हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
गुजर गया पार्श्व गायन का स्वर्णिम दौर

मंकीपॉक्स चिंता का विषय

by शशांक व्दिवेदि
in जुलाई -२०२२, ट्रेंडींग, देश-विदेश, विशेष, सामाजिक, स्वास्थ्य
0

कोरोना के बाद मंकीपॉक्स एक बड़ी महामारी के तौर पर दुनिया भर में अपने पैर पसार रहा है। यद्यपि भारत में उसका कोई सक्रिय मामला नहीं मिला है लेकिन व्यापक स्तर पर तैयारी किए जाने की आवश्यकता है क्योंकि इस समय यह बीमारी जिन देशों में तेजी से फैल रही है उन देशों के साथ भारत के मजबूत सम्बंध हैं और लोगों की आवाजाही भी लगातार होती रहती है।

कोरोना वायरस के कहर के साथ-साथ अब मंकीपॉक्स वायरस बड़ी तेजी से दुनिया में अपने पैर पसार रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अब तक दुनिया के 39 देशों में इसके 1,600 से अधिक पुष्ट मामले सामने आ चुके हैं। इसी तरह 1,500 संदिग्ध मामलों पर नजर रखी जा रही है। यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन इसे अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करता है तो इसे कोरोना महामारी के समान पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा माना जाएगा और इसके उपचार के लिए विशेष प्रयास और योजनाएं तैयार की जाएगी। मंकीपॉक्स वायरस ने दुनियाभर के चिकित्सा विशेषज्ञों को चिंतित कर दिया है। इस बीच कुछ विशेषज्ञों ने इसकी गम्भीरता को देखते हुए इसका बिना भेदभाव और बिना स्टिग्मा वाला नाम रखने की मांग की है। इसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसका नाम बदलने पर विचार शुरू कर दिया है और इस बीमारी को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने के लिए आपातकालीन समिति का गठन किया है।

मंकीपॉक्स क्या है, ये कैसे फैलता है?

मंकीपॉक्स एक जूनोटिक (एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैलने वाली) बीमारी है। ये बीमारी मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण के कारण होती है जो पॉक्सविरिडाइ फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से आता है। ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस में चेचक (स्मालपॉक्स) और काउपॉक्स बीमारी फैलाने वाले वायरस भी आते हैं। साल 1958 में रिसर्च के लिए तैयार की गई बंदरों की बस्तियों में यह वायरस सामने आया था और इससे पॉक्स जैसी बीमारी होना पाया गया था।

मंकीपॉक्स से संक्रमित किसी जानवर या इंसान के सम्पर्क में आने पर कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। यह वायरस टूटी त्वचा, सांस और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। छींक या खांसी के दौरान निकलने वाली बड़ी श्वसन बूंदों से इसका प्रसार होता है। इंसानों में मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक जैसे होते हैं। शुरूआत में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और पीठ में दर्द, थकावट होती है और तीन दिन में शरीर पर दाने निकलने लग जाते हैं। मंकीपॉक्स के लक्षण आमतौर पर फ्लू जैसी बीमारी और लिम्फ नोड्स की सूजन से शुरू होते हैं, फिर चेहरे और शरीर पर दाने पड़ने लगते हैं। अधिकांश संक्रमण 2-4 सप्ताह तक चलता है। मंकीपॉक्स संक्रमण के लिए कोई विशिष्ट ट्रीटमेंट नहीं है। हालांकि, अमेरिका में मंकीपॉक्स और चेचक के खिलाफ एक वैक्सीन को लाइसेंस दिया गया है।

कई देशों में सामने आए मामले

मंकीपॉक्स को कई मध्य और पश्चिमी अफ्रीकी देशों जैसे कैमरून, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कोटे डी आइवर, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, गैबन, लाइबेरिया, नाइजीरिया, कांगो गणराज्य और सिएरा लियोन में स्थानिक बीमारी के रूप में सूचित किया गया है। हालांकि, अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ऑस्ट्रिया, इजराइल और स्विटजरलैंड जैसे कुछ देशों में भी मामले सामने आए हैं। केंद्रीय  स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि वह विकसित हो रही स्थिति पर कड़ी नजर बनाए हुए है। मंकीपॉक्स से सबसे ज्यादा प्रभावित देश ब्रिटेन है। ब्रिटेन में अबतक  300 से अधिक मामले सामने आए हैं। इसके अलावा अमेरिका, स्पेन, कनाडा जैसे देश भी इस चपेट में आ जुके हैं। इन देशो में यह वायरस फैलना शुरू हो चुका है जिसने अब बाकी देशों की भी चिंता बढ़ा दी है।

डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस ने चेतावनी देते हुए कहा था कि गैर-स्थानिक देशों में बढ़ते मंकीपॉक्स के मामले वास्तविक खतरा हैं लेकिन इसके अलावा उन्होंने इस वायरस ने निपटने के लिए तत्काल टीकाकरण कार्यक्रम से भी इनकार किया है।

बदल सकता है वायरस का नाम

दुनिया के 30 देशों के वैज्ञानिकों की आपत्ति के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन मंकीपॉक्स वायरस का नाम बदलने पर विचार कर रहा है। वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को लिखे पत्र में कहा कि नए वैश्विक प्रकोप की उत्पत्ति अभी भी अज्ञात है और इस बात के प्रमाण अधिक हैं कि  अफ्रीका महाद्वीप के बाहर इस वायरस का प्रसार लम्बे समय से चल रहा है। ऐसे में इसका नाम बिना भेदभाव और बिना स्टिग्मा वाला होना चाहिए। वैज्ञानिकों ने पत्र के साथ चेचक के घावों को चित्रित करने के लिए अफ्रीकी रोगियों की तस्वीरें भी भेजी हैं और कहा है कि वर्तमान वैश्विक प्रकोप को जानबूझकर अफ्रीका, पश्चिम अफ्रीका या नाइजीरिया से जोड़ने की कोशिश की जा रही है।

