मोदी और हिन्दू विरिधियों का फैक्ट चेक

मई 2014 में नरेंद्र मोदी पहली बार प्रधानमन्त्री पद की शपथ लेने वाले थे और शपथ ग्रहण के कुछ घंटे पहले खबर मिली कि मुकुल सिन्हा इस दुनिया में नहीं रहे। मुकुल सिन्हा यानी अल्ट न्यूज के प्रतीक सिन्हा के पिता और आर्ट न्यूज़ की ही निर्झरी सिन्हा के पति मुकुल सिन्हा यूं तो कोलकाता के रहने वाले थे। लेकिन अहमदाबाद की फिजिकल रिसर्च लैबोरेट्री में काम करते थे, गुजरात दंगों के बाद उन्होंने तीस्ता जावेद राना अय्यूब और कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर एक संगठन बनाया।

यह संगठन गुजरात दंगों में मोदी को फंसाने के लिए बनाया गया था पूरा फंड कांग्रेस सरकार कर रही थी।

इनकी ही सीडीआर वाली थियरी से मायाबेन कोडनानी को सजा मिली थी जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर कैंसिल कर दिया कि मोबाइल किसी के शरीर का अंग नहीं है किसी का मोबाइल कहीं रहने से यह साबित हो जाए कि वह व्यक्ति भी वहीं था।

राम जेठमलानी ने अदालत में कहा कि मैं अपना मोबाइल बेंगलुरु रख कर आ जाऊं और दिल्ली में कत्ल करूं तो क्या आप मुझे निर्दोष मान लेंगे।

क्या खूब फल फूल रहा था मुकुल सिन्हा तीस्ता जावेद सीतलवाड़ राना अय्यूब हर्ष मंदिर शबनम हाशमी इस गैंग के सभी सदस्यों को सोनिया गांधी ने उस जमाने की सबसे ताकतवर संस्था एनएससी का मेंबर बना रखा था। जिसके सभी सदस्यों को एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री जैसा प्रोटोकाल सुविधा तथा सैलरी और अन्य भत्ते मिलते थे।

और इस गैंग के मुख्य बॉस थे मरहूम अहमद पटेल जिनके प्लानिंग से पूरा खेल रचा जाता था।

शबनम हाशमी के एनजीओ को गांधीवाद के प्रचार प्रसार के नाम पर 12 करोड़ भारत सरकार ने दिया तीस्ता जावेद के एनजीओ को भारत सरकार ने तीन टुकड़ों में आठ करोड़ रुपए दिया। बाद में जो दस्तावेज सामने आए उसमें एनसीईआरटी ने फंड देने के लिए ऑब्जेक्शन किया फिर मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने कमेंट किया फिर एनसीईआरटी ने ऑब्जेक्ट किया और एनसीईआरटी ने कुल 3 बार ऑब्जेक्शन लिया इन संस्थाओं को फंड नहीं दिया जा सकता। फिर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करके फंड रिलीज वाले पेपर पर दस्तखत किए।

शबनम हाशमी ज्यादातर समय अहमदाबाद के शानदार विला में रहती थी मल्लिका साराभाई के विशाल फार्म हाउस में लेट नाइट पार्टियां होती थी मुर्ग मुसल्लम बिरयानी शराब शबाब कबाब का दौर चलता था।

और एक बड़ी संस्था ने इस गैंग को प्रोजेक्टर पर यह दिखाया था कि भारत में बीजेपी कभी सत्ता में आ ही नहीं सकती और उस पीपीटी में यह दिखाया गया था।, कि दक्षिण के राज पश्चिम के राज्य पूर्वोत्तर के राज्य कश्मीर हरियाणा पंजाब दिल्ली जैसे तमाम राज्यों में बीजेपी का अस्तित्व है ही नहीं इसीलिए निश्चिंत रहो खूब मौज करो हमारे जिहादी एजेंडे को आगे बढ़ाओ तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ेगा और इसीलिए इस गैंग के गुर्गे यह मानकर चल रहे थे कि हम जितने भी कुकर्म करेंगे हमारा कभी कुछ नहीं बिगड़ेगा।

इस गैंग द्वारा तरह तरह की झूठी और गप वाली कहानियां रची गई सभी कहानियों के मास्टरमाइंड मुकुल सिन्हा एंड तीस्ता कंपनी होती थी और इन सभी झूठी कहानियों के आधार पर हिंदुओं को बदनाम किया गया।

