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काशी कबहुं न छाड़िए  (काशी अत्याज्य है)

काशी कबहुं न छाड़िए (काशी अत्याज्य है)

by भास्कर दुबे
in विशेष, संस्कृति, सामाजिक, सांस्कुतिक भारत दीपावली विशेषांक नवंबर-2022
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योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल में अन्य क्षेत्रों के साथ ही साथ उत्तर प्रदेश में पर्यटन के विकास पर काफी जोर दिया था। वर्तमान कार्यकाल में उसे विस्तार देते हुए उत्तर प्रदेश को पर्यटन के मामले में पूरे देश में पहले पायदान पर पहुंचा दिया है। धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता की वजह से प्रदेश में अभी काफी सम्भावनाएं हैं जिन पर कार्य किया जा रहा है।

त्तर प्रदेश पूरे उप-महाद्वीप की दो महान प्राचीन नदियों गंगा और यमुना के किनारे संस्कृतियों और धार्मिक रीतियों का उद्गम क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध है। भारत के हृदयस्थल में संस्कृतियों के मिलन और आस्था के संगम के अनोखे दृश्यों को समेटे एक अनूठा प्रदेश विश्व के अनेक देशों की राष्ट्रीय आय का बड़ा साधन बने पर्यटन क्षेत्र को योगी सरकार का बड़ा प्लान आकार लेने लगा है। प्रदेश के पांच बड़े धार्मिक स्थल अयोध्या, वाराणसी, नैमिषारण्य , चित्रकूट, विंध्याचल का कायाकल्प पर्यटकों के लिए एक अच्छे विकल्प के रूप में उभरा है। प्रदेश के तीर्थ स्थलों को लेकर योगी सरकार की नीति में बदलाव से धार्मिक पर्यटन का मार्ग प्रशस्त हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने धार्मिक पर्यटन की कमियों की ओर गम्भीरता से ध्यान दिया। अयोध्या में भव्य दीपावली, मथुरा में होली के माध्यम से उन्होंने धार्मिक पर्यटन के लिए संदेश देने का काम किया है। पर्यटन के मामले में उत्तर प्रदेश के काशी, मथुरा, अयोध्या, सारनाथ, कुशीनगर दुनिया भर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

पर्यटन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश अब देश में अव्वल है। वर्ष 2019 के आंकड़े यही बताते हैं। इसमें धार्मिक पर्यटन का विशेष योगदान है। देश में हर दूसरा घरेलू पर्यटक धार्मिक यात्रा पर ही जाता है, इसलिए सरकार इसे और बढ़ावा देने की कोशिशों में लगी हुई। भारत में होने वाले घरेलू पर्यटन का करीब 60 फीसदी हिस्सा धार्मिक ही होता है। यानी हर दो में से एक भारतीय घरेलू पर्यटक तीर्थयात्रा या धार्मिक स्थलों की यात्रा पर जाता है। इसलिए सरकार अब धार्मिक स्थलों के बुनियादी ढांचे और अन्य सुविधाओं के विकास पर तेजी से काम रही है।

साल 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी सरकार बनने के बाद धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में सराहनीय काम हुआ है। अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखी जा चुकी है। इस मंदिर के निर्माण से अयोध्या नगरी हर तरह से जगमगा जाएगी। पर्यटन बढ़ने से रोजगार में वृद्धि होगी, जिससे वहां रहने वालों का जीवन आसान हो जायेगा। इसके साथ ही देश में धार्मिक पर्यटन को रफ्तार मिलेगी। योगी ने अयोध्या में दीपावली के एक दिन पहले दीपोत्सव के आयोजन की शुरूआत की। अब हर साल दीपोत्सव में नया रिकॉर्ड बनने का सिलसिला जारी है। इन आयोजनों ने देश और दुनिया में यूपी पर्यटन को ब्रांड बनाया। परम्परागत आयोजनों का नया कलेवर दिया।

