भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा शौर्य दिवस के अवसर पर अपने जम्मू -कश्मीर के दौरे पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दिए गए बयान ने भारत के अंदर व बाहर जम्मू -कश्मीर को लेकर बैचेन रहने वालों में हड़ंकप मचा दिया क्योंकि इस बयान में आने वाले समय की आहट स्पष्ट रूप से सुनाई दे रही है और गुपकार गठबंधन सकते में आ गया है। इसी बीच जम्मू- कश्मीर के भारत में विलय के 75 वर्ष भी पूर्ण होने के उपलक्ष्य में केन्द्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू कश्मीर को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जी की गलतियों का भी जोरदार ढंग से खुलासा किया जिसने रक्षा मंत्री के बयान से सकते में आई कांग्रेस और गुपकार गठबंधन को और भी दबाव में ला दिया ।
अपनी लद्दाख यात्रा के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लद्दाख ही नहीं अपितु कश्मीर से लद्दाख तक यह प्रदेश विकास की नई ऊचाईयां छू रहा है। उन्होंने आगे जोड़ा कि अभी तो हमने विकास का आधार प्रकट किया है और उत्तर दिशा की ओर चलना प्रारम्भ किया है। हमारी यात्रा तो तब पूरी होगी जब हम 22 फरवरी 1949 को भारतीय संसद में सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव को अमल में लायंगे और उसके अनुरूप ही अपने बाकी बचे हिस्से जैसे गिलगित, बलूचिस्तान और पाकिस्तान तक पहुचेंगे। भारत की विकास यात्रा तभी पूरी होगी।
अभी पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) भले ही पाकिस्तान में है लेकिन वह भारत का अभिन्न अंग है और भारत कई अवसरों पर पीओके को पाकिस्तान से मुक्त कराने की बात दोहराता रहा है। केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद भारत सरकार का रूख और कड़ा हो गया हैं। जहां पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जम्मू कश्मीर को लेकर भारत के खिलाफ झूठ का कारोबार चला रहा है वहीं भारत कई बार पाकिस्तान को पीओके खाली करने के लिए साफ शब्दों में चेतावनी दे चुका है। रक्षामंत्री का यह बयान उसी कड़ी में एक अहम पड़ाव माना जा रहा है।
रक्षा मंत्री के बयान की गूंज इस्लामाबाद और बीजिंग में साफ सुना जा रही है तथा गुपकार गठबंधन जो लगातार भारत सरकार पर पाकिस्तान से बातचीत करने और अनुच्छेद -370 और 35 -ए की बहाली का दबाव बनाता रहा है वह सकते में चला गया है । भारत सरकार के मंत्रियों ने यह साफ कर दिया है कि अब 370 और 35 ए की वापसी नहीं होने जा रही है और न ही आतंकवाद और आतंकवादियों का समर्थन करने वाले लोगों पर किसी भी प्रकार की ढिलाई बरती जाएगी। जम्मू कश्मीर के गवर्नर ने भी इस बात के साफ संकेत दे दिए है कि जो लोग अपने बयानों से आतंकवाद व आतंकवादियों के प्रति अपना समर्थन जताते हैं उन पर भी कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
अगर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने पांच बड़ी गलतियां न की होती तो आज पूरा पीओके और गिलगित, बलूचिस्तान तक का सम्पूर्ण क्षेत्र भारत का अभिन्न अंग होता । इतिहास गवाह है कि कश्मीर के महाराजा हरि सिंह स्वतंत्रता से पूर्व ही अपनी रियासत का भारत में विलय चाहते थे लेकिन जवाहर लाल नेहरु ने ऐसा नहीं होने दिया। वो यूएनओ चले गये और वहां पर अनुच्छेद 51के तहत कश्मीर का मामला रख दिया, यह देश की जमीन पर गैर कानूनी कब्जे को लेकर था। 20 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान द्वारा कश्मीर पर हमले से भी नेहरू पर असर नहीं पड़ा। तब भी हरि सिंह ने नेहरू से विलय का फिर निवेदन किया। इस समय भी नेहरू निजी एजेंडा चला रहे थे । नेहरू ने राजा हरि सिंह की बात नहीं मानी। नेहरू जी ने अपने मित्र शेख अब्दुल्ला के हित में काम किया। कश्मीर को लेकर लगातार यह झूठ फैलाया जाता रहा कि भारत कश्मीर में जनमत संग्रह को रोक रहा है। अगर उस समय महाराज हरि सिंह की बात को मान ली गयी होती तो आज यह हालात न होते और चीन की बुरी नजर भारत पर नहीं होती। अगर जुलाई 1947 में ही विलय हो जाता तो पाकिस्तान कश्मीर को लेकर सक्रिय नहीं होता और न हमला करता न आज कश्मीर में जारी आतंकवाद से हमें जूझना पड़ता और नहीं 1990 में कश्मीरी हिंदुओें को घाटी से निकाला जाता।