जैसे एक मुस्लिम महिला गर्भवती महिला का पेट चीरकर बच्चे को निकाल कर आग में जला दिया गया या फलाने जगह मुस्लिम महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया।
ऐसी तमाम झूठी खबरों को मुकुल सिन्हा तीस्ता तथा शबनम हाश्मी एंड गैंग के द्वारा बनाया जाता था और फिर एनडीटीवी बीबीसी तथा दूसरे तमाम जिहादी मीडिया के द्वारा पूरे विश्व में फैलाया जाता था।

उस वक्त गुजरात में इंडिया टुडे के ब्यूरो चीफ थे। उदय माहुरकर जो आज भारत सरकार के सूचना कमिश्नर है उन्होंने इन सभी गप्प भरी झूठी हिंदुओं को बदनाम करती कहानियों का सच्चाई निकाला।

उदय माहुरकर उस डॉक्टर से मिले जिन्होंने उस महिला का पोस्टमार्टम किया था जिसके बारे में यह मुकुल सिन्हा एंड कंपनी द्वारा अफवाह फैलाई गई कि उसका पेट चीरकर बच्चा निकाल कर जला दिया गया।

डॉक्टर ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट दिया और कहा कि मैंने ऐसी कोई बात पोस्टमार्टम में नहीं पाई और वह महिला गर्भवती थी सामूहिक बलात्कार वाली कहानी भी झूठी साबित हुई।

उदय माहुरकर ने यह सारी सच्चाई इंडिया टुडे ग्रुप को दिया था लेकिन उस वक्त की कांग्रेस सरकार के दबाव में अरुण पुरी ने वह सच्चाई नहीं दिया फिर बाद में उदय माहुरकर ने खुद किताब लिखा और अपनी किताब में सच्चाईयो को प्रकाशित कियाv

खूब शानदार धंधा इस गैंग का चल रहा था विदेशों से खुद चंदे आ रहे थे जाकिया जाफरी की एक लड़की न्यूयार्क में रहती थी उसने भी अपने अब्बा के कफन पर खूब दौलत बनाए।

अमेरिका के मस्जिदों के सामने स्क्रीन पर इस तरह की झूठी कहानियां दिखाई जाती थी वहां चादर रखा रहता था और रईस पठान जो उस वक्त इस गैंग के प्रमुख सदस्य थे वह आजकल टीवी चैनलों पर बताते हैं कि मुस्लिम महिलाएं अपना सोने का गहना रोते हुए उस चादर पर डाल देती थी खाड़ी देशों के अमीर शेख डालर की गड्डियां फेंकते थे न जाने कितने अरबों रुपए का चंदा लिया गया। विदेशों में कई जगह इन्वेस्ट किया गया खूब शानदार बिजनेस चल रहा था।

फिर सरकार बदली निजाम बदला जांच हुई फिर इस गैंग की सच्चाई सामने आने लगी।

इन्हीं मुकुल सिन्हा का लड़का है प्रतीक सिन्हा वो आल्ट न्यूज वाला

जब हराम की कमाई खाने की आदत लग जाए तब कोई उसे छोड़ता नहीं है।

फिर उन्होंने सोचा कि अब तो गुजरात दंगों के नाम पर माल बहुत कुट लिया अब गुजरात दंगों के नाम पर दुकानदारी नहीं चलेगी अब क्या किया जाए।

तब उन्होंने टेलीकॉम सेक्टर में काम करने वाले अपने दोस्त मोहम्मद जुबेर के साथ मिलकर एक फैक्ट चेक करने की दुकान खोली और यह दुकान फैक्ट्री के नाम पर सिर्फ एक इस्लामिक एजेंडा चलाता था यानी एक तरफा फैक्ट चेक जैसे यदि कोई झूठ में पीड़ित हिंदू है तब उस पर यह गैंग चुप रहती थी लेकिन यदि किसी समाचार में पीड़ित मुस्लिम है तब उसका यह लोग फैक्ट चेक करते थे।

ऐसे ही यदि कोई कांग्रेस का नेता झूठ फैलाता था तब यह गैंग फैक्ट चेक नहीं करती थी यहां तक कि जब ओवैसी ने एक मंच से कहा था कि मुसलमाने तुम दिल्ली जाकर इंडिया गेट पर देख लेना वहां हमारे बापदादाओं के नाम लिखे हैं जो अंग्रेजों से लड़ते लड़ते शहीद हुए थे तब मैंने प्रतीक सिन्हा से पर्सनली फोन करके कहा था कि आपने इसका फैक्ट चेक क्यों नहीं किया तो उन्होंने मेरा फोन काट दिया था हालांकि बाद में उन्होंने फैक्ट चेक तब किया जब ने ट्विटर पर खूब गालियां पड़ी और बड़े नपे तुले शब्दों में उन्होंने फैक्ट चेक किया था।