भगवान श्रीराम-श्रीकृष्ण की धरती अयोध्या एवं मथुरा के अलावा भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी काशी और तीर्थराज प्रयाग में लगने वाले कुम्भ ने इसे परवान चढ़ाया है। इतना ही नहीं, पतित पावनी गंगा के नाते भी यूपी पर्यटन को बेशुमार सफलता मिली है। अयोध्या का दीपोत्सव, वाराणसी की देव दीपावली, मथुरा का कृष्ण जन्मोत्सव, बरसाने की होली, कुशीनगर का बुद्धिस्ट कॉन्क्लेव तथा काशी, अयोध्या, लखनऊ, प्रयागराज और चित्रकूट ने भी यूपी पर्यटन को मजबूत किया है। इसके अलावा प्रदेश में 16 जगहों अयोध्या, गोरखपुर, बलिया, वाराणसी, विन्ध्याचल, चित्रकूट, श्रृंगवेरपुर, बिठूर, ललितपुर, मथुरा, गढ़मुक्तेश्वर, सहारनपुर, गाजियाबाद, बिजनौर, बरेली और लखनऊ में रामायण कॉन्क्लेव आयोजित हुए।

मुख्यमंत्री की मंशा के अनुसार, अब यह पर्यटकों के लिए देश का सबसे पसंदीदा स्थल बनता जा रहा है। वर्ष 2019 में देश में आने वाले भारतीय और विदेशी पर्यटकों की संख्या क्रमश: 53 करोड़ 58 लाख 55 हजार 162 एवं 47 लाख 45 हजार 181 रही। पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2012 से 2017 के बीच उत्तर प्रदेश में आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या क्रमश: 99.07 एवं 1.19 करोड़ रही। वर्ष 2017 से 2021 के बीच बढ़कर यह संख्या क्रमश: 125.07 एवं 1.31 करोड़ हो गई। ओवरऑल यह वृद्धि 27 फीसद की है। वर्ष 2019 में भारतीय पर्यटकों के आगमन की दृष्टि से उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर रहा। वहीं, विदेशी पर्यटकों के संदर्भ उत्तर प्रदेश को तीसरा स्थान मिला था।

पर्यटन विभाग ने उत्तर प्रदेश में 250 ऐसे स्थल चिन्हित किए हैं, जहां पर मेले लगते हैं। इन स्थलों पर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने पर लगातार काम चल रहा है, जिससे इन पर्यटन स्थलों पर आने वाले पर्यटकों को किसी तरह की समस्या न हो। अयोध्या में राम मंदिर की घोषणा के बाद अयोध्या पर्यटन का एक बड़ा केंद्र बनकर उभरा है। इसके साथ ही प्रयागराज, गोरखपुर, विंध्याचल, मथुरा, वृंदावन और बरसाने में भी लगातार विकास कराये जा रहे हैं। इसके साथ ही बुद्धिस्ट सर्किट कुशीनगर, श्रावस्ती, कौशाम्बी और सारनाथ जहां बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं, यहां पर भी सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं, जिससे पर्यटकों को किसी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े।

योगी सरकार ने अयोध्या पर विशेष ध्यान दिया और यही वजह है कि अयोध्या में दीपोत्सव का कार्यक्रम मनाया गया। प्रत्येक दीपोत्सव कार्यक्रम, पिछले कार्यक्रमों से भव्य देखा गया है। वाराणसी में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए गंगा में क्रूज सेवा भी शुरू की गई, जिसे प्रयागराज तक चलाया जाएगा। इसके बाद अयोध्या में भी क्रूज चलाने की योजना पर विचार चल रहा है। इसके साथ ही 2019 में प्रयागराज कुम्भ की यूनेस्को ने भी सराहना की है।

योगी सरकार ने यूपी दिवस मनाए जाने की भी घोषणा की है। प्रदेश के सभी जनपदों में 1 दिन यूपी दिवस मनाया गया और इस यूपी दिवस के माध्यम से केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं के बारे में जनता को बताया गया। इसके साथ ही कबीर उत्सव और चौरी-चौरा कांड के 100 वर्ष होने पर शताब्दी वर्ष भी मनाया गया। इस कार्यक्रम के माध्यम से आजादी की लड़ाई में सराहनीय योगदान देने वाले सेनानियों को भी याद किया गया। ऐसे कई कार्यक्रमों के माध्यम से सरकार पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लगातार कार्य कर रही है। उत्तर प्रदेश धार्मिक पर्यटन का हब बनता जा रहा है।

