नागरिकों का मौलिक कर्तव्य क्या है

भारतीय संविधान में राष्ट्र निर्माण के लिए आवश्यक नागारिक के कुछ सामान्य मुल्यों के आधार पर देशप्रेम और राष्ट्रीय विचारों को बढ़ाने के लिए मौलिक कर्तव्य से संबंधित अनुच्छेद-2 और भाग चार (क) और संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा जोड़े गए. संविधान में मौलिक कर्तव्य को अनुच्छेद 51 के भाग 4 में जोड़ा गया है. मूल संविधान में मौलिक कर्तव्यों की संख्या 10 थी. 86 वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 धारा 11वां मौलिक कर्तव्य जोड़ दिया गया. वर्तमान में भारतीय संविधान में 11 मौलिक कर्तव्य हैं.
ये हैं 11 मौलिक कर्तव्य
भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि –
1. संविधान के नियमों का पालन करें और उसके आदर्शों संस्थाओं राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का पालन करें.
2. स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने और उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और पालन करें.
3. भारत की प्रभुता एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाए रखें.
4. देश की रक्षा करें और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें.
5. भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा, प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो. ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरोध में हो.
6. हमारे समाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करें.
7. प्राकृतिक पर्यावरण की जिसके अंतर्गत वन, झील नदी और वन्य जीव हैं रक्षा करें और उसका संवर्धन करें तथा प्राणीमात्र के प्रति दया भाव रखें.
8. वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवतावाद और ज्ञान अर्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें.
9. सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहें.
10. व्यक्तिगत एवं सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें.
11. माता-पिता या संरक्षक द्वारा 6 से 14 वर्ष के बच्चों लिए प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध करवाना. ( यह मौलिक कर्तव्य 86 सविधान संशोधन अधिनियम 2000 द्वारा जोड़ा गया.)

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