हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
श्रीरामजन्मभूमि आन्दोलन के सारथी अशोक सिंघल  

श्रीरामजन्मभूमि आन्दोलन के सारथी अशोक सिंघल  

by हिंदी विवेक
in देश-विदेश, मीडिया, विशेष, संघ, सामाजिक
0

राष्ट्रवादी विचारधारा के परिपालक व बहुसंख्य हिंदू समाज में राममंदिर आंदोलन के माध्यम से जागरूकता उत्पन्न करने वाले विश्व  हिंदू परिषद के संस्थापक अशोक सिंहल जी के अथक परिश्रम, समर्पित व्यक्तित्व  व ओजस्वी उद्बोधनों  का ही परिणाम है  कि आज हिंदू समाज में सामाजिक समरसता का भाव दिखायी पड़ता है। संत समाज व विभिन्न अखाड़ा परिषदों को एक मंच पर लाने का अकल्पनीय कार्य भी अशोक जी ने ही  संभव कर दिखाया । अयोध्या में श्री रामजन्मभूमि मुक्ति के लिए जीवन अर्पण  कर सतत प्रयासरत रहने वाले अशोक सिंहल जी ने हिंदुओं की खोती जा रही स्मृतियों को एक बार फिर से संजोने का काम भी कर दिखाया । यह उन्हीं के प्रयासों का परिणाम हैं कि आज देश का बहुसंख्यक समाज अपने आप को गर्व से हिंदू कहना चाहता है। हिंदुत्व के हित का संरक्षण करने व उसके दायित्व का वहन करने के लिए विश्व  हिंदू परिषद की स्थापना भी उन्हीं के प्रयासों से संभव हो सकी।

अशोक सिंहल जी  ने देश , समाज, हिंदू सभ्यता, संस्कृति और संस्कार के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया। उन्होने श्री राम जन्मभूमि मुक्ति तथा अयोध्या में भव्य राममंदिर निर्माण के लिए आंदोलनों की झड़ी लगा दी । वे सभी आयोजन काफी अनुशासित होते थे। जनसभाओं व कार्यक्रमों में अशोक जी के ओजस्वी भाषणों को सुनने के लिए भारी भीड़ जमा होती थी और  जब यह भीड़ वापस घरों की ओर प्रस्थान करती थी तो उसमें एक नया पन व ताजगी की उमंग होती थी लेकिन किसी प्रकार की उत्तेजना या  हिसक वातावरण का प्रदर्शन  नहीं होता था।  अशोक जी में विरोधाभासी  विचार वाले विभिन्न समूहों को  साथ में लेकर चलने की अभूतपूर्व कला थी।

संघ कार्य करते हुए अशोक सिंघल ने राष्ट्र  के एक सच्चे साधक के रूप में अपने आपको विकसित किया और 1942 में संघ के स्वयंसेवक बने। संघ के सरसंघचालक श्री गुरुजी ने 1964 में जाने- माने संत महात्माओं के साथ मिलकर विश्व  हिंदू परिषद की स्थापना की। 1966 में विश्व  हिंदू परिषद में अशोक जी का पदार्पण हुआ। अदभुत योजक शक्ति,संगठन कुशलता, निर्भीकता,अडिग व्यक्तित्व और सबको साथ लेकर चलने की अशोक जी की विराटता ने हिंदू संगठन के रूप में विश्व  हिंदू परिषद को पूरे विश्व  में सबसे प्रखर हिन्दू संस्था के रूप में स्थापित किया । यह उन्हीं के प्रयासों का परिणाम था कि आज  पाकिस्तान, बांग्लादेश  और विश्व   के अन्य देशों  में यदि कोई हिंदू विरोधी व भारत विरोधी घटना घटित होती है तो वह प्रकाश  में आती है। अशोक जी  जहां भारत में अपनी संस्कृति व सभ्यता की रक्षा करने के लिए संघर्षरत रहे थे वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के प्रति किये जा रहे अत्याचारों के खिलाफ भी पूरे जोर शोर  से आवाज उठाते थे। जम्मू- कश्मीर  के हिंदुओं की समस्या के प्रति वे निरंतर गंभीर  रहते तथा उनके दुखों को दूर करने का प्रयास भी करते थे ।

पांच शताब्दियों से चल रही श्री राम जन्मभूमि मुक्ति की लड़ाई 1984 में अशोक जी सहित  महान  संतों के  के नेतृत्व श्रीरामजन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के साथ पुनः प्रारंभ हुयी और 1990 में कारसेवकों का नृशंस हत्याकांड झेलते हुए हुए 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचे के विध्वंस और अस्थायी श्री राम लला मंदिर तक पहुँच गयी । यही श्री राम जन्मभूमि आन्दोलन का निर्णायक मोड़ और इस विषय पर हिन्दुओं की निर्णायक विजय सुनिश्चित करने का दिन था ।यह उन्हीं का प्रयास रहा कि अदालत ने 30 सितम्बर 2010 को हाइकोर्ट के तीन न्यायाधीशों  की खंडपीठ ने एक स्वर से उसी स्थान को श्रीरामजन्मभूमि माना । आज श्री राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का  निर्माण प्रारंभ हो चुका है। यही स्वर्गीय अशोक जी स्वप्न  था ।

अशोक सिंघल अपने आंदोलनों के दौरान गंगा नदी की अविरलता के  लिए व गौ हत्या के खिलाफ भी पुरजोर आवाज उठाई थी।। इतना ही नहीं वे अपनी संस्थाओं के माध्यम से कन्याओं के विवाह आदि संस्कार भी संपन्न करवाते थे और 42 अनाथालय के माध्यम से 2000 से अधिक बच्चों को  आश्रय दिया जाता था जो अनवरत जारी है। गौरक्षा हेतु जन जागरण के द्वारा 10 लाख से अधिक गोवंश  की सुरक्षा की गयी । हिंदू समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए सामाजिक समरसता के कार्यक्रम भी अशोक जी की प्रेरणा से चलाये गये। अशोकजी के प्रयासों से विहिप के काम में धर्म जागरण , सेवा, संस्कृत  परावर्तन आदि अनेक नये आयाम जुड़े। अशोक जी कि दूरदृष्टि का ही परिणाम है  कि आज अमेरिका, इंग्लैंड, सूरीनाम, कनाडा, नीदरलैंड, दक्षिण अफ्रीका, आस्ट्रेलिया , श्रीलका आदि 80 देशों  में विहिप का संपर्क है । देश  भर में 53532 समितियां कार्यरत हैं। बहुसंख्यक हिंदू समाज के पथ प्रदर्शक व प्रेरक अशोक सिंघल सहस्त्रों  वर्षों तक हिंदू समाज के लिए उसी प्रकार से प्रेरक बने रहेंगे जैसे कि स्वामी विवेकानंद व रामकृष्ण परमहंस हैं। हिंदू समाज व संस्कृति के हित में उन्होने जो काम किये हैं  वह हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

– मृत्युंजय दीक्षित

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp

हिंदी विवेक

Next Post
दिव्यांग शिक्षण संस्था में जिला जज की सदिच्छा भेंट

दिव्यांग शिक्षण संस्था में जिला जज की सदिच्छा भेंट

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0