हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
भगवान गौतम बुद्धजी और वेसाक_महोत्सव

भगवान गौतम बुद्धजी और वेसाक_महोत्सव

by हिंदी विवेक
in अध्यात्म, विशेष, संस्कृति, सामाजिक
0

भारत ही नहीं भारत की सीमाओं से के प्रणेता “महात्मा बुद्ध” को “भगवान बुद्ध” के रूप में पूजा जाता है।
सदैव ध्यान मुद्रा में रहकर बाह्य जगत से आंतरिक जगत की ओर अविमुख करते हुए जीवन की प्रतिकूल परिस्थितियों में भी लक्ष्य साधना का मार्गदर्शन देने वाले भगवान बुद्ध का आज जन्मोत्सव है।

वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के दसवें अवतार के रूप में शाक्य क्षत्रिय के वंश में ईसा पूर्व 563 को लुंबिनी वन जो अब नेपाल में है आप अवतरित हुए।

श्रीमद्भागवत महापुराण और विष्णु पुराण में उल्लेख मिलता है कि भगवान श्री राम के 2 पुत्र लव और कुश थे ।कुश के वंश में 50 वीं पीढ़ी के पश्चात महाभारत काल में शाक्य हुए और इन्हीं शाक्य की 25 वीं पीढ़ी में गौतम बुद्ध जी का अवतरण हुआ।बुद्ध देव का जन्मोत्सव विश्व के अन्य देशों में “वेसक” उत्सव के रूप में मनाया जाता है जो वैशाख शब्द का अपभ्रंश है।

आपके पिता का नाम महाराजा शुद्धोधन था। आपकी माता महारानी महामाया ।आपकी माता आपके जन्म के सातवें दिन ही मृत्यु को प्राप्त हुई इस कारण आप का लालन-पालन आप की मौसी गौतमी ने किया। 16 वर्ष की आयु में आपका विवाह यशोधरा से हुआ जो दंडपाणी शाक्य की कन्या थी। इनसे आपको एक पुत्र की प्राप्ति हुई ,जिनका नाम राहुल था ।बाद में आपकी पत्नी और पुत्र दोनों ही बौद्ध भिक्षु हो गए।

आपके पिता आपको चक्रवर्ती सम्राट बनाना चाहते थे किंतु मात्र 29 वर्ष की आयु में ही परिवार से आप का मोह भंग हो गया। सांसारिक सुख सुविधाओं और राजसी वैभव का त्याग कर वनवासियों की तरह 7 वर्षों तक आप वन-वन ज्ञान की खोज में भ्रमण करते रहे। 35 वर्ष की आयु में बुद्ध पूर्णिमा की रात्रि पीपल के वृक्ष के नीचे ,निरंजना नदी के तट पर आप को ज्ञान प्राप्त हुआ। यहीं से “तथागत” के रूप में आप का नया अवतार हुआ और आप विश्व में गौतम बुद्ध के रूप में प्रख्यात हुए।

जापान, दक्षिण कोरिया , उत्तर कोरिया, चीन, वियतनाम , ताइवान ,थाईलैंड , कंबोडिया , हांगकांग, तिब्बत ,भूटान ,मंगोलिया , श्रीलंका, मकाऊ ,बर्मा ऐसे कई राष्ट्रों में बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार हुआ और आपके अनुयाई आज भी यहाँ असंख्य संख्याओं में है।

आपको विश्वामित्र जी ने आपके प्रारंभिक गुरु के रूप में शास्त्र और शस्त्रों दोनों की शिक्षा दी किंतु सन्यास के पश्चात आपको अलारा, कलम ,उद्दका,रामापुत्र आदि गुरुओं से ज्ञान प्राप्त हुआ ।आपके प्रमुख शिष्यों में आनंद , अनुरोध , महा कश्यप, रानी खेमा ,भद्रिका किम्बाल आदि के नाम आते हैं ।बौद्ध धर्म के प्रचारकों में अंगुलिमाल, मिलिंद जो यूनान के सम्राट थे ,भारत के सम्राट अशोक ,चीन के ह्येंगसांग, अश्वघोष,आम्रपाली (राजनृत्यकी) आदि प्रमुख प्रचारकों की सूची में है। जिनके माध्यम से विश्व के विभिन्न देशों में बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार ईसा से लगभग 500 वर्ष पूर्व ही विश्व में हो गया था। इन प्रचारकों द्वारा बौद्ध धर्म के साथ साथ भारतीय कला,संस्कृति और युद्ध कला (कराते,युयुत्सु) का भी प्रचार-प्रसार विश्व के अन्य देशों में किया गया। इस युद्ध कला के संबंध में श्रीमद्भगवद्गीता के अध्यायों में प्रमाण देखने को मिलते हैं।

बौद्ध धर्म में “आष्टांग मार्ग” है जिन्हें “काल चक्र” भी कहते हैं तथा तीन मूल दर्शन के सिद्धांत हैं जिन्हें अनीश्वरवाद , अनात्मावाद और क्षणिकवाद कहा जाता है।
एक प्रसंग – महात्मा गौतम बुद्ध यात्रा करते करते वैशाली आए उस समय नगर के बाहर स्थित राजनृत्यकी आम्रपाली की वाटिका में आपका ठहरना हुआ। राजनृत्यकी एवं नगर वधु आम्रपाली इस अवसर पर सादगी से (सन्यासी वेषभूषा में) उनसे मिलने पहुँची। आम्रपाली ने “तथागत”अर्थात् महात्मा बुद्ध जी को आतिथ्य स्वीकार करने का निमंत्रण दिया इसी समय लिच्छवि अमात्य वर्ग भी उन्हें निमन्त्रण देने पहुँचे किन्तु महात्मा बुद्ध ने पहले आम्रपाली को वचन दे चुके थे, अतः अमात्य का निमंत्रण अस्वीकार कर दिया। आप के लिए अमात्य एवं राज नृत्यकी (वैश्या) दोनों एक समान थे। महात्मा बुद्ध के इस सम भाव से प्रभावित होकर आम्रपाली ने बौद्ध धर्म में दीक्षा ले ली। उसके पश्चात् सम्राट अशोक ने भी कलिंग युद्ध के पश्चात बौद्ध धर्म को स्वीकार कर अहिंसा को अपना लिया।

भगवान बुद्ध के जीवन का यह एक विचित्र संयोग ही रहा कि आपका जन्म, 35 वर्ष की आयु में ज्ञान की प्राप्ति और लगभग 80 वर्ष की आयु में महाप्रयाण की प्राप्ति सभी वैशाख पूर्णिमा के दिन ही घटित हुआ।अतः इस पूर्णिमा को “बुद्ध पूर्णिमा” कहा जाने लगा।

डॉ नुपूर निखिल देशकर

 

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: #भगवानगौतमबुद्धजीऔरवेसाक_महोत्सव

हिंदी विवेक

Next Post
हायब्रिड सुरक्षा तंत्र की जरूरत

हायब्रिड सुरक्षा तंत्र की जरूरत

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0