हिंदी विवेक प्रकाशित ‘रजनीगंधा’ पुस्तक का विमोचन

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डॉ. मदन गोपाल वार्ष्णेय जी द्वारा लिखित और हिंदी विवेक द्वारा प्रकाशित ‘रजनीगंधा’ पुस्तक का विमोचन समारोह पुणे में संपन्न हुआ. रा. स्व. संघ के अ. भा. कार्यकारिणी सदस्य भैयाजी जोशी के करकमलों द्वारा इस पुस्तक का विमोचन किया गया. इस दौरान मंच पर पूर्व वाइस चांसलर जीबी यूनिवर्सिटी एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी के कुलपति डॉ. आदित्य कुमार मिश्रा, पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत संघचालक प्राध्यापक नाना साहेब जाधव, हिंदी विवेक मासिक पत्रिका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमोल पेडणेकर और डॉ. प्रवीण दबडघाव आदि उपस्थित थे।

सौंदर्य, कला व प्रतिभा की प्रतिमूर्ति मधुबाला

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जब भी हम कभी बीते समय की फिल्मी नायिकाओं की सुंदरता की बात करते हैं, तब बरबस ही मधुबाला का नाम आ जाता है। मधुबाला का आकर्षक मनभावन चेहरा, बोलती आंखें, नैन नक्श, जैसे दर्शकों के दिलों दिमाग में छा सा जाता था। उस दौर में हर प्रेमी अपनी प्रेमिका…

स्वावलंबन का सूरज

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उस दिन सुजाता के घर गांव से बहुत से मेहमान आए हुए थे। नाश्ते, भोजन आदि की व्यवस्था के साथ उसे मेहमानों को नाशिक दर्शन के लिए भी ले जाना था। पंचवटी, रामकुंड, काला राम, गोरा राम मंदिर, सीता गुफा आदि के दर्शन के पश्चात वह शाम छह बजे मेहमानों के साथ अपने घर पहुंची, फिर रात का खाना खिलाकर उसने मेहमानों को आठ बजे विदा किया।

आध्यात्मिक राजधानी बनेगी अयोध्यापुरी

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रामलला का दर्शन करने मात्र से लोगों में स्वाभिमान एवं आत्मविश्वास की लहरें हिलोरे मारने लगेगी। राम मंदिर की आध्यात्मिक ऊर्जा से देश में सकारात्मक वातावरण की निर्मिति होगी, जिससे उत्साहित होकर सभी क्षेत्रों में देशवासी पूरे मनोयोग से अपने-अपने कार्यक्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करेंगे।

भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अमृत काल

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राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण गर्व का क्षण है, लेकिन इन क्षणों में इस पर भी विचार किया जाना चाहिए कि हिंदू समाज को किन कारणों से विदेशी हमलावरों के अत्याचार और उनकी गुलामी का सामना करना पड़ा. निस्संदेह हिंदू समाज के एकजुट न होने के कारण विदेशी हमलावरों ने फायदा उठाया. यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि भेदभाव और छुआछूत हिंदू समाज को कमजोर करने का एक बड़ा कारण बना। अब जब समाज के हर तबके को अपनाने वाले भगवान राम के नाम का मंदिर बनने जा रहा है तब सभी का यह दायित्व बनता है कि वे पूरे हिंदू समाज को जोड़ने और उनके बीच की बची-खुची कुरीतियों को खत्म करने पर विशेष ध्यान दें। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अयोध्या एक ऐसा केंद्र बने जो भारतीय समाज को आदर्श रूप में स्थापित करने में सहायक बने।

कानूनी पेंचों में राममंदिर

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कानून की पुरपेंच गलियों से होते हुए आखिरकार वह समय आ गया जब रामलला की गर्भ गृह में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। पांच सौ सालों के संघर्षों का यह लम्बा इतिहास है। कितनी कानूनी लड़ाईयां लड़ने के बाद भक्तों को रामलला के दर्शन मिलेंगे, चलिए डालते हैं कानूनी विवादों पर एक नजर-

आदर्श स्वयंसेवक प्रतिनिधि विलास मेस्त्री

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हिंदी विवेक परिवार के सदस्य वसई-विरार के प्रतिनिधि विलास मेस्त्री का 15 दिसम्बर २०२३ को 75वां जन्मदिवस है. विवेक पत्रिका को आर्थिक साहयोग देने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इस उपलक्ष्य में उनकी प्रेरक एवं आदर्श जीवन यात्रा का दर्शन इस लेख में दृष्टिगोचर होगा.

स्वामी विवेकानंद की गोवा यात्रा

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स्वामीजी ने अपनी गोवा यात्रा के दौरान, वहां के धार्मिक स्थलों, पुराने गिरजाघरों, फोंडा के प्राचीन मंदिरों तथा प्राचीन जीर्ण-शीर्ण मंदिरों के अवशेषों आदि का दौरा किया। स्वामीजी ने हरिपद मित्र को लिखे एक पत्र में, पणजी शहर के सुंदर एवं स्वच्छ होने का उल्लेख किया है।

छ. शिवाजी महाराज की सजगता

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फोंडा को हर संभव सहायता करने का नियोजन कर, अनाज से भरे हुए 10 पात्रों तथा कुछ लोगों को फोंडा की ओर भेजा किंतु मराठाओं ने उन्हें राह में ही पकड़ लिया। फोंडा के किले की घेराबंदी में शिवाजी महाराज ने 2,000 घुड़सवारों तथा 7,000 पैदल सैनिकों को सम्मिलित किया था।

मुचकुंद की काल यात्रा

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पुराणों का रचनाकाल अट्ठारह सौ से दो हज़ार वर्ष पूर्व का रहा होगा ऐसा अनुमान लगाया जाता है। प्रस्तुत राजा मुचकुंद की कथा का उल्लेख विष्णु पुराण के पंचम अंश के तेईसवें अध्याय व श्रीमद्भागवत के दशम स्कंद के इक्यावनवें अध्याय में है। टाइम डाइलेशन जैसी जटिल विज्ञान अवधारणा पर आधारित इस विज्ञान कथा को पढ़कर हम अपने पूर्वजों की प्रखर मेधा से चमत्कृत हो उठते हैं।

नई हिन्दी कविता के विविध रंग

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तुकांत-अतुकांत, छंदयुक्त-छंदमुक्त, हायकू इत्यादि कविता के कई रूप हैं। कम शब्दों में भावों की अभिव्यक्ति ही कविता की पहचान रही है। समय के साथ इसमें कई धाराएं बनीं और कई धाराएं मिली परंतु कविता रूपी भागिरथी निरंतर प्रवाहमान है।

काव्य वैविध्य

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कम शब्दों में अपनी भावनाओं को दूसरों तक पहुंचाने का सबसे सशक्त माध्यम है कविता। कविता ने जहां युद्ध में साहस बढ़ाने का काम किया, वहीं दर्द में राहत देने का भी काम किया। वेदों से लेकर आज की नई कविता तक ने हमें काव्य से सराबोर कर रखा है।

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