ताजमहल और ज्ञानव्यापी पर जो फैसले आये है हिन्दू उन्हें स्वीकार कर ले और ताजमहल को लेकर जो फटकार पड़ी है उसे सकारात्मक ले। गलती हमारी ही है जो बिना ठोस सबूत के पीआईएल लगाई। लेकिन ज्ञानव्यापी पर जो सफलता मिली है उसे जरूर एन्जॉय कीजिये और एक सबक ले लीजिए आपके गांव और शहरों के प्रसिद्ध मंदिरों के पास कोई दरगाह विकसित मत होने दीजिए? वरना एक ज्ञानव्यापी केस आपके अपने स्थान पर होगा।
ये एक कमाल का संयोग है कि जहाँ जहाँ हिन्दुओ के मंदिर होते है उसके ठीक आजु बाजू में ही कोई मुस्लिम फ़क़ीर अपनी जान देता है और चाहे मुस्लिम आबादी कितनी ही हो दरगाह स्वतः बन जाती है। ये पूरी तरह हिन्दुओ की घेराबंदी करने का प्रयास है ताकि जब जेहाद हो तो हिन्दुओ पर बारूद की बारिश हो सके।
ज्ञानव्यापी मंदिर इसलिए टूट गया क्योकि औरंगजेब का शासन था, औरंगजेब अज्ञानी था उसे लगता था कि भारत सदा मुगलो के अधीन रहेगा लेकिन उसकी मृत्यु के 50 वे वर्ष ही दिल्ली को मराठाओ ने आजाद कर लिया। मराठाओ ने भी यही सोचा था कि उनका हिन्दू स्वराज्य शाश्वत है लेकिन अंग्रेजो से हार गए अन्यथा यह विवाद कब का सुलझ जाता।
अंग्रेज गए तो दोबारा एक हिंदूवादी लोकशाही आयी जिस पर समय समय पर नेहरू गांधी नाम का ग्रहण पड़ता रहा। अब ज्ञानव्यापी का सर्वे हो रहा है और यह पता चल ही जाएगा कि यह एक मंदिर था। काशी भी जल्द ही मुक्त होगी, फिर मथुरा भी। इन मंदिरों से हिन्दुओ को कुछ भी हासिल नहीं होने वाला, लेकिन ये युद्ध आपकी योग्यता का है। इस्लामिक गिद्ध हिंदुस्तान पर नजरें गढ़ाए बैठे हैं बस एक बार हिन्दू किसी तरह कमजोर पड़ जाए बाकी पर्शिया को ईरान बनाने की कला में वे माहिर है।
लेकिन हम हिन्दू भारत को दोबारा इस्लामिक हाथों में नही जाने देंगे, विंस्टन चर्चिल को कोट करते हुए लिखूंगा की हम लड़ेंगे
हम कोर्ट में लड़ेंगे, कोर्ट के बाहर लड़ेंगे, हम तराइन में लड़ेंगे, हम पानीपत और हल्दीघाटी में लड़ेंगे, हम खेतो में लड़ेंगे, हम सड़क पर लड़ेंगे, हम जंगल मे लड़ेंगे, हम समुद्र और आकाश में लड़ेंगे लेकिन इस्लामिक शक्तियों के आगे समर्पण नही करेंगे और उन्हें पाकिस्तान नही बनाने देंगे बल्कि जो पाकिस्तान बन गया है वहाँ से भी उनका समूल नाश करेंगे।
चाहे चूड़ी पहने सेक्युलर हो या चूड़ी तोड़ते विचलित हिंदूवादी, हमे लाशों से नही डरना है। हो सकता है कुछ राष्ट्रवादियों के वे गले काट दे सेक्युलर उस पर ठहाके लगाएंगे और हिंदूवादी एक विधवा की तरह आंसू बहाकर आपको हतोत्साहित करेंगे आपको इन दोनों के भी विरुद्ध लड़ना होगा। ये धर्म का युद्ध है ना जाने कितने अभिमन्यु और घटोत्कच मारे जाएंगे लेकिन 18वे दिन दुर्योधन की जंघा भी टूटेगी।
ज्ञानव्यापी से सबक लीजिये, उसे बचाना किसी के हाथ मे नही था लेकिन अपने मंदिरों के पास दरगाह बनने से रोकिए ये आपके हाथ मे है। हिन्दू धर्म और संस्कृति बनाने के लिए हर प्रयास कीजिये आगे होइहि सोइ जो राम रचि राखा।
– परख सक्सेना