ज्ञानवापी सर्वे की पूरी रिपोर्ट अब सामने आ गई है !

अभी तक शिवलिंग के बारे में पुरानी तस्वीरें सामने आ रही थी , बीती रात टीवी चैनलों ने सर्वे की तमाम रिपोर्ट देश के सामने रख दी ! मस्जिद में ऐसा सब कुछ है जो छिपाने का प्रयत्न किया गया पर छिप नहीं पाया ! सर्वे रिपोर्ट का सच टीवी पर आने के बाद मंदिर के दावे की बाबत ज्यादा बहस की जरूरत नहीं !  सर्वे ने बाबा विश्वेश्वर के साथ औरंगजेब द्वारा किए गए अपमानजनक ध्वंस के तमाम सुबूत सामने ला दिए हैं !

जिद ही करते रहना है तो कोई बात नहीं , वरना मंदिर के प्रमाणों को अब कोई भी अदालत नकार नहीं पाएगी । जमीन के नीचे दो फुट खुदाई और हो जाए तो मस्जिद पक्ष के पास बोलने को कुछ रह नहीं जाएगा । साथ ही आर्कियोलॉजिकल सर्वे और कार्बन डेटिंग की व्यवस्था हो जाने पर संदेह की गुंजाइश भी खत्म हो जाएगी । सभी का मानना है कि सत्य जानने के लिए जहां तक भी जाना पड़े , जाना चाहिए । आखिर यह पूरा संसार सत्य की खोज में ही तो भटक रहा है ।

सवालों को टालने के लिए 1991 के वर्शिप एक्ट की बात कर चुप हो जाने से काम नहीं चलेगा । टीवी पर बैठकर भले ही कह दिया जाए कि न्यायालय जो फैसला देगा वह मंजूर , उसके बावजूद सर्वे के तथ्य चीख चीख कर अतीत की दास्तां सुनाते रहेंगे । बात शुरू हो गई तो हो गई । ज्ञानवापी के बारे में सैकड़ों वर्षों से सत्य सामने है , परंतु छिपाया जाता रहा । अब ज्ञानवापी के भीतर की समूची वीडियोग्राफी सामने आ जाने के बाद सच को नकारना बेशर्मी कही जाएगी । कोई भी पक्ष यह कहेगा तो उसे खुद अटपटा लगेगा । देश की कोई भी अदालत तथ्यों को नकार नहीं पाएगी ।

प्रमाणों के रूप में सारा सच बाहर आ जाने के बाद जिस सदाशयता की जरूरत थी , वह नजर नहीं आई । हाल में देवबंद में हुई विद्वानों की बैठक पर देश की निगाहें लगी थी । मजलिस के पहले दिन मौलाना असद मदनी जिस रूप में नजर आए वह अच्छा था , रास्ता निकालने वाला था । पर न जानें क्या हुआ कि अगले दिन वे भी आग उगलने लगे ? उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि बहुसंख्यक यदि देश छोड़कर कहीं और जाना चाहते हैं तो चले जाएं ? ऐसा भाषण देकर बेशक उन्हें सभाकक्ष में तालियां मिली , किंतु देश में उनका कद घट गया , बातों का वजन कम हो गया ।

अभी भी वक्त है संभालने और संभालने का । सच कहें तो मुस्लिम समाज के लिए गहन चिंतन का वक्त है । भीतर का पूरा सच कैमरों में कैद हो जाने के बाद इतिहास को झुठलाना आत्मघाती होगा । यह इंटरनेट का जमाना है , नई सदी की बात है , घर घर ज्ञानवापी का सच पहुंच चुका है । बैठकर सोचिए , किसी को आंखें मत दिखाइए । निश्चित रूप से उग्रता और कोरी नफरत समस्याओं का इलाज नहीं होते । बैठिए और सोचिए , रास्ता निकालना आपके बस में है । मुकाबले की मत सोचिए , मिलकर रहने की आदत डालिए । बहते दरियाओं का रुख भी मोड़ा जा सकता है , बशर्ते कि समझदारी और मुहब्बत से काम लें ।

–  साभार

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