हिन्दू त्योहारों पर गन्दा और भद्दा नाच-गाना क्यों ?

बहुत ही विचारणीय प्रश्न –
कभी ईद में मुसलमानो को मस्ज़िद के सामने नशा करके अश्लील गानों पर नाचते हुए देखा है क्या ?
कभी यीशु मसीह के सामने क्रिस्चियन लोगो को शांताबाई गाने पर नाचते हुए देखा है क्या ?
कभी जैन लोगो को उनके भगवान के सामने, आला बाबुराव गाना लगाकर नाचते हुए देखा है क्या ?
ये सब समाज अपने अपने इष्ट का मान सम्मान बड़ी ईमानदारी से करते है । क्योकि उनको उनका धर्म उनकी संस्कृति को टिकाना है ।
फिर हमारे हिन्दू धर्म के भगवान के सामने नशा करके और डीजे लगाकर अश्लील गाने लगाकर ये भद्दा नाच क्यों ?
ये कलंक हमारे हिन्दू समाज पर ही क्यों लगा है या हमने ही लगाया है । डीजे पर अश्लील गाने लगाकर हम ही अपने इष्ट का अपने सनातन संस्कृति का अपमान कर रहे होते है ।
अपने त्यौहार बड़े उत्साह व् बड़े पैमाने पर मनाने चाहिए, लेकिन पारम्परिक वाद्यों, ढोल मजीरो, शाहनाई के सुर, पारम्परिक पोशाक व् पगड़ी के शान अपने प्रत्येक हिन्दू त्यौहारों में दिखनी ही चाहिए ,तभी हमारी सनातन संस्कृति टिकेगी । देखिये आप खुद ही विचार करें, और दूसरों को भी विचार करने लगाइये ।
वे लोग भी सिनेमा देखते है ना ? लेकिन अपने धार्मिक कार्यक्रम में ऐसी फालतूगीरी वे लोग नहीं करते ।
अभी आगे गणेशोत्सव, दशहरा, नवरात्रि में ध्यान रखे और कोई ऐसा करता हो उसे समझाये ।उसकी जगह हिन्दू भक्ति गीत व् संगीत पर आधारित श्लोक व् हरी धुन लगाए ।

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