हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
अधिवक्ता विक्रमादित्य

अधिवक्ता विक्रमादित्य

by हिंदी विवेक
in विशेष, सांस्कुतिक भारत दीपावली विशेषांक नवंबर-2022, साहित्य
0

अधिवक्ता विक्रमादित्य की गिनती तिकड़मबाज कानूनविदों में होती है। हो भी क्यों नहीं, वह साम-दाम-दंड-भेद से काम कराना जानते हैं। वाचाल इतने हैं कि बड़े से बड़े भाषा मर्मज्ञ उनकी बातों के आगे चारों खाने चित्त नजर आते हैं। बेताल पच्चीसी के विक्रमादित्य से किसी मायने में वे कम नहीं हैं। इसीलिए नामचीन अपराधियों के आप वकील होते हैं। लेकिन आज तो यह कहावत चरितार्थ हो रही थी कि कभी गाड़ी नाव पर, कभी नाव गाड़ी पर। हुआ यह कि प्रातः छ: बजे ही यमराज के दूत ने उनका दरवाजा खटखटा दिया। जब यमदूत से वार्तालाप हुआ तो उन्हें ज्ञात हुआ कि यमराज के यहां से उनका बुलावा आया है।

पहले तो विक्रमादित्य सकपकाए और विचलित हुए फिर तुरंत ही अपने आप को सम्भालते हुए बोले। भइया…यह भूलोक है, यहां भूलोक के ही कानून चलते हैं, यमलोक के नहीं। तुम्हारे धर्मधीश इतना भी नहीं जानते कि जब न्यायधीश के यहां से प्रथमवार बुलावा आता है तो सम्मन के माध्यम से सूचना आती है। सूचना लाने वाले को अपना परिचय पत्र भी साथ रखना होता है। आपका परिचय पत्र और मेरा सम्मन कहां है दिखाइएगा? यमदूत की समझ में कुछ नहीं आया, उसने कहा हमें तो यमराजजी ने मौखिक आदेश दिया है, लिखित में नहीं…। आजतक हम धरती वासियों को बिना सम्मन के ही यमलोक ले जाते रहे हैं। आजतक किसी ने विरोध नहीं किया।

इसपर विक्रमादित्य ने यमदूत से कहा  कि अब ऐसी गलती कदापि नहीं करना। अगर मैंने पुलिस को सूचना दे दी तो तुम्हें बिना सम्मन के मुझे पकड़ने व अवैध हिरासत में रखने के जुर्म में, जेल में डाल दिया जाएगा। आसानी से जमानत भी नहीं मिलेगी। वकील साहब की बातें सुन यमदूत भ्रमित हो गया। वह सोचने लगा कि आये थे हरि भजन को पर ओटन लगे कपास। उसने वैरंग वापिस जाना ही उचित समझा।

दूत ने यमलोक पहुंच कर भूलोक का पूरा विवरण श्री धर्मधीश को दिया तथा अनुनय विनय करके विक्रमादित्य के लिए सम्मन प्राप्त कर लिया और पहुंच गया सम्मन को कार्यान्वित कराने। सम्मन देखकर वाचाल विक्रमादित्य ने दूत को समझाया कि सम्मन तो मुझ पर तामील हो गया है। निश्चित घड़ी और निश्चित समय पर मैं स्वयं धर्मधीश के समक्ष उपस्थित हो जाऊंगा अगर कोई आने में परेशानी हुई तो मैं आपको दस्तक दे दूंगा। हिरासत में लेने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसपर यमदूत ने कहा कि यमराज जी ने आपको साथ लाने के लिए कहा है। इसपर कानून विशेषज्ञ विक्रमादित्य ने दूत से कहा कि तुम मुझे बगैर वारंट, अपनी अभिरक्षा में नहीं ले जा सकते हो, तुम धर्मधीश की नगरी से आये हो तो तुम्हें धर्म का पालन करना ही पड़ेगा। मरता क्या नहीं करता यमदूत पुनः वापिस गया और विक्रमादित्य का वारंट लेकर आया। जब दूत विक्रमादित्य को गिरफ्तार करके ले जाने लगा तो उसने दूत का हाथ झिड़कते हुए कहा कि तुम इस तरह से सीधे भूलोक से यमलोक नहीं लेजा सकते हो। पहले तुम्हें मुझे स्थानीय न्यायालय में प्रस्तुत करना होगा। स्थानीय न्यायालय ही तुम्हें ले जाने की आज्ञा प्रदान करेगा। सांप के मुंह में छछूंदर, न खाते बने न उगलते यही स्थिति बेचारे यमदूत की थी। मरता, क्या नहीं करता यमदूत विक्रमादित्य को लेकर स्थानीय न्यायालय में पहुंच गया। वहां विक्रमादित्य ने अदालत को अपने हार्ट की बीमारी का पर्चा दिखाते हुए पंद्रह दिन की अन्तरिम राहत प्राप्त कर ली और इस प्रकार यमदूत को एक बार फिर यमलोक खाली हाथ जाना पड़ा।

यमदूत से भूलोक का वाकया सुनकर धर्मधीश का मष्तिष्क चक्करघिन्नी हुआ तो हुआ! वह आगबबूला हो उठे। उन्होंने यमदूत को आदेश दिया कि तुम यमलोक का सारा लाव-लश्कर लेकर जाओ और वह जिस अवस्था में भी हो उसे बगैर किसी संवाद के चुपचाप उठाकर ले आओ।

यमदूत लाव-लश्कर के साथ पुनः भूलोक पहुंचा और चुपचाप विक्रमादित्य को उठाकर ले आया और उसे धर्मधीश के समक्ष प्रस्तुत कर दिया।धर्मधीश (यमराज) ने जब विक्रमादित्य को देखा तो उनका सिर घूम गया, घूमा ही नहीं चक्करघिन्नी हो गया क्योंकि वह विक्रमादित्य न होकर उसका हमशक्ल क्लोन था। उनके यहां क्लोन के पाप पुण्य का कोई बहीखाता नहीं था। उन्होंने दिव्यदृष्टि से अपने समक्ष खड़े व्यक्ति का इतिहास देखा तो उन्हें जानकारी हुई कि धरती पर मनुष्य ने क्लोन बनाने की विधि ईजाद कर ली है। इसके पिता बहुत बड़े जीव विज्ञानी हैं। उन्होंने ही यहां के रिकार्ड में दर्ज विक्रमादित्य का क्लोन तैयार कर इसे बनाया है। वह इस क्लोन का हिसाब-किताब करने में असमर्थ थे। उन्होंने धर्म संसद में नये कानून बनाने तक, यह कहते हुए बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी विक्रमादित्य को अभयदान देते हुए पुनः भूलोक भेज दिया।

                                                                                                                                                                   अशोक कुमार अश्रु 

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp

हिंदी विवेक

Next Post
आम कहां से खाय

आम कहां से खाय

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0