जनता के आक्रोश का प्रतिक है ‘बॉयकॉट’

Crimean War की बात है, 1854 की, एक छोटी सी ब्रिटिश फौजी टुकड़ी को लौटती हुई रुसी आर्टिलरी पर हमला करने के लिए भेजा जाना था । इस ब्रिटिश टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे James Thomas Brudenell, और कम तैयार सेना पर हमला करने के लिए लाइट ब्रिगेड सर्वथा उपयुक्त थी । मगर आदेश देने वालों से कुछ गलती हो गई, हमला करने का आदेश तो दिया उन लोगों ने, लेकिन हमले की जगह गलत बता दी । जहाँ James Thomas Brudenell को भेजा गया वहां सम्मुख युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार पूरी आर्टिलरी बैटरी थी । मतलब करीब 600 घुड़सवार तलवारबाज सिपाहियों के सामने कुछ हज़ार की सेना । James Thomas Brudenell भागे नहीं थे । उन लोगों ने ऐसी एक घाटी चुनी जहाँ 600 सिपाही कुछ देर हज़ारों सिपाहियों का मुकाबला कर पाएं, फिर लाइट ब्रिगेड ने आदेश मानते हुए हमला किया । उन 600 में से शायद ही कोई लौटा था । इस घटना पर लिखी गई एक कविता बहुत प्रसिद्ध है, Charge of the Light Brigade, शायद कभी पढ़ी हो आपने । लेकिन अगर कविता नहीं भी पढ़ी और कभी  Crimean War का नाम भी आपने नहीं सुना तो कोई बात नहीं, याद तो आप इस बहादुर सेनापति को आज भी करते ही हैं ।
कैसे ? वो जो जाड़े में एक स्वेटर पहना जाता है, जिसमें जैकेट की तरह आगे बटन होते हैं न खोलने बंद करने के लिए, उसका नाम कार्डिगन होता है । James Thomas Brudenell अपने अभियानों पर वही पहने होते थे, और वो सातवें Earl of Cardigan थे । उन्हीं के नाम पर सामने से खुले, बटन वाले स्वेटर का नाम कार्डिगन होता है ।
किसी घटना, और उस से जुड़े आदमी का नाम याद रखने की ये इकलौती मिसाल नहीं है । ऐसे और भी कई मिलेंगे । जैसे की आपने सत्याग्रह आंदोलन, या गांधी जी पर आधारित फिल्मों में, किताबों में बॉयकॉट शब्द सुना होगा । इसका मतलब भी पता ही है कि “आर्थिक / सामाजिक बहिष्कार” होता है । एक आयरिश एजेंट थे जो अपने मालिक यानि जमींदार साहब की जमीन की देखभाल करते थे । उन्होंने आयरिश समुदाय के भूमि सुधार के नए नियम मानने से इंकार कर दिया था । गुस्से में आयरिश लोगों ने उन्हें दुकानों से राशन या अन्य सौदा बेचना बंद कर दिया, डाकखानों ने उनकी चिट्ठियां ले जाने से मना कर दिया, और भी सारी सामाजिक / आर्थिक बहिष्कार की नीतियां उनपर लगा दी गई । उनका नाम था Charles C. Boycott, लगभग 1850-90 के ज़माने का ही ये किस्सा भी है ।
उनका नाम भी लोग कभी नहीं भूले, आज भी जब बॉयकॉट करना कहा जाता है तो मतलब बहिष्कार करना ही होता है । ठीक वैसा जैसा Charles C. Boycott के साथ हुआ था और अब बोलीवुड फिल्मों के साथ हो रहा है।

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