टायगर ग्रुप गैंग नहीं, सामाजिक संगठन

किसी संगठन का युवाओं में ‘क्रेज’ होना आम बात नहीं है। आज का युवा बहुत देख-परखकर किसी संगठन से जुड़ता है और तब तक जुड़ा रहता है जब तक उसके विचारों से सहमति रखता हो। टाइगर ग्रुप का युवाओं में ‘क्रेज’ क्यों बढ़ रहा है, इसका उत्तर है उस ग्रुप के सदस्यों का बिंदास व्यवहार, सामाजिक कार्य और आवश्यकता पर उलब्धता। आशा यही है कि यह संगठन अपनी वैचारिक दिशा से भटके नहीं।

ले व हाथों में बड़े-बड़े और मोटे-मोटे सोने की चेन व ब्रेसलेट, स्टाइलिश कपड़े, चमकते सूट-बूट पहने निडर साहसी युवा टायगर ग्रुप की पहचान है। इन दिनों मुंबई (महाराष्ट्र) में टायगर ग्रुप की खूब चर्चा चल रही है। युवाओं के बीच बहुत कम समय में इतने लोकप्रिय संगठन के रूप में उभरना कोई साधारण कार्य नहीं है। आख़िरकार कैसे इतनी तेजी से टायगर ग्रुप ने अपना विस्तार किया? यह हर व्यक्ति, संस्था, संगठनों को सीखना चाहिए। हालांकि हर संगठन और संस्था में कुछ न कुछ कमियां तो होती ही है और अच्छे-बुरे लोग कहां नहीं होते। किन्तु सुधार एवं परिवर्तन करने की नीयत हो तो निश्चित रूप से सकारात्मक परिवर्तन किया जा सकता है।

टायगर ग्रुप का क्यों बढ़ा क्रेज

‘मेरा हाथ पकड़ कर चलो, किसी के पैर पकड़ने की जरुरत नहीं पड़ेगी।’ यह कहना है टायगर ग्रुप के अध्यक्ष पहलवान तानाजी भाऊ जाधव का और उन्होंने यह सच भी कर दिखाया है। इसलिए आज मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र में उनका क्रेज बढ़ता ही जा रहा है। अपने ‘वचन’ पर शतप्रतिशत खरा उतरने के कारण लोगों के बीच उनकी विश्वसनीयता प्रबल हुई है। धीरे-धीरे टायगर ग्रुप का विस्तार भारत भर में होने लगा है। हालांकि कुछ विवाद भी उसके साथ जुड़े रहे है। मुंबई टायगर ग्रुप के अध्यक्ष संजय भाऊ खंडागले ने तानाजी भाऊ की विरासत को मुंबई में आगे बढ़ाया और सड़क से लेकर गली तक अपने संगठन का विस्तार कर उसे मजबूत बनाया।

सेवा, सहायता और सुरक्षा में सबसे आगे

अधिकतर ऐसा देखा जाता है कि जब भी किसी व्यक्ति को सहायता की जरुरत पड़ती है तो लोग किसी न किसी बहाने से उससे पल्ला झाड़ लेते हैं और उनकी मदद नहीं करते। कई बार ऐसा भी होता है कि पीड़ित, शोषित, गरीब को पुलिस, नेता, न्यायालय आदि शासन-प्रशासन कहीं न्याय नहीं मिलता। वह दर-दर की ठोंकरे खाते फिरते हैं। आखिर वह न्याय, सुरक्षा और अधिकार के लिए जाए तो जाए कहां? इसी निराशा भरे प्रश्न का उत्तर मिलता है ‘टायगर ग्रुप’।

मुंबई में टायगर ग्रुप की गर्जना

हर सवाल का जवाब जैसे टायगर ग्रुप ने ढूंढ़ निकाला है। रोजगार हो, महिला सुरक्षा हो या किसी को कोई भी व्यक्तिगत परेशानी हो, सभी तरह की समस्या का समाधान निकालने के लिए सहायता का हाथ बढ़ाने में टायगर ग्रुप कभी पीछे नहीं रहता। निस्वार्थ भाव से समाज की सेवा, सहयोग और सुरक्षा के लिए सदैव तत्पर रहने के कारण चारों दिशाओं में टायगर ग्रुप की गर्जना सुनाई देने लगी है। मुंबई में कई लोग आए और चले गए लेकिन एक संगठन के तौर पर टायगर ग्रुप जैसी लोकप्रियता अभी तक किसी ने नहीं प्राप्त की है।

युवाओं में क्यों है टायगर ग्रुप का आकर्षण?

