जनसाधारण को समर्पित है भाजपा का संकल्प पत्र   

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भाजपा द्वारा इस संकल्प पत्र में जनता को मोदी की गारंटी दी गई है। गरीब परिवारों की सेवा- मोदी की गारंटी, मध्यम-वर्ग परिवारों का विश्वास, नारी शक्ति का सशक्तिकरण, युवाओं को अवसर, वरिष्ठ नागरिकों को वरीयता, किसानों का सम्मान, मत्स्य पालक परिवारजनों की समृद्धि, श्रमिकों का सम्मान, एमएसएमई, छोटे व्यापारियों और विश्वकर्माओं का सशक्तिकरण, सबका साथ सबका विकास, विश्व बंधु भारत,  सुरक्षित भारत, समृद्ध भारत, ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनेगा भारत, विश्वस्तरीय इन्फ्रास्ट्रक्चर, ईज ऑफ लिविंग, विरासत भी विकास भी, सुशासन, स्वस्थ भारत, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, खेल के विकास, सभी क्षेत्रों के समग्र विकास, तकनीक एवं नवाचार तथा पर्यावरण अनुकूल भारत- मोदी की गारंटी सम्मिलित है।

अगर यह लव जिहाद नहीं है, तो क्या है?

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हालिया दिनों में ‘लव-जिहाद’ की शिकार केवल नेहा ही नहीं है। इस नृशंस हत्या से स्तब्ध कर्नाटक की एक अन्य हिंदू छात्रा ने जब अपने मुस्लिम प्रेमी आफताब के साथ संबंध तोड़े, तो इससे गुस्साए आफताब ने उसे हमला करके घायल कर दिया। पीड़िता के अनुसार, उसकी मुस्लिम सहेली ने आफताब से मित्रता हेतु विवश किया था। इसके अतिरिक्त, प्रदेश के ही बेलगावी में विवाहित दलित महिला ने रफीक और उसकी बेगम पर जबरन मतांतरण करने का आरोप लगाया है। पुलिस में दर्ज शिकायत के अनुसार, रफीक ने बहला-फुसलाकर अपनी बेगम के सामने पहले हिंदू महिला का बलात्कार किया, जिसकी तस्वीरें तक ली गई। इसके बाद मुस्लिम दंपत्ति ने उसपर सिंदूर हटाने, बुर्का पहनने, नमाज अदा करने और अपने हिंदू पति को तलाक देकर इस्लाम कबूलने का दवाब बनाना और धमकाना प्रारंभ कर दिया।

लोकतंत्र का पर्व मनाने, हम निश्चित मतदान करें..!

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लोकतंत्र का पर्व मनाने   हम निश्चित मतदान करें..! मौसम की गर्मी को भूलें,   परखें देश का तापमान, उज्ज्वल भविष्य की बुनियाद   है सबका निश्चित मतदान, भारत मां के सबसे सही   पुजारी की पहचान करें..!

संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक वनमाली सप्रे का स्वर्गवास

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जबलपुर के यादव कालोनी निवासी प्रोफे. अखिलेश सप्रे के पिता एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक वनमाली सप्रे का ८९ वर्ष की आयु में स्वर्गवास हो गया. वे आजीवन संघ की विचारधारा के प्रति समर्पित रहें और अनेकों दायित्वों का उन्होंने निष्ठापूर्वक निर्वहन किया. उनके संघकार्य से प्रेरित होकर हजारों की संख्या में युवा स्वयंसेवक बने और संघकार्य में सहभागी बने. आपातकाल के दौरान उन्होंने कारावास की सजा भी भुगती और इस दौरान उन्हें अनेकों प्रकार की यातनाओं का भी सामना करना पड़ा. आपातकाल की संघर्ष गाथा का उन्होंने अपने द्वारा लिखित ‘आप-बीती’ पुस्तक में बखूबी वर्णन किया है. हिंदी विवेक मासिक पत्रिका द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में उन्होंने आपातकाल के अत्याचार को मार्मिक रूप से चित्रित किया है. उनके अग्रज कृष्ण राव सप्रे संघ के वरिष्ठ प्रचारक रहें. साथ ही सदानंद सप्रे व प्रसन्न सप्रे वर्तमान में भी संघ कार्य में संलग्न है. वनमाली जी का मृदुल व्यवहार एवं निश्छल स्वभाव के कारण संघ परिवार में वे बहुत ही लोकप्रिय थे.

महावीर ने समाज में संस्कारों का किया बीजारोपण – नम्रमुनि महाराज

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तीर्थंकर जैसे महापुरुषों और माता-पिता के जो उपकार भूल जाता है उसका पतन होना तय है और जो स्मरण रखता है वह उन्नति के पथ पर आगे बढ़ता है. सम्पत्ति नहीं, अपितु संस्कार श्रेष्ठ है. जब पूरी दुनिया भौतिकता की ओर भाग रही थी तब महावीर ने अपना राजपथ छोड़कर त्याग का महत्व बताया और अपने शुद्ध आचरण एवं आदर्श से समाज में पुन: संस्कारों का बीजारोपण किया. यह उद्बोधन हिंदी विवेक प्रकाशित ‘तीर्थंकर भगवान महावीर’ विशेषांक के विमोचन समारोह के दौरान राष्ट्रसंत परम गुरुदेव नम्रमुनि महाराज साहेब ने दिया.