अल्ट न्यूज को एनडीटीवी द्वारा खूब प्रमोट किया गया ट्विटर और फेसबुक ने भी उसे अपने फैक्ट चेक पैनल में शामिल कर लिया फिर यूनाइटेड नेशन की एक संस्था द्वारा भी उसे शामिल किया गया दरअसल इन हिंदू विरोधियों का सिस्टम बड़ा मजबूत है और फिर पता चला कि धीरे-धीरे जब इनका डोनेशन मिलना कम हुआ।

फिर इसी बीच जब एक टीवी चैनल पर मौलाना तस्लीम रहमानी द्वारा शिवलिंग का बार-बार अपमान किया गया गंदे और अभद्र बातें हिंदू धर्म पर बोली गई तब नूपुर शर्मा ने सिर्फ यही कहा कि अगर तुम ऐसा कहोगे तो मैं भी यह कह सकती हूं।

तब 8 दिन के बाद प्रतीक सिन्हा और मोहम्मद जुबेर को एक आईडीया आया कि अगर इसमें से कुछ सेकंड कट करके और इसको अरबी में ट्रांसलेट करके खाड़ी के देशों में अपने अरबी आकाओं को भेजा जाए तो मोटा माल मिल सकता है क्योंकि इस गैंग को पता था की इस्लामिक देशों में इस्लाम को लेकर कितनी कट्टरता है और इस गैंग ने यह भी सोचा कि इसी बहाने भारत और मोदी को भी बदनाम किया जा सकता है और भारत की अर्थव्यवस्था को भी चोट पहुंचाई जा सकती है।

अगर मोहम्मद जुबेर और प्रतीक सिन्हा के इरादे नेक होते तब वह इस क्लिप को अरबी में ट्रांसलेट नहीं करते लेकिन उन्होंने अपने खास एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए ही उसे अरबी में ट्रांसलेट किया और मोहम्मद जुबेर ने गल्फ के सभी मीडिया हाउस और सभी बड़े पत्रकारों को यह क्लिप ट्विटर पर भेजा।

उसके बाद उन्होंने यह प्रचारित किया कि यह देखो यह बीजेपी की नेता हमारे धर्म के बारे में क्या बोल रही है और इस क्लिप को वायरल करने के बाद मोहम्मद जुबेर ने ट्विटर पर बार-बार यह भी डाला कि आप अल्ट न्यूज को सहयोग करिए।

और फिर पाकिस्तान सीरिया कुवैत लीबिया जैसे तमाम देशों से उसने मोटा माल लिया जबकि उसके पास विदेशों से डोनेशन लेने का फेरा लाइसेंस तक नहीं था।

इसे यह उम्मीद थी कि उसका ईको सिस्टम इतना मजबूत है क्योंकि जुडिशरी में भी इन्हीं लोगों की पहुंच है कि उसका कुछ नहीं बिगड़ेगा।

फिर जब उसके हिंदू धर्म पर अश्लील और गंदी बातें किए गए पुराने ट्वीट और फेसबुक पोस्ट वायरल होने लगे तब उसने अपना फोन और अपना कंप्यूटर फॉर्मेट कर दिया लेकिन उसे यह नहीं पता था कि भारत सरकार के पास इजराइल की एक कंपनी का ऐसा सॉफ्टवेयर है जिसके द्वारा यदि आप अपने फोन को फॉर्मेट कर देंगे या अपने लैपटॉप को फॉर्मेट कर देंगे फिर भी पूरा डाटा रिकवर हो जाएगा फिर जब सारे सबूत अदालत में पेश किए गए तब अदालत भी यह देखकर दंग गई।

लेकिन इस पूरे विवाद में मैं एक चीज देखकर बेहद आश्चर्यचकित हुआ कि मोहम्मद जुबेर और प्रतीक सिन्हा दोनों दोस्त और बिजनस पार्टनर है।

मोहम्मद जुबेर मुस्लिम है और प्रतीक सिन्हा हिंदू है।

लेकिन क्या प्रतीक सिन्हा ने एक पल को यह नहीं सोचा कि उसका यह दोस्त कट्टर मुस्लिम बना हुआ है जिहादी एजेंडे को फैला रहा है और वह यानी प्रतीक कहने को हिंदू धर्म का होते हुए भी उसके मन में अपने धर्म के लिए जरा भी इज्जत नहीं बची ??

काश हम हिंदू भी ऐसा कोई मजबूत इकोसिस्टम बना सकते…

लेख साभार
जितेंद्र सिंह

 

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