का अधिकार भी है।

इस शेर के लिए राहत इंदौरी हमेशा जिंदा रहेगा-

बन के इक हादसा बाजार में आ जाएगा,

जो नहीं होगा वो अखबार में आ जाएगा।

चोर उचक्कों की करो कद्र, कि मालूम नहीं,

कौन, कब, कौन सी सरकार में आ जाएगा।।

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Tags: aap governmentarwind kejriwalbhgvant manndelhihindi vivekpunjabtejinderpal singh bagga

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