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अतीत की गलतियों को ठीक करने के लिए ही अनुच्छेद -370 को हटाया और इससे भारत के सभी क्षेत्रों का एकीकरण पूर्ण हुआ । कश्मीर को लेकर लगातार झूठ फैलाया जा रहा था जो अब समाप्त हो गया है लेकिन जम्मू -कश्मीर का गुपकार गठबंध ही नहीं अपितु चीन ,पाकिस्तान व भारत विरोधी सभी ताकतें अभी भी लगातार भारत पर 370 की बहाली का दबाव बना रही हैं और पाकिस्तान के नेतृत्व में ओआईसी जैसे संगठन झूठ का जहर उगल रहे हैं कि जम्मू -कश्मीर में मुसलमानों पर अत्याचार हो रहे हैं। अनुच्छेद -370 की आड़ में वहां के सभी क्षेत्रीय दल भ्रष्टाचार की नदी में नहा रहे थे वह अब धीरे धीरे समाप्त हो रहा है। वहां के स्थानीय लोगों को उनका अधिकार मिल रहा है। आजादी के बाद यह पहली बार हुआ है कि जम्मू कश्मीर के महाराज हरि सिंह की जयंती के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया लेकिन गुपकार गठबंधन ने अपनी घृणित राजनीति के कारण उसका भी विरोध किया और बेनकाब हो गये।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने दौरे पर पूर्वी लद्दाख की 75 परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित की है जिससे अब युद्ध की स्थिति बनने पर भारतीय सेना व उसका साजो सामान तीव्र गति से सीमा पर पहॅुच सकेगा। इसके साथ ही रक्षा मंत्री ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण लद्दाख, जम्मू कश्मीर, अरुणांचल और सिक्किम के लिए 2,180 करोड़ रूपए की लागत से निर्मित पुल, सड़क और हेलीपैड सहित बुनियादी ढांचे को राष्ट्र को समर्पित किया है। दारबक श्योक दौलतबेग ओल्डी मार्ग पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर 14 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित रोड पर 120 मीटर लम्बी क्लास -70 श्योक सेतु का उद्घाटन किया गया। यह सेतु सामरिक महत्व का है क्योंकि यह सशस्त्र बलों के साजो -सामान के आवागमन को सुगम बनाएगा। रक्षा मंत्री द्वारा कई अन्य परियोजनाओं का उद्घाटन भी किया गया जिसमें 45 सेतु, 27 सड़कें , दो हेलीपैड और एक कार्बन न्यूट्रल हेबीटैट हैं तथा जो- छह राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में फैले हुए हैं।
रक्षा मंत्री का मानना है कि जम्मू -कश्मीर में अब सशस्त्र बलों की जरूरत के अनुरूप बुनियादी ढांचे का विकास हो रहा है जिसके कारण उत्तरी सेक्टर की वर्तमान स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने में भारत को मदद मिली है । रक्षा मंत्री ने चीनी सेना के लद्दाख में पूर्व के आक्रामक व्यवहार को ध्यान में रखते हुए हुए कहा कि ये सेतु ,सड़कें और हेलीपैड देश के पश्चिमोत्तर और उत्तर पूर्व हिस्सों के सुदूर इलाकों में सैन्य एवं असैन्य परिवहन को सुगम बनांएगे। रक्षा मंत्री का कहना है कि दूर दराज के इलाकों को जल्द ही सम्पूर्ण देश से जोड़ दिया जाएगा और साथ मिलकर राष्ट्र को प्रगति के पथ पर पर ले जाएंगे।
यह सत्य है कि अनुच्छेद -370 के हटने से जम्मू कश्मीर में विकास की नई सुबह हो रही है जो जम्मू कश्मीर को निजी संपत्ति की तरह प्रयोग करने वाली ताकतों को रास नहीं आ रही है। कश्मीर घाटी में हिंदुओं के नरसंहार के दोषी ये लोग आज एक बार फिर कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार का समर्थन कर रहे हैं । इन लोगों की छटपटाहट रक्षा मंत्री के बयानों के बाद चरम पर है ।
– मृत्युंजय दीक्षित