ढलती सांझ के प्रेममयी रंग…

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देर तक विशाखा खिड़की से बाहर ढलते सूरज की लालिमा को गहराते देखती रही। देखती रही तेज गति से दौड़ती ट्रेन की खिड़की से पीछे छूटते पेड़ों को और घरों को। ट्रेन तेजी से आगे भाग रही थी और मन पीछे छूटते जा रहे पेड़ों के साथ पीछे भाग रहा था। भाग रहा था पीछे छूटे अपने शहर की ओर, उस शहर की ओर जहां उसका घर था, वह घर जिसे उसने पूरे 33 बरस सहेजा था।

हिंदी विवेक प्रकाशित ‘तीर्थंकर भगवान महावीर’ विशेषांक का पुणे में विमोचन

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भगवान महावीर के २५५० वें निर्वाण वर्ष के उपलक्ष्य में हिंदी विवेक मासिक पत्रिका द्वारा प्रकाशित ‘तीर्थंकर भगवान महावीर’ विशेषांक का पुणे में विमोचन समारोह संपन्न हुआ. जैन तपस्वी उपाध्याय प. पू. प्रवीण ऋषि जी महाराज और रा. स्व. संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर जी के करकमलों द्वारा विशेषांक का विमोचन किया गया. इस दौरान मंच पर हिंदुस्थान प्रकाशन संस्था के अध्यक्ष पद्मश्री रमेश पतंगे, हिंदी विवेक मासिक पत्रिका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमोल पेडणेकर, हिंदी विवेक की कार्यकारी सम्पादक पल्लवी अनवेकर, सुहाना प्रवीण मसालेवाले के डायरेक्टर विशालकुमार राजकुमार चोरडिया, पोपटलाल ओसवाल एवं राजेंद्र बाठिया उपस्थित थे.

चलो नाना-मामा के घर

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साल भर पढ़ाई के बोझ से लदे हुए बच्चों को गर्मी की छुट्टियों का इंतजार रहता है। कब परीक्षाएं समाप्त हो और हम फ्री होकर अपने ननिहाल जा सके। बच्चे ही नहीं उनकी मम्मियों को भी बच्चों से ज्यादा इंतजार रहता है कि जल्दी से मायके जाने का। बच्चों को उनकी मां यह लालच देकर पढ़ाती हैं कि फटाफट पढ़ लो परीक्षा के बाद तुमको नाना-नानी के घर लेकर चलूंगी।

‘हिंदू’सूत्र से जुड़ा है हमारा समाज – डॉ. मोहन भागवत

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एक आक्रमण होने के बाद हम सावधान हो गए, ऐसा नहीं हुआ. पिछले २ हजार वर्षों में बारम्बार कोई न कोई आता है और हमें गुलाम बनाता है. हर बार हमने वहीँ गलती की. हर बार कोई घरभेदी (गद्दार) ही धोखा देता आया है, यह रोग हमारे मूल में है. इसका निदान हुए बिना देश सुरक्षित नहीं रह सकता. हम कौन और हमारे कौन? इस सम्बंध में देश में ज्ञान का अभाव है. ‘हिंदू’ सूत्र के आधार पर हम जुड़े हुए है. अपने धर्म-संस्कृति पर अडिग रहकर श्रेष्ठ आचरण करने पर अपनी चुनौतियों से पार पाते हुए हम विश्व को भी मार्ग दिखा सकते है. यह वक्तव्य पू. सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने साप्ताहिक विवेक द्वारा प्रकाशित ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ – हिंदू राष्ट्र के जीवन उद्देश्य की क्रमबद्ध अभिव्यक्ति’ नामक ग्रंथ के विमोचन समारोह के दौरान दिया.

माखनलाल चतुर्वेदी : आदर्श पत्रकारिता के संवाहक

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भारत में पत्रकारिता भी धर्म है और इसके विपरीत कार्य करना अधर्म की श्रेणी में आता है। भारतीय पत्रकारिता के आदर्श पुरूष कहे जाने वाले माखनलाल चतुर्वेदी के दिखाए मार्ग पर चलकर हमें भी धर्म-संस्कृति और राष्ट्रबोध से ओत-प्रोत मूल्याधारित पत्रकारिता करनी चाहिए।

हिंदी विवेक प्रकाशित ‘रजनीगंधा’ पुस्तक का विमोचन

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डॉ. मदन गोपाल वार्ष्णेय जी द्वारा लिखित और हिंदी विवेक द्वारा प्रकाशित ‘रजनीगंधा’ पुस्तक का विमोचन समारोह पुणे में संपन्न हुआ. रा. स्व. संघ के अ. भा. कार्यकारिणी सदस्य भैयाजी जोशी के करकमलों द्वारा इस पुस्तक का विमोचन किया गया. इस दौरान मंच पर पूर्व वाइस चांसलर जीबी यूनिवर्सिटी एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी के कुलपति डॉ. आदित्य कुमार मिश्रा, पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत संघचालक प्राध्यापक नाना साहेब जाधव, हिंदी विवेक मासिक पत्रिका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमोल पेडणेकर और डॉ. प्रवीण दबडघाव आदि उपस्थित थे।

सौंदर्य, कला व प्रतिभा की प्रतिमूर्ति मधुबाला

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जब भी हम कभी बीते समय की फिल्मी नायिकाओं की सुंदरता की बात करते हैं, तब बरबस ही मधुबाला का नाम आ जाता है। मधुबाला का आकर्षक मनभावन चेहरा, बोलती आंखें, नैन नक्श, जैसे दर्शकों के दिलों दिमाग में छा सा जाता था। उस दौर में हर प्रेमी अपनी प्रेमिका…

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