लैंड जिहाद : इस्लामीकरण की दस्तक

देश के हर कोने में मुस्लिमों की बढ़ती जनसंख्या, बदलते डेमोग्राफिक आंकड़े के साथ ही ‘लैंड जिहाद’ भी एक बड़ी और गम्भीर समस्या बन कर उभरी है। सामान्य स्थानों के अलावा हिंदुओं के धार्मिक स्थानों पर भी इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। यदि इस पर समय रहते लगाम नहीं लगाया गया तो वह दिन दूर नहीं जब एक अलग इस्लामिक देश की मांग फिर से उठने लगेगी।

राष्ट्र विरोधी कट्टरपंथी जिहादी मुस्लिमों के कुछ गुप्त संगठनों ने बड़े स्तर पर देश भर में लैंड जिहाद का चक्रव्यूह रचा है, जिसके कारण लव जिहाद, जनसंख्या जिहाद, डेमोग्राफी चेंज, हिंदुओं का पलायन जैसी अनेकानेक ज्वलंत घटनाएं आए दिन सामने आ रही हैं। यदि समय रहते दूरदृष्टि का परिचय देते हुए वक्फ बोर्ड और लैंड जिहाद के अतिक्रमण को जड़मूल से ध्वस्त कर सम्पूर्ण सफाया नहीं किया गया तो फिर से देश, विभाजन के दोराहे पर आकर खड़ा हो जाएगा।

किसी भी गैरमुस्लिम देश का इस्लामीकरण करने के लिए कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा अनेकानेक प्रकार से जिहाद किया जाता है। जिनमें प्रमुख रूप से लैंड (जमीन) जिहाद भी शामिल है। इससे जुड़ा ताजा मामला गुजरात के द्वारिका द्वीप का सामने आया है। जिससे एक बार फिर देश में वक्फ बोर्ड के लैंड जिहाद जैसी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों का पर्दाफाश हुआ है। विगत कुछ वर्षों से वक्फ बोर्ड के गैरकानूनी मामले मीडिया की सुर्खियों में छाए हुए है। अब देश में बहुत तेजी से यह मांग उठने लगी है कि वक्फ बोर्ड को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित कर देना चाहिए और देश भर में फैले लैंड जिहाद के अतिक्रमण से मुक्ति दिलाने हेतु राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत की जानी चाहिए।

द्वारिका द्वीप पर लैंड जिहाद का खतरनाक प्रयोग

अभी हाल ही में गुजरात के द्वारिका द्वीप पर हुए अतिक्रमण (इस्लामीकरण) का मामला खूब चर्चा में रहा। जिसे ध्वस्त करने के लिए शासन-प्रशासन को पूरे लाव लश्कर के साथ भारी पुलिस बल को लेकर मोर्चे पर जाना प़ड़ा, तब कही जाकर उन्हें सफलता मिली और गैरकानूनी रूप से बनाए गए अवैध निर्माण को जमींदोज किया जा सका। लेकिन इतना ही काफी नहीं है क्योंकि अवैध निर्माण को भले ही ध्वस्त किया गया हो परंतु स्थानीय हिंदुओं का पलायन और बाहरी मुसलमानों की घुसपैठ एवं डेमोग्राफिक चेंज चिंता का विषय बना हुआ है। ऐतिहासिक नगरी द्वारिका के बेट द्वीप में हिंदुओं का अल्पसंख्यक होना और पलायन करना खतरे की घंटी है। अत: फिर से हिंदुओं को वहां पर बसाकर और बाहरी मुसलमानों को भगा कर ही पलायन, घुसपैठ और डेमोग्राफिक चेंज की चुनौतियों एवं खतरों से लड़ा जा सकता है वर्ना द्वारिका बेट द्वीप के हिंदू विहीन होने में देर नहीं लगेगी। ‘हिंदू घटा, देश बंटा’ की कटु सच्चाई किसी से छुपी हुई नहीं है। जहां-जहां हिंदुओं की जनसंख्या कम हुई है, वह हिस्सा देश से बंट गया है। जनसंख्या के बल पर ही देश का विभाजन हो चुका है इसलिए डेमोग्राफी चेंज और लैंड जिहाद को हल्के में नहीं लेना चाहिए। 9 राज्यों में हिंदुओं का अल्पसंख्यक होना इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है। सनद रहे कि बेट द्वारिका पाकिस्तानी सीमा से केवल 58 समुद्री मिल दूर है। कोस्ट गार्डों ने कई बार पाकिस्तानी तस्करों को समुद्री सीमा में पकड़ा है और साथ ही ड्रग्स की खेप भी पकड़ी गई है। दरअसल खाली टापुओं पर बने मजार, मदरसे, ईमारत आदि मजहबी अवैध निर्माण गैरकानूनी धंधे, तस्करी एवं राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के लिए उपयोग किये जा रहे थे। बड़े-बड़े मस्जिद, मदरसे और मजार बनाने के लिए आर्थिक फडिंग आती कहां से है? इसके पुरे नेक्सस की भी तह तक जांच की जानी चाहिए।

शहरों एवं सामरिक क्षेत्र के ‘बॉटलनेक’ पर कब्जे की रणनीति?