योगी सरकार 2.0 में भी इस प्रयास का सिलसिला जारी है। पर्यटन विभाग ने पांच साल की कार्ययोजना बना ली है। मुख्यमंत्री द्वारा विभाग का प्रस्तुतीकरण भी देखा जा चुका है। इस कार्ययोजना के अनुसार, इको एंड रूरल टूरिज्म बोर्ड, सभी जिलों में जिला पर्यटन एवं संस्कृति परिषदों का गठन का काम पूरा होगा। 291.53 करोड़ रुपए की लागत से शुरू होने वाली 170 परियोजनाओं का लोकार्पण भी प्रस्तावित है।

केंद्र सरकार ने भी धार्मिक पर्यटन पर विशेष जोर दिया

केंद्र की मोदी सरकार ने भी पर्यटन को बढ़ावा देने की कोशिश की है। प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 में 15 अगस्त को भाषण में कहा था कि हर व्यक्ति 2022 तक 15 घरेलू पर्यटन स्थलों की यात्रा करे। केंद्र सरकार ने दो परियोजनाओं- स्वदेश दर्शन और प्रसाद को भी मंजूरी दी थी। स्वदेश दर्शन में 15 थीम के तहत पर्यटन स्थलों का विकास किया जा रहा है। इनमें बुद्धिस्ट सर्किट, कृष्णा सर्किट, स्पिरिचुअल सर्किट, रामायण सर्किट और हेरिटेज सर्किट, सूफी सर्किट और क्रिश्चियन सर्किट प्रमुख हैं।

प्रसाद (पी.आर.ए.एस.ए.डी.) योजना के तहत देश भर में धार्मिक स्थलों की पहचान और उनके विकास पर जोर है, ताकि लोगों के धार्मिक पर्यटन का अनुभव और व्यापक हो।  इन दोनों योजनाओं के तहत सरकार ने करीब 90 प्रोजेक्ट्स में 7000 करोड़ रुपये का आवंटन किया है।

आईबीईएफ के अनुसार, भारत के जीडीपी में ट्रैवल और टूरिज्म सेक्टर का योगदान साल 2017 के 15.24 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2028 तक 32 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाने का अनुमान है। इसमें से ज्यादातर हिस्सा घरेलू पर्यटन का ही होता है। इसमें से 60 फीसदी हिस्सा धार्मिक पर्यटन का होता है यानी धार्मिक पर्यटन का कारोबार करीब 10 लाख करोड़ रुपये का है। पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2018 में घरेलू पर्यटकों की संख्या  1.85 करोड़ थी, जो एक साल पहले के मुकाबले 12 फीसदी ज्यादा है। साल 2019 में भारत में 1.08 करोड़ विदेशी पर्यटक आए थे और इनसे करीब 1.94 लाख करोड़ रुपये की आय हुई थी। साल 2019 तक भारत के पर्यटन सेक्टर में करीब 4.2 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ था जो कुल रोजगार का करीब 8.1 फीसदी है। कोरोना संकट की वजह से इस सेक्टर की हालत खराब हो गई थी, हालांकि अब तेजी से सुधार हो रहा है।

वर्ल्ड ट्रेवल एण्ड टूरिज्म कांउसिल (डब्ल्यूटीटीसी), 2018 की रिपोर्ट में भारत को पर्यटन के मामले में विश्व में तीसरा स्थान मिला है। इस रिपोर्ट में 185 देशों के पिछले सात वर्षों (2011-2017) के प्रदर्शन पर अवलोकन किया गया था। 2017 में भारत में 1.4 करोड़ विदेशी पर्यटक आए थे, जबकि 2014 में यही आंकड़ा 76.8 लाख था। इस लिहाज से भारत में पर्यटन के मोर्चे पर 14 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई जो वैश्विक औसत से काफी अधिक है।  सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन का योगदान 7 प्रतिशत रहा।

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