वैज्ञानिकों ने पश्चिमी अफ्रीका, मध्य अफ्रीका और वैश्विक उत्तरी देशों में फैलते मंकीपॉक्स संक्रमण को लेकर इंसानों और जानवरों दोनों के वायरल जीनोम को शामिल करते हुए नया नाम देने का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में केवल उत्तरी गोलार्ध ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में मंकीपॉक्स महामारी को रोकने की जरूरत है। इसका नया नाम बीमारी को लेकर विशेष क्षेत्र के लिए पैदा हो रही गलतफहमी, भेदभाव और बदनामी को दूर करने का काम करेगा। डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस ने वायरस के नाम को बदलने को लेकर कहा कि दुनिया भर के विशेषज्ञ मंकीपॉक्स वायरस का नाम बदलने के लिए चर्चा कर रहे हैं। वैश्विक आक्रोश के बाद ये नाम भेदभावपूर्ण और कलंकित करने वाला महसूस हो रहा है।

मंकीपॉक्स को लेकर भारत में बढ़ी निगरानी

दुनिया भर के कई देशों में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों के बीच अब भारत सरकार ने भी इसे लेकर गाइडलाइन जारी कर दिया है। हालांकि, भारत में अब तक इसका एक भी कन्फर्म मामला सामने नहीं आया है। पिछले दिनों केंद्र सरकार ने गाइडलाइन जारी कर डिस्ट्रिक्ट सर्विलांस यूनिट्स को इस तरह के एक भी मामले को गंभीरता से लेने के लिए कहा है और इसके साथ ही इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम के तहत जांच शुरू करने के निर्देश दिए हैं।

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जारी किए गए ‘गाइडलाइन ऑन मैनेजमेंट ऑफ मंकीपॉक्स डिजीज’ में स्वास्थ्य मंत्रालय ने निगरानी और नए मामलों की तेजी से पहचान करने पर जोर दिया है। इसमें आगे कहा गया है कि भले ही देश में अब तक मंकीपॉक्स वायरस का कोई मामला सामने नहीं आया हो लेकिन फिर भी कई देशों में बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए भारत को तैयार रहने की जरूरत है।

स्वास्थ्य  मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइन

स्वास्थ्य  मंत्रालय ने अपने गाइडलाइन में कहा है कि मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति की 21 दिनों तक निगरानी की जाएगी। गाइडलाइन में ये भी कहा गया है कि संक्रामक अवधि के दौरान किसी रोगी या उनकी दूषित सामग्री के साथ अंतिम सम्पर्क में आने के बाद 21 दिनों के लिए रोज निगरानी की जानी चाहिए। इसके अलावा, मंत्रालय ने यह भी कहा है कि अगर किसी में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखते हैं तो टेस्टिंग के बाद ही इसे कंफर्म माना जाएगा।

गाइडलाइन में मामलों और संक्रमणों के समूहों और इसके स्रोतों की जल्द से जल्द पहचान करने के लिए एक सर्विलांस स्ट्रैटेजी बनाने की बात कही गई है, ताकि आगे इसे फैलने से रोका जा सके। गाइडलाइन में कहा गया है कि ऐसा इसलिए जरूरी है ताकि क्लीनिकल केयर प्रदान किया जा सके, कॉटैक्ट्स की पहचान की जा सके व मैनेज किया जा सके और फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स को प्रोटेक्ट किया जा सके। इसके साथ ही ट्रांसमिशन को पहचानते हुए इसे फैलने से रोकने और जरूरी उपाय करने के लिए भी यह जरूरी है।

त्वरित कदम उठाने  की जरूरत

विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दुनिया के देशों को मंकीपॉक्स को फैलने से रोकने के लिए त्वरित कदम उठाने चाहिए और अपने टीके के भंडार के बारे में डेटा साझा करना चाहिए। चिंता की बात यह है कि यह अधिकतर उन देशों में फैल रहा है, जहां यह बीमारी आमतौर पर नहीं पाई जाती है। मंकीपॉक्स वायरस बच्चों और इम्यूनोसप्रेस्ड व्यक्तियों जैसे गम्भीर बीमारी के उच्च जोखिम वाले समूहों में फैलता है, तो आगे चलकर विकराल रूप ले सकता है। मंकीपॉक्स बच्चों पर भी हमला कर सकता है और उनमें लक्षणों की पहचान करना भी मुश्किल हो सकता है क्योंकि शुरुआती लक्षण चेचक या चिकन पॉक्स के समान होते हैं। दुनिया में सामने आ रहे मंकीपॉक्स के मामलों के बीच भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कहा कि भारत इसका सामना करने के लिए तैयार है। फिलहाल स्थिति यह है कि कोरोना के साथ-साथ अब मंकीपॉक्स लोगों को डरा रही है। दुनिया के कई देशों में इस खतरनाक वायरस के मरीज मिल चुके हैं। आधिकारिक रूप से भारत अभी तक इस महामारी से अछूता है फिर भी  भारत को मंकीपॉक्स को हल्के में नहीं लेना चाहिए और इसके खिलाफ अपनी तैयारी पूरी रखनी चाहिए ।

Tags: #monkeypox #Corona-19 #India

शशांक व्दिवेदि

Next Post
मर्द का दर्द

मर्द का दर्द

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0