शून्य से शिखर की ओर अग्रसर टायगर ग्रुप एक अनोखा संगठन है। स्वयं के हिम्मत, आत्मविश्वास एवं प्रतिभा के बल पर तानाजी भाऊ जाधव और उनके सहयोगियों ने टायगर ग्रुप नामक बीज को वटवृक्ष में परिवर्तित किया है। जितना संभव हो सके उतने लोगों की सहायता करने के स्वभाव के चलते तानाजी जाधव और उनके सहयोगियों को अल्प समय में महाराष्ट्र के युवाओं के बीच लोकप्रिय बना दिया।

आज सभी को टायगर ग्रुप का आकर्षण है। अनेकों को इस संगठन के बारे में जानने का कौतुहल है तो अनेकों को इसमें शामिल होने की इच्छा है क्योंकि टायगर ग्रुप कोई गैंग नहीं अपितु लोगों को कदम-कदम पर मदद करनेवाला सामाजिक संगठन है। जब-जब किसी भी क्षेत्र में अन्याय होता है तब-तब टायगर ग्रुप की धमाकेदार एंट्री होती है और वे न्याय दिलाने के बाद ही पीछे हटते हैं।

तानाजी जाधव का करिश्माई व्यक्तित्व

पहलवान तानाजी जाधव का जन्म सोलापुर जिले के करमाला गांव के एक गरीब परिवार में हुआ। उन्हें बचपन से ही पहलवान बनने और नए-नए दोस्त बनाने में रूचि थी। इसलिए वह प्रतिदिन अखाड़ों में जाया करते थे। उनके पूर्वज भी पहलवान थे इसलिए उनके खून में ही पहलवानी के गुण समाहित थे। विद्यालय के दिनों से ही वह अपने मित्र परिवार की संख्या बढ़ाने लगे थे। बचपन और विद्यालय के दिनों के मित्र आज भी उनसे जुड़े हुए है। उनके बड़े भाई जालिंदर जाधव ने वर्ष 2008 में ‘टायगर ग्रुप’ की स्थापना की, जिसका नेतृत्व तानाजी कर रहे है। ‘दीन दुखी गरीबों की सेवा करना, मदद करना यही हमारा धर्म’ यह ध्येय लेकर वह अपने मित्र परिवार का तेजी से विस्तार करने लगे। वह जिनकी भी मदद करते वह और उससे जुड़े लोग उनसे जुड़ जाते। इसी तरह संगठन का विस्तार चारों ओर फैलता गया और यह सिलसिला आज भी चलता ही जा रहा है।

उन्होंने 1000 से 1500 युवाओं को विविध कंपनियों में रोजगार भी दिलाया है। इसके अलावा अनेक लोगों को मल्लविद्या, बॉक्सिंग, निशानेबाजी आदि खेल के लिए प्रेरित-प्रोत्साहित करना, जरुरतमंदों को राशन और छात्रों को शिक्षण साहित्य वितरित करना, रक्तदान शिविर, मेडिकल केम्प का आयोजन जैसे अनेकानेक कार्यक्रम सतत किये जाते हैं। हाल ही में सामाजिक क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें  गोवा में नेल्सन मंडेला नोबेल पुरस्कार एवं अमेरिकन युनिवर्सिटी ऑफ़ ग्लोबल पीस विश्वविद्यालय द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की गई थी।

लोकप्रियता का अनुमान आप इसी बात से लगा सकते हैं कि देशभर से लगभग 80 हजार लोग उनका जन्मदिन मनाने के लिए उनके गांव करमाला तालुका में जुटे थे। उन्हें उपहार के रूप में 135 तलवारें, जिसमें से कई तलवारें चांदी की भी थीं, सैकड़ों मोबाईल जिसमें एक मोबाईल की कीमत 15 हजार से लेकर डेढ़ लाख तक, एसयुवी गाड़ी और सोना तो पूछिए ही मत….। दोस्तों ने दिल खोल कर अपना खजाना तानाजी पर लुटाया था। कहा जाता है कि असली संपत्ति मित्र-यार ही होते हैं और यह पहलवान तानाजी भाऊ जाधव ने सिद्ध कर दिखाया है। मित्र बंधुओं के सहयोग और प्यार से व्यक्ति कहां से कहां जा सकता है, इसका

