ISRO का और एक धमाका

बात महज 5 दिन पुरानी है और इस बार भारत के ISRO ने एक ऐसा धमाका किया जिसका की पहले से ना तो शोर मचा ना धमाका होने के बाद इसरो ने दुनिया को इस धमाके  के बारे में बताया. इस बार इसरो ने एक ऐसा धमाका किया जिससे नासा की धड़कने  बढ़ गई और चाइना का आसमान पर राज करने का सपना भी  चकनाचूर हो गया है.

30 जून को इसरो ने PSLV C53/ DS-EO MISSION के अंतर्गत स्पेस में एक रॉकेट छोड़ा यह रॉकेट तीन विदेशी और 2 स्वदेशी सेटेलाइट लेकर स्पेस की ओर रवाना हुआ.

अब इसमें क्या खास बात है. ISRO तो इस तरह के कारनामे कई बार कर चुका है. एक बार में 100 सैटेलाइट तक लांच कर चुका है.

पर नहीं इस बार वाकई ही कोई खास बात थी. इस बार इसरो ने अपने इस मिशन में दो भारतीय प्राइवेट स्टार्टअप को भी शामिल किया DHRUV AND  DIGANTRA ने पहली बार इसरो के साथ मिलकर ज्वाइंट वेंचर में सैटेलाइट लॉन्च कर  सकने में अपना  कदम रखकर भारत में प्राइवेट कंपनियों के लिए अंतरिक्ष में अपार संभावनाओं को प्राप्त करने का रास्ता प्रशस्त कर दिया.

यहां प्रश्न यह उठता है कि इसरो ने ऐसा क्या खास किया है जिससे अमेरिका और चीन के होश उड़े हुए हैं पूरा विश्व भारत की ओर आश्चर्य से देख रहा है?

हुआ यूं कि आज तक जितने भी प्रक्षेपन हुए हैं उसमें रॉकेट का अंतिम भाग कचरा बनकर अंतरिक्ष में खो जाता है. लेकिन ISRO के इस मिशन में रॉकेट का अंतिम भाग भी खुद से सैटेलाइट बनकर अपने मिशन को अंजाम देता हुआ चक्कर काट रहा है. यानी कि अंतरिक्ष में भेजे गए सभी सैटेलाइट के लांच होने के बाद जो कचरा बचता है अब उसे भी इसरो अपने इशारे से मनमर्जी दिशा देते हुए इधर-उधर भेज सकता है. मतलब अब यह कचरा किसी भी देश द्वारा स्थापित बड़े से बड़े सैटेलाइट या यहां तक की  अंतरिक्ष स्टेशन को भी तबाह कर सकता है.

और उसके लिए भारत को किसी तरह की अलग से एंटी सैटलाइट मिसाइल भी नहीं छोड़नी पड़ेगी. वैसे भी एंटी सैटलाइट मिसाइल छोड़कर किसी के उपग्रह को नष्ट करना अंतर्राष्ट्रीय मान्यताओं के खिलाफ है लेकिन भारत अब अपने इस कचरे द्वारा यह काम बिना कोई अंतरराष्ट्रीय मान्यताओं को तोड़े हुए कर सकता है. बस इसी बात को लेकर पूरे विश्व की जबरदस्त तरीके से फटी पड़ी है.

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