हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
जब 24 साल पहले भारत ने दुनिया को चौंकाया था

जब 24 साल पहले भारत ने दुनिया को चौंकाया था

by धर्मेन्द्र पाण्डेय
in देश-विदेश, विज्ञान, विशेष
0

अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में वर्तमान सरकार ने अभी कामकाज संभाला ही था कि 11 और 13 मई को भारत ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया कि पूरी दुनिया दंग रह गई। उस समय भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव काफी ज्यादा था, लेकिन तत्कालीन प्रधान मंत्री  ने तय किया कि किसी भी हाल में परीक्षण अवश्य किया जाए। इसके साथ ही भारत एक परमाणु ताकत बना। उसी समय वाजपेयी ने जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान का नारा दिया। इसी वजह से इस परमाणु परीक्षण शृंखला के पहले दिन को हर साल नेशनल टेक्नोलॉजी डे के तौर पर मनाया जाता है।

आज ही के दिन 1998 में भारत के पोखरण में किए गए परमाणु परीक्षण सम्पन्न हुए थे। 11 और 13 मई को किए गए ये परमाणु परीक्षण सामरिक दृष्टि से काफी मायने रखते हैं। भारत के लिए उस अनिश्चतता के दौर में अपने आप को विश्वपटल पर मजबूत दिखने के लिए कुछ बड़ा करने की आवशयकता थी। राजस्थान की पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में खेतोलाई गांव के पास इन दोनों दिनों में कुल पांच परमाणु परीक्षण किए गए। इस परीक्षण की खासियत है कि दुनिया भर के परमाणु संयंत्रों और सैन्य गतिविधियों पर सैटेलाइट से निगरानी करने वाले अमेरिका को भी कुछ पता नहीं चला।

उस समय भारत में राजनीतिक उठापटक चरम पर था। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में वर्तमान सरकार ने अभी कामकाज संभाला ही था कि 11 और 13 मई को भारत ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया कि पूरी दुनिया दंग रह गई। उस समय भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव काफी ज्यादा था, लेकिन तत्कालीन प्रधान मंत्री ने तय किया कि किसी भी हाल में परीक्षण अवश्य किया जाए। इसके साथ ही भारत एक परमाणु ताकत बना। उसी समय वाजपेयी ने जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान का नारा दिया। इसी वजह से इस परमाणु परीक्षण शृंखला के पहले दिन को हर साल नेशनल टेक्नोलॉजी डे के तौर पर मनाया जाता है।

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की अगुआई में यह मिशन कुछ इस तरह से अंजाम दिया गया कि अमेरिका समेत पूरी दुनिया को इसकी भनक तक नहीं लगी। 1995 में अंतरराष्ट्रीय दबाव में भारत अपने परीक्षण टाल चुका था। उसके बाद से दुनियाभर के कई देशों ने भारत पर निगरानी बढ़ा दी थी। अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA भारत पर नजर रखे हुए थी और उसने पोखरण पर निगरानी रखने के लिए 4 सैटेलाइट लगाए थे। भारत ने CIA और उसके सैटेलाइटों को चकमा देते हुए परमाणु परीक्षण कर दिया।

पोखरण में न्यूक्लियर टेस्ट की गोपनीयता बनाए रखने के लिए वैज्ञानिक भी सैनिकों के वेश में काम करते । प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिक आपस में कोड लैंग्वेज में बात करते थे। सब वैज्ञानिकों ने एक-दूसरे के लिए कोड नेम रखे थे। यह इतने प्रचलित हो गए थे कि कई वैज्ञानिक तो एक-दूसरे के वास्तविक नाम तक भूल गए थे। सेना की वर्दी में वैज्ञानिकों की ड्यूटी लगाई गई थी, ताकि विदेशी खुफिया एजेंसियों को लगे कि सेना के जवान ही ड्यूटी पर हैं। मिसाइलमैन अब्दुल कलाम भी सेना की वर्दी में थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक डॉ. कलाम को कर्नल पृथ्वीराज कहा गया। वे कभी ग्रुप में टेस्ट साइट पर नहीं जाते थे। अकेले जाते ताकि कोई शक न कर सके।

10 मई की रात को योजना को अंतिम रूप देते हुए ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन शक्ति’ नाम दिया गया। 11 मई को तड़के करीब 3 बजे परमाणु बमों को सेना के 4 ट्रकों के जरिए ट्रांसफर किया गया। इससे पहले इसे मुंबई से भारतीय वायु सेना के प्लेन से जैसलमेर बेस लाया गया था। ऑपरेशन के दौरान दिल्ली के ऑफिस की बातचीत कोड वर्ड्स में होती थी। परमाणु बम के दस्ते को ताजमहल कहा गया, तो व्हाइट हाउस और कुंभकरण भी प्रोजेक्ट में शामिल कुछ कोड वर्ड्स थे।

वैज्ञानिकों ने इस मिशन को पूरा करने के लिए रेगिस्तान में बड़े कुएं खोदे। उनमें परमाणु बम रखे गए। कुओं पर बालू के पहाड़ बनाए गए जिन पर मोटे-मोटे तार निकले हुए थे। धमाके से आसमान में धुएं का गुबार उठा और बड़ा गड्ढा बन गया था। कुछ दूरी पर खड़ा 20 वैज्ञानिकों का समूह पूरे घटनाक्रम पर नजर रखे हुए था। पोखरण रेंज में 5 परमाणु बम के परीक्षणों से भारत पहला ऐसा परमाणु शक्ति संपन्न देश बन गया, जिसने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए थे।

11 और 13 मई 1998 को पोखरण में भारत ने परमाणु परीक्षण किया तो इजरायल को छोड़कर दुनिया के सारे देश भारत के खिलाफ उठ खड़े हुए। अमेरिका सहित कई देशों ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे। इससे पहले 18 मई 1974 को पोखरण में ही उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निर्देश पर भी बुद्ध मुस्कुराए थे। दरअसल, बुद्ध पूर्णिमा पर किये गए पहले परमाणु परीक्षण को स्माइलिंग बुद्धा नाम नाम दिया गया था।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: dr apj abdul kalamhindi viveknuclear testoperation shaktipokhransmiling buddha

धर्मेन्द्र पाण्डेय

Next Post
मोदी जी का गंगा स्नान, हिंदवी स्वराज्य की रक्षा के लिए

मोदी जी का गंगा स्नान, हिंदवी स्वराज्य की रक्षा के लिए

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0