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कश्मीर की समस्या हल करनी है तो दिल कड़ा करिये

कश्मीर की समस्या हल करनी है तो दिल कड़ा करिये

by हिंदी विवेक
in देश-विदेश, विशेष, सामाजिक
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यह समस्या राजनैतिक नही है, यह समस्या मजहबी है। यह समस्या उस मजहबी सोच की है कि वहां काफिर नही रह सकते। सेना एक एक व्यक्ति को सुरक्षा नही दे सकती, कोई भी सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति अपने दिमाग मे कौन सा मजहबी उन्माद लेकर चल रहा है और पाकिस्तान का स्लीपर हो सकता है यह मापने की कोई मशीन नही बनी है। यह समस्या तब तक रहेगी जब तक मजहबी उन्माद रहेगा।

मजहबी उन्माद आतंकी मारने से नही खत्म होगा, यह उस रक्तबीज की तरह है कि आप 2 मारेंगे कल को 4 और उठ जाएंगे जिहाद का गाजर लेकर।

जिहाद को जड़ से मिटाइये।

पूरी घाटी में समस्या सुलझने तक राष्ट्रपति शासन लगाइये।

विशेष पैकेज, सुविधाएं बन्द करिये।

इंटरनेट, मीडिया और टेलीकॉम सर्विस को अनिश्चितकालीन के लिए बंद करिये।

सेना गहन अभियान चलाए, घर घर की तलाशी ले, पाकिस्तान और आतंक से सम्बंध मिले तो संबंधित व्यक्ति को तत्काल जन्नत पहुंचाया जाए।

कश्मीर में अनिश्चितकाल के लिए मस्जिदों में भीड़ इकट्ठी होने और मदरसों पर पूर्ण रोक लगाई जाए।

सारे अलगाववादी नेताओं और भड़काऊ तकरीरें करने वाले मौलानाओं को जेल में डाला जाए।

जिस भी जगह से पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगे उसको जमीदोज कर दिया जाए।

पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी और पथराव करने वालो पर बिना किसी नो इफ नो बट के शूट एट साइट का आर्डर दिया जाए, उनके घरों पर बुल्डोजर चलाया जाए, उनकी संपत्ति नीलाम की जाए।

कश्मीर में 1 या 2 बच्चे की पॉलिसी लाई जाए, जब जानवर की तरह 12 बच्चे होंगे तो जाहिर सी बात है कि 4,5 जिहाद की राह पर चले भी जाये तो माँ बाप का कलेजा न फटेगा, 1 या 2 रहेंगे तो माँ बाप की छाती फटेगी फौज के आगे भेजने में।

आतंकी गतिविधि में शामिल व्यक्ति के पूरे परिवार को उठा लो, दर्द तभी पता चलेगा जब खुद पर बीतेगी, अपनी जान का खौफ किसी को हो न हो पर अपने बीवी, बच्चे, मा, बाप, भाई बहन सबके प्यारे होते है।

आतंकी को जिंदा पकड़ के भरे चौराहे पर चार दिनों तक वैसे ही हालत में लटकने दो ताकि उसको देख कर आतंकियो के दिल मे खौफ पैदा हो।

ये जाहिल इंसानियत की भाषा नही समझ सकते, इन का इलाज इनके दिलो में खौफ भर कर ही किया जा सकता है।

इतना खौफ भर दो कि आतंक की राह चुनने के बारे में सोचने से पहले ही इनका पजामा गीला हो जाये।

देश दुनिया क्या सोचेगी इसके बारे में सोचना बंद करिये साहब, इजरायल वाली नीति पर चलिए, यह समस्या हमारी है और सुलझानी भी हमे पड़ेगी।

विश्व क्या सोचेगा ये विश्व को सोचने दीजिये।

बेगुनाहों को बचाना है तो दिल कड़ा करिये साहब, जान बचेगी तो विकास भी हो जाएगा।

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Tags: hindi vivekislamic jihadijihadist mindsetmuslim terroristsreligious fanaticism

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