सर्वोत्तम उदाहरण हैं तानाजी।

वह जहां कहीं भी जाते हैं उनके साथ हजारों लोगों का काफिला हमेशा कदमताल करता हुआ दिखाई देता है। उनके स्वागत के लिए सैकड़ों गाडियों सहित हजारों लोग सदैव उपस्थित रहते हैं। आज टायगर ग्रुप का विस्तार महाराष्ट्र के अलावा कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, गुजरात में होते हुए सम्पूर्ण देश में होता जा रहा है।

राजनीति में नहीं, समाजसेवा में है रूचि

इतना बड़ा जनाधार होने के बावजूद वह राजनीति में क्यों नहीं आते? इस प्रश्न का उत्तर उन्होंने खुद ही देते हुए कहा है कि ‘मेरे अनेक दोस्त नगरसेवक, सरपंच आदि बन गए, ऐसी कोई पार्टी नहीं जिन्होंने मुझे पार्टी में आने का न्योता तथा बड़े-बड़े पद का प्रस्ताव नहीं दिया हो परन्तु मुझे राजनीति में रूचि नहीं है। समाजसेवा करते हुए मित्र मंडली को एकत्रित करना यही मुझे भाता है और यही मेरी सच्ची संपत्ति है।’

असामाजिक तत्वों से सावधान रहने की आवश्यकता

महाराष्ट्र के आराध्य दैवत छत्रपति शिवाजी महाराज ने जैसे सभी जाति पंथों को साथ लेकर मावलों (सैनिकों) की सेना बनाई थी और तानाजी मालसुरे जैसे अनेकानेक साहसी वीर योद्धाओं के बल पर हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना की थी, वैसे ही वर्तमान समय में छत्रपति शिवाजी महाराज के एक मावले (सैनिक) के रूप में तानाजी जाधव दिखाई दे रहे हैं। डॉ. भीमराव रामजी आम्बेडकर की प्रेरणा से सामाजिक समरसता का भाव जागृत करते हुए समाज को एक नई दिशा दे रहे हैं।

हालांकि उन्हें असामाजिक तत्वों एवं राष्ट्र विरोधी गैंग से सचेत-सावधान रहने की अत्यंत आवश्यकता है क्योंकि हमारे ही बीच में समाज व देशविरोधी मानसिकता से ग्रसित लोग भी हैं जो हमारे समाज और देश को तोड़ना चाहते है, जिन्हें हम टुकड़े-टुकड़े गैंग के नाम से जानते है। वह अक्सर किसी न किसी तरह से समाज को तोड़ने के प्रयास में लगे रहते हैं। कभी जाति-भाषा, प्रान्त के नाम पर तो कभी धर्म, मजहब के नाम पर। कम्युनिष्ट पार्टी की छत्रछाया में वामपंथी अर्बन नक्सली समाज में जातिवाद का जहर घोल कर नफरत ़फैलाने का षड्यंत्र रचते रहते हैं। भीमा कोरेगांव दंगा प्रकरण इसका साक्षात् उदाहरण है।

एक ओर ईसाई मिशनरी भोलेभाले गरीब वंचित शोषित पिछड़े समाज को गुमराह कर उनका धर्म परिवर्तन करा रहे हैं, तो दूसरी ओर जिहादी मानसिकता से भरे कुछ लोग लव जिहाद, लैंड जिहाद, धर्मांतरण जैसी देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं। इसके अलावा कम्युनिस्ट वामपंथी गैंग न्याय, अधिकार के नाम पर लोगों को नक्सलवाद की ओर धकेल रही हैं। उपरोक्त भारत विरोधी गैंग किसी भी संगठन में घुसपैठ कर अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने का प्रयास करते रहते है।

यदि टायगर ग्रुप इन राष्ट्रीय चुनौतियों पर भी गंभीरता से विचार करते हुए सामाजिक समरसता को बढ़ावा देते हुए तथा असामाजिक, आपराधिक एवं राष्ट्रविरोधी गैंग से सचेत रह कर ‘राष्ट्रहित प्रथम’ के उद्देश्य से कार्य करने लगे तो निश्चित रूप से एक बड़ा सामाजिक परिवर्तन भी आएगा और राष्ट्रीय स्तर पर टायगर ग्रुप एक आदर्श संगठन के रूप में उभर कर सामने आएगा।

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