जिहाद दोतरफा कुल्हाड़ा है ये राज्य भी दिलाता है और राज्य छीन भी लेता है । रोहिंग्या म्यांमार में जिहाद कर रहे थे और इसी जिहाद की वजह से 8 लाख रोहिंग्याओं का म्यांमार से निष्कासन हो गया ।
भारत का दुश्मन मीडिया बीबीसी अपने लेख में ये तो बताता है कि दिल्ली के मदनपुर खादर में रह रहे रोहिंग्या बहुत बुरी हालत में हैं लेकिन वो ये नहीं बताता कि आखिर रोहिंग्याओं ने म्यांमार के अंदर वो कौन से उपद्रव मचाए जिसकी वजह से 1978 मे, 1991 में, 2012 में, 2015 में और 2016 से 2018 तक म्यांमार की सरकार को रोहिंग्या पर सैन्य कार्रवाई करनी पड़ी ।
1940 के दशक से रोहिंग्या लोगों ने म्यांमार को तोड़ने के लिए जिन्ना के रास्ते पर चलकर म्यांमार से अलग एक देश रखाइन बनाने की कोशिश की । म्यांमार के बौद्ध लोग ना तो हिंदुओं की तरह दयावान थे और ना ही उस वक्त के हिंदुओं के बड़े वर्ग की तरह मूर्ख कि किसी गांधी को अपना नेता बनाते और 100 जूते खाकर अपनी बेटियों का बलात्कार करवाकर अहिंसा की उपासना करते, इसलिए वो बार-बार ना सिर्फ रोहिंग्याओं को देश तोड़ने से रोक सके बल्कि 2017 में पूजनीय अशिन विराथू के नेतृत्व में उनको म्यांमार से बाहर करने में पूरी तरह कामयाब भी रहे । म्यांमार की सरकार ने रोहिंग्याओं को नागरिकता से वंचित कर दिया और स्पष्ट रूप से ये कहा कि ये बंगाली लोग हैं और म्यांमार में औपनवेशिक प्रवासी हैं । यानी ये रोहिंग्या वो लोग हैं जिनको ब्रिटिश सरकार मजदूरी करवाने के लिए म्यांमार के अराकान में बांग्लादेश से लाई थी ।
ये रोहिंग्या लोग म्यांमार में जिहाद कर रहे थे वहां शांतिप्रिय बौद्ध समुदाय की लड़कियों के साथ छेड़खानी और रेप कर रहे थे । रखाइन प्रांत के जिन इलाकों में इनकी बहुलता थी वहां पर बौद्ध मठों में घंटियां बजाने पर भी इन लोगों ने रोक लगा दी थी । ये रोहिंग्या लोग जिहाद की शिक्षाओं पर चलते हुए गैरमुसलमानों का संपूर्ण विनाश करके इस्लाम और शरीयत की सत्ता लाने का ख्वाब देख रहे थे । फिर एक बौद्ध साधु अशिन विराथु ने इनके खिलाफ पूरे म्यांमार में अभियान चलाया और इनको ठीक वैसे ही जवाब दिया जैसे देवों ने असुरों और दैत्यों का सर्वनाश किया और उनको पलायन पर मजबूर कर दिया ।
अब ये अपराधी, आतंकवादी कौम भारत में लाखों की संख्या में घुस आई है और इनको मुसलमान होने का फायदा मिल रहा है थोक के भाव आधार कार्ड बनवाकर इन हिंदु बहुल विधानसभाओं में सुनियोजित तरीके से सेकुलर पार्टियों के द्वारा बसाया जा रहा है ताकी वोट के गणित को बदला जा सके और गजवा ए हिंद का रास्ता आसान बनाकर भारत को इस्लामिस्तान बनने के रास्ते पर अग्रसर किया जा सके ।
दिल्ली के मदनपुर खादर में 250 रोहिंग्या टैंटों में रहते हैं और आज तक न्यूज वेबसाइट के मुताबिक इस जमीन का मासिक 7 लाख रुपया किराया केजरीवाल दिल्ली सरकार के राजकोष से देता है । यानी हिंदुओं के टैक्स के पैसे ही दिल्ली सरकार रोहिंग्या पर लुटा रही है । केजरीवाल की सरकार मुसलमानों के वोटों से बनी हुई सरकार है इसलिए वो इस्लाम की सरपरस्ती में ही काम करेगी लेकिन सवाल ये है कि मोदी कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने क्यों ये ट्वीट किया कि रोहिंग्या को भारत सरकार सरकारी फ्लैट देगी ?
दरअसल हरदीप सिंह पुरी जैसे लोग बीजेपी में एक नहीं हजारों में हैं जो बड़े बड़े पदों पर विभूषित तो हो गए हैं लेकिन उनके मन में हिंदुत्व की कोई भावना नहीं है । ऐसे लोगों से हिंदुओं को आखिर कितनी उम्मीद रखनी चाहिए ये स्वयं हिंदुओं को ही सोचना होगा । आज भी पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थी नारकीय जीवन जी रहे हैं और रोहिंग्याओं के लिए केजरीवाल सरकारी योजनाएं बनवा रहा है ।
भारत सरकार को इस बात की स्पष्ट घोषणा करनी चाहिए कि अगर भारत के अंदर कोई भी शरण लेना चाहता है तो उसे पहले ये साबित करना होगा कि वो सभ्य है और हमारी नजर में सभ्य होने का अर्थ है हिंदू होना और इसीलिए हमारा स्पष्ट निवेदन है कि भारत सरकार सिर्फ उसी को भारत में शरण दे जो हिंदू धर्म के प्रति आस्था व्यक्त करें और मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के आदर्शों पर ही चलने का संकल्प ले । इसके अलावा अन्य किसी को भी शरण देना हिंदू वोट से विश्वासघात है ऐसा हमारा स्पष्ट मानना है । इसके अलावा भारत सरकार को तुरंत सीएए और एनआरसी लागू करना चाहिए । भारत सरकार को श्रीमदभगवत गीता के रास्ते पर चलते हुए धर्मानुकूल आचरण करना चाहिए और इससे होने वाले साइड इफेक्ट्स की चिंता छोड़ देनी चाहिए ।
-दिलीप पाण्डेय