देवभूमि उत्तराखंड के चारों धाम सहित नदी, पहाड़ी एवं जंगलों में भी लैंड जिहाद के माध्यम से मुस्लिम घुसपैठ बड़ी संख्या में लगातार जारी है। स्थिति यह है कि एक ओर स्थानीय लोगों का पलायन हो रहा है, वहीं दूसरी ओर बाहरी मुसलमान जिनमें बांग्लादेशी-रोहिंग्या भी शामिल हैं, बड़ी संख्या में घुसपैठ कर रहे हैं। यही हाल पूरे भारत का है। खास तौर से देश की आर्थिक राजधानी मुंबई इनके निशाने पर है।

दक्षिण मुंबई के मुख्य मार्ग में प्रवेश करते ही मुहम्मद अली रोड, अर्थात मुंबई का ‘बोटलनेक’ मार्ग मुस्लिम बहुल क्षेत्र है, सरकारी भाषा यानी पुलिस प्रशासन की भाषा में कहा जाए तो अति संवेदनशील क्षेत्र है। मुंबई जैसे अंतरराष्ट्रीय शहर के 300 से अधिक संवेदनशील माने जाने वाले मुस्लिम बहुल क्षेत्र नियोजनबद्ध तरीके से बसाई गई लैंड जिहाद की ही देन हैं।

लैंड जिहाद के विरुद्ध सक्सेस स्टोरी

लैंड जिहाद के विरुद्ध श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, धारा 370, 35- ए, द्वारिका द्वीप के 2 टापू, प्रतापगढ़ स्थित अफजल खान के कब्र आदि स्थानों पर राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर अतिक्रमण को हटाया गया है। यह हमारे संघर्ष व सफलता की कहानी है। इसके साथ ही अब हमारे आस पास गली-कूचे, नुक्कड़-नाके, खाली जमीन आदि स्थानों पर जहां कहीं भी लैंड जिहाद के मामले सामने आए, उनका स्थानीय

स्तर पर प्रतिकार करना आवश्यक है क्योंकि इंच-इंच जमीन हमारे राष्ट्र की है। इसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। यदि हम ही अपने जमीन की रक्षा नहीं करेंगे और उस भूमि पर लैंड जिहाद होने देंगे तो क्या होगा?

…वर्ना फिर देश विभाजन की कगार पर खड़ा हो जाएगा

मुस्लिम बस्तियों में ग्राउंड प्लस 7, 10, 13 मंजिला घर अवैध रूप से बने हुए हैं। क्या है ये? क्या बीएमसी प्रशासन केवल नाम के लिए है? उसमें भी मुस्लिम आबादी बड़ी चिंता की बात है। मुस्लिमों में अनेक शादियां और अनेक बच्चे और इस प्रकार से अवैध घर तो उनको इकोसिस्टम का सपोर्ट इनडायरेक्टली मिल जाता है। हिंदू ‘हम दो हमारा एक, लीगल घर में नेक’ अर्थात हिंदू वैध घर में रहेगा, एक शादी और एक बच्चा, वहीं दूसरी ओर मुस्लिम अनेक शादी और अनेक बच्चे की तर्ज पर जनसंख्या बढ़ाते जाएंगे तो जनसंख्या का असंतुलन होगा ही और फिर देश विभाजन की कगार पर खड़ा हो जाएगा। यक्ष प्रश्न यह है कि मुस्लिम बहुल क्षेत्र ही सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्र क्यों बन रहे है?

मुंबई में शुरू हुआ ‘भूमि रक्षा-राष्ट्र रक्षा’ अभियान

लैंड जिहाद के मामले में सर्वप्रथम जन प्रतिनिधि को आगे आना चाहिए और यदि वह उचित पहल नहीं करते हैं तो स्थानीय लोगों को संगठित रूप से आगे आकर विरोध करना चाहिए। भाजपा नेता मंगल प्रभात लोढ़ा ने पालक मंत्री बनते ही उपनगर में बैठकों का आयोजन कर सभी वार्डों में अतिक्रमण को चिन्हित कर कार्रवाई करने का आदेश दिया। अगर एक पालक मंत्री इतना अच्छा प्रभावी पहल कर सकते हैं और राज्य सरकार अफजल खान की कब्र पर बने अतिक्रमण को ध्वस्त कर सकती है तो नगरसेवक क्यों नहीं कर सकते? चुनाव के समय हम सभी राजनीतिक पार्टियों खासकर जो हिंदुत्ववादी होने का दम्भ भरती है उन्हें इस संदर्भ में लिखित निवेदन देंगे और उचित कार्रवाई की मांग करेंगे। हमारी मांग है कि महाराष्ट्र की चारों राजनीतिक पार्टियां जिनमें भाजपा, शिवसेना (एकनाथ शिंदे), मनसे और उध्दव ठाकरे की शिवसेना शामिल है, अपने एजेंडे (घोषणापत्र) में इन विषयों को शामिल करें और इसका समाधान